नशा मुक्ति दिवस क्यों मनाया जाता है? - nasha mukti divas kyon manaaya jaata hai?

बिहार में 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस (Drug de addiction day 2022) के मौके पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान निबंध लेखन, वाद विवाद और पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. वहीं इद दौरान कक्षा 6 से 12 तक के छात्र छात्राएं नशे से दूर रहने का संदेश देंगे. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस 2022 के अवसर पर छात्र छात्राएं लोगों को नशे से दूर रहने का संदेश देंगे. राज्य सरकार प्राप्त जानकारी के अनुसार कक्षा 6 से लेकर 12 तक के बच्चे अगले 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करेंगे. इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी पटना के कार्यालय से निर्देश जारी किया गया है. जिसमें कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. वहीं स्कूली बच्चों की ओर से लोगों को जागरूक किया जाएगा.

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कई प्रतियोगिता होंगीः डीईओ ऑफिस पटना ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसमें निबंध लेखन, वाद विवाद और पेंटिंग प्रतियोगिताएं शामिल है. इस दौरान बच्चे 'शराब वर्जित, बिहार हर्षित' विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे. इस प्रतियोगिता में प्रत्येक छात्र को 5 मिनट का मौका बोलने के लिए दिया जाएगा.

शिक्षा विभाग निर्देशः शिक्षा विभाग पटना ने निर्देश जारी किया है कि विद्यालय भवन व साक्षरता केंद्रों पर मद्य निषेध का स्लोगन और पोस्टर पोस्टर अंकित करना होगा. साथ ही जिले के सभी प्रमुख स्थल को सरकारी भवनों पर भी बैनर लगाया जाएगा. बैनर पर मद्य निषेध विभाग का लोगो, जिले का नाम, प्रखंड का नाम एवं मद्य निषेध के बारे में जानकारी रहेगी. ताकि लोगों को नशा मुक्ति को लेकर जागरूक किया जाएगा.

नारे और स्लोगन लगेंगेः 'नशा मुक्त रहे बिहार', 'शराब पीकर जाओगे घर नहीं पहुंच पाओगे', 'हम सब ने यह ठाना है, बिहार को नशा मुक्त बनाना है', 'महिलाओं का सपना साकार, शराब मुक्त हो गया बिहार', 'शराब छुड़ाने की खुशी, मुन्ना मुन्नी दोनों सुखी', 'नशा मुक्ति से आई खुशहाली, दूर होगी सब की बदहाली', 'अपनी बिटिया करे पुकार, पापा मदिरा है बेकार' और 'मध्य निषेध हितकारी है बिटिया की बात प्यारी है' जैसे चयनित नारे और स्लोगन भी इस दौरान लगाए जाएंगे.

यूपी में शराब के शौकीन आज जाम नहीं छलका पाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर पहली बार प्रदेश में शराब की बिक्री पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही लाइसेंसी भांग की दुकानें भी रविवार को बंद रहेंगी।

हर साल 26 जून को नशा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इस अवसर पर बहुत बड़ा जागरूकता अभियान चलाता है। अभी तक यह दिवस NCB तक सिमटा हुआ था। लेकिन इस बार आबकारी विभाग भी इसके सहयोग के लिए आगे आ रहा है। इसलिए रविवार को ड्राई डे घोषित किया गया है।

सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बंद रहेंगे मयखाने
अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय भूसरेड्डी ने बताया कि रविवार को नारकोटिक्स विभाग नशीली दवाओं के दुरुपयोग व इसके अवैध व्यापार के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाएगा। आबकारी विभाग भी इसे समर्थन दे रहा है। इसके चलते राज्य की सभी शराब की दुकानें सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बंद रहेंगी। उन्होंने बताया भांग की दुकान भी पूरे दिन के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया है।

नशा मुक्ति दिवस 26 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन ‘’शराब वर्जित बिहार हर्षित’’ विषय पर प्रतियोगिता होगी। इसमें जिला स्तर पर मद्य निषेध से संबंधित निबंध लेखन, वाद विवाद एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता में वर्ग 9 से 12 वीं तक के छात्र छात्राएं शराब वर्जित बिहार हर्षित विषय पर निबंध लिखेंगे। जबकि वर्ग 6 से 8 के बच्चों के मद्यपान बंद घर- घर आंनद विषय पर प्रतियोगिता होगी। इस कार्यक्रम में सरकारी स्कूलों के अलावा प्राइवेट स्कूल संस्कृत एवं मदरसा विद्यालयों के बच्चों की भी सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रतियोगिता के लिए तिथि भी निर्धारित की गई है। 19 नवंबर को विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसके नोडल पदाधिकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनाए गए हैं। जबकि 21 नवंबर को प्रखंड स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन होगा। जिसके नोडल पदाधिकारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी होंगे। जबकि 23 नवंबर को जिला स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन होगा। जिसके नोडल पदाधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी होंगे। प्रतियोगिता हेतु निर्णायक मंडल का चुनाव समय पर करने का निर्देश दिया गया है।सरकार द्वारा नशा मुक्ति दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

चयनित नारों के साथ निकाली जाएगी प्रभातफेरी
26 नवंबर को जिले में प्रातः 8 से 9 बजे तक मद्य निषेध के प्रति जागरूकता हेतु स्कूली बच्चों के द्वारा प्रभात फेरी निकाली जाएगी। प्रभात फेरी में नारे स्लोगन का प्लेकार्ड बच्चों के हाथ में होगा। दीवार लेखन का कार्य शिक्षा सेवक एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा निर्देशित अन्य कर्मी करेंगे। इसके अलावा विद्यालय भवन साक्षरता केंद्रों पर मधनिषेध का स्लोगन पोस्टर अंकित किया जाएगा।

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिए गए निर्देश

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिले के वरीय पदाधिकारियों को जिम्मेवारी दी गई है। पुरस्कार सामग्री का वितरण जिला स्तर पर निर्धारित किया जाएगा। प्रमाण पत्र जिला पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से दिए जाएंगे। बता दें कि इस बारे में अपर मुख्य सचिव द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा,एसआरपी एवं केआरपी को निर्देशित किया गया है।

जिला स्तर पर चयनित छात्र को डीएम के हाथों मिलेगा पुरस्कार| विद्यालय से चयनित दो बच्चे एक बालक एवं एक बालिका प्रखंड स्तर पर जाएंगे। इसी प्रकार प्रखंड स्तर से चयनित दो बच्चे एक बालक एक बालिका जिला स्तर पर भेजे जाएंगे। जिला स्तर की प्रतियोगिता में उच्च एवं मध्य विद्यालयों के लिए अलग-अलग प्रथम द्वितीय एवं तृतीय तीन बच्चे रैंक होल्डर होंगे। जबकि सात बच्चों को सांत्वना पुरस्कार दिया जाएगा।

नशा मुक्ति से आप क्या समझते हैं?

नशा मुक्ति कार्यक्रम एक स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चलाया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसमें नशा करने वालों को उचित ज्ञान देकर इन्हें छोड़ने को कहते हैं। जो कि देशभर में चलता रहता है।

नशा मुक्ति दिवस कब है 2022?

'शराब वर्जित, बिहार हर्षित', 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस पर नशे से दूर रहने का संदेश देंगे स्कूली बच्चे बिहार में 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस (Drug de addiction day 2022) के मौके पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

नशा मुक्त भारत अभियान कब शुरू हुआ?

नशा मुक्त भारत अभियान या ड्रग्स-मुक्त भारत अभियान देश के 272 जिलों में 15 अगस्त 2020 (स्वतंत्रता दिवस) पर शुरू किया गया था, जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग से सबसे अधिक असुरक्षित और प्रभावित पाए गए थे।

इंटरनेशनल ड्रग्स डे क्यों मनाया जाता है?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर, 1987 को 26 जून के दिन को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त समाज बनाने के लक्ष्य की दिशा में कार्रवाई करना था।