नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे ठीक होते हैं - normal dileevaree ke taanke kaise theek hote hain

डिलीवरी के दौरान महिला को दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़ता है। ये अवस्था उस समय ज्यादा कठिन हो जाती है, जब स्मूथ डिलीवरी के लिए योनि में चीरा लगाया जाता है। वास्तव में चीरा अधिक पीड़ादायक होता है और इससे निपटना भी मुश्किल होता है। खैर, हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनसे आपको डिलीवरी के बाद चीरे के घाव को सही करने में मदद मिल सकती है। पढ़ें- डिलीवरी के बाद नई मां को ज़रूर खानी चाहिए ये 6 चीज़ें

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1) योनि वाले हिस्से को साफ और सूखा रखें

योनि वाले हिस्से को सेल्फ लुब्रिकेटिंग माना जाता है। इसलिए इस हिस्से में बैक्टीरिया अधिक फैलता है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा होता है। इसलिए कॉटन या वाइप से इस हिस्से को साफ करते रहें। इसके अलावा पानी से धोएं और सूखे टॉवल से साफ करें।

2) हवा लगने दें

चीरे के घाव में ताजा हवा लगने दें। लेकिन ऐसा दिनभर करना संभव नहीं है इसलिए रात में इनरवियर के बिना सोने की कोशिश करें। इससे घाव को जल्दी सही होने में मदद मिलेगी।

3) समय पर दवा लें

अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आप चिकित्सक द्वारा बताई दवाओं को सही समय पर लें। हालांकि डिलीवरी के बाद अधिक दवाओं के सेवन से बचें।

4) ज्यादा हिले-डुले नहीं

उठते-बैठते समय सावधानी बरतें। इस हिस्से पर दबाव बनने से दर्द तेज़ हो सकता है। बैठते समय पहले घुटने झुकाने की कोशिश करें और उठते समय भी पहले हाथों के सहारे बैलेंस बनाने की कोशिश करें। अगर संभव हो तो लंबे समय तक बैठने से पहले तकिया ज़रूर ले लें।

5) सेनेटरी पैड का उपयोग करें

योनि से खून बहना बंद होने के या घाव ठीक होने के बाद भी सेनेटरी पैड का उपयोग करें। अगर घाव से खून बहना शुरू हो जाता है, तो इससे आपको खून अवशोषित करने में मदद मिलेगी।

6) नाखून छोटे रखें

वास्तव में इस समस्या से निपटने के लिए आपको कई तरह की क्रीम लगाने के लिए दी जाती है, जिसे आपको अपने हाथों से प्रभावित हिस्से पर लगानी होती है। ऐसे में अगर आपके नाखून बड़े हैं तो, इस हिस्से में रगड़ लग सकती है। पढ़ें- क्या डिलीवरी के बाद सोंठ के लड्डू खाने चाहिए?

7) आइस पैक का उपयोग करें

कोल्ड पैक सर्जिकल घाव से निपटने का अच्छा तरीका है। इसे सैनिटरी पैड पर रखकर प्रभावित हिस्से पर रखें। इससे आपको घाव जल्दी सही करने में मदद मिलेगी।

8) पेशाब के दौरान गर्म पानी रखें

पेशाब के दौरान चीरे वाले घाव में बहुत दर्द होता है। दर्द कम करने के लिए पेशाब करते समय योनि पर गर्म पानी डालते रहें।

9) कब्ज़ से बचें

मल त्याग के दौरान दबाव पड़ने से घाव में अधिक दर्द हो सकता है। इसलिए कब्ज़ से बचने के लिए फाइबर से भरपूर चीजें खाएं।

योनि की दीवार आमतौर पर थोड़ी सी फट जाती है। टांकों की आवश्यकता इस दीवार को अधिक फटने और अन्य संभावित संक्रमण से बचाने के लिए होती है।

टांके आमतौर पर शुरुआत में पीड़ादायक होते हैं और ठीक होने के दौरान उनमें खुजली भी हो सकती है। प्रसव के बाद अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि टांकों में संक्रमण के कारण कोई समस्या न हो। एक सामान्य प्रसव के बाद, योनी में आमतौर पर दर्द और सूजन होती है। इसलिए इसे उबरने में मदद करने और टांकों को पूरी तरह ठीक करने के लिए उचित देखभाल आवश्यक है।

शिशु के जन्म के बाद टांके लगाने की आवश्यकता क्यों होती है?

प्रसव के समय, शिशु जननमार्ग या योनि से होकर आता है। हालांकि यह क्षेत्र काफी लचीला और शिशु के आकार के अनुसार विस्तृत हो सकता है, परन्तु कभीकभी शिशु को निकालने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में मूलाधार(गुदा और योनी के बीच का क्षेत्र) में क्षमता से अधिक खिंचाव होता है और वह थोड़ा फट भी सकता है। कुछ चीरे ऊपरी सतह पर होते हैं और वे प्राकृतिक रूप से ठीक हो सकते हैं। यद्यपि कुछ चीरे मांसपेशियों के ऊतकों तक पहुँच सकते हैं और उनमें काफी रक्तस्राव व दर्द हो सकता है। इसलिए, उनमें टांके लगाने की आवश्यकता होती है।

कुछ मामलों में, महिलाओं को भगछेदन (एप्सियोटॉमी) से गुजरना पड़ सकता है। भगछेदन एक शल्य चिकित्सकीय (ऑपरेशन द्वारा) चीरा होता है जो प्रसव के समय मूलाधार पर लगाया जाता है ताकि छेद बड़ा हो जाए व शिशु को आसानी से निकलने में मदद मिल सके और प्रसव के समय ऊतकों को फटने से बचाया जा सके। ऐसे मामलों में भी, टांके आवश्यक होते हैं।

चीरे में टांकों की आवश्यकता कब होती है?

प्रसव के दौरान ऊतकों का फटना एक आम बात है और यह विशेष रूप से पहली बार बनी मांओं में होता है। चीरे गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। इन्हें मोटे तौर पर चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

1. प्रथम श्रेणी के चीरे

कुछ चीरे मामूली होते है, वे बिना किसी उपचार के अपने आप ठीक हो सकते हैं। ऐसे चीरे सतह पर होते हैं क्योंकि वे केवल मूलाधार की त्वचा और योनि के छेद की बाहरी परत को प्रभावित करते हैं। उनमें अक्सर टांकों की आवश्यकता नहीं होती है और वे जल्द ही ठीक हो जाते हैं।

2. दूसरी श्रेणी के चीरे

कुछ चीरेत्वचा के नीचे की मांसपेशियों तक फैले हुए होते हैं। इनमें त्वचा की परत पर टांके लगाने की आवश्यकता होती है। यह आमतौर पर कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं।

3. तीसरी श्रेणी के चीरे

कुछ चीरे अधिक गंभीर होते हैं और मूलाधार के ऊतकों और मांसपेशियों से होते हुए अवरोधिनी गुदा (गुदा के आसपास की मांसपेशी) तक गहराई में पहुँच सकते हैं। इनमें निश्चित रूप से टांके लगाने की आवश्यकता होती है और साथ ही कुछ महीनों तक काफी दर्द भी हो सकता है। इन चीरों के कारण आपको गुदा असंयम(मल का अनायास निकालना) का खतरा हो सकता है।

4. चौथी श्रेणी के चीरे

यह अत्यधिक गंभीर चीरा होता है जो ऊतकों के मध्य से होते हुए गुदे के आसपास की मांसपेशियों और मलाशय तक गहरा हो सकता है। इसमें टांके लगाने के लिए एक छोटेऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है।

कुछ मामलों में, चीरा योनि के शीर्ष पर, मूत्रमार्ग के करीब हो सकता है। ये चीरे आमतौर पर बहुत छोटे होते हैं और इनमें कुछ ही टांके लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है या हो सकता है टांके न भी लगाने पड़ें। यह आमतौर पर मांसपेशियों तक नहीं जाते हैं इसलिए इन्हें ठीक होने में समय नहीं लगता है, इससे पेशाब करते समय आपको असुविधा हो सकती है।

टांके कैसे लगाए जाते हैं

नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे ठीक होते हैं - normal dileevaree ke taanke kaise theek hote hain

यदि यह एक मामूली चीरा है, तो आपको उसी कमरे में ही टांका लगाया जा सकता है जहाँ आपका प्रसव हुआ है। संबंधित क्षेत्र को सुन्न करने के लिए एक स्थानीय निश्चेतक (लोकल एनेस्थीसिया) का उपयोग करने के बाद प्रसूति विशेषज्ञ, “टांके लगाकरघाव को बंद कर देते है। अधिकतर, गलने वाले टांकों का उपयोग किया जाता है क्योंकि उन्हें उपचार के बाद निकालने की आवश्यकता नहीं होती है।

भगछेदन (एप्सियोटॉमी) या दूसरी से तीसरी श्रेणी के चीरों के मामलों में जहाँ घाव त्वचा से मांसपेशियों तक गहरा होता है, वहाँ मरीज को आमतौर पर एक ऑपरेशन थिएटर में स्थानांतरित किया जाता है। प्रसूति विशेषज्ञ क्षति के स्तर के आधार पर रीढ़ की हड्डी के माध्यम से स्थानिक निश्चेतक या कुछ मामलों में सार्वदैहिक निश्चेतक का उपयोग करके मूलाधार में टांकें लगा देते हैं। मूत्र को निकालने के लिए मूत्राशय में एक पतली नलिका (मूत्रशलाका) डाली जा सकती है, यह मूलाधार को जल्दी से ठीक होने के योग्य बनाती है। आमतौर पर, भगछेदन में लगाए जाने वाले टांकें सोखने योग्य या विलयनशील होते हैं।

इसे ठीक होने में कितना समय लगता है?

सामान्य प्रसव के टांकों में उपचार का समय आमतौर पर कम होता है, खासकर अगर अच्छी देखभाल की जाए तो। सामान्य भगछेदन में एक छोटा चीरा लगाया जाता है, जिस कारण प्रसव के 2-3 सप्ताह बाद घाव भरता है। लेकिन यह प्रक्रिया एक महिला से दूसरी महिला में भिन्न हो सकती है। इसके अलावा, चीरा जितना बड़ा होगा, उपचार का समय उतना ही अधिक हो सकता है। एक सप्ताह के बाद दर्द कम हो सकता है, लेकिन एक या उससे अधिक महीनों तक असुविधा रहती है।

अधिक गंभीर चीरा, जिसमें गहरे टांके लगते हैं उन्हें ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे टांकों को पूरी तरह से ठीक होने में 6 से 8 सप्ताह लग सकते हैं। इसमें लगभग एक महीने तक दर्द का अनुभव होता है। जब टांके ठीक होना शुरू होते है, उनमें अक्सर खुजली होती है। टांके ठीक हो रहें या नहीं यह जानने के लिए लगभग छठे सप्ताह में चिकित्सक से जांच करवाना अच्छा रहेगा।

संवेदनशील क्षेत्रों की कैसे करें देख–भाल ?

नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे ठीक होते हैं - normal dileevaree ke taanke kaise theek hote hain

सामान्य प्रसव के बाद टांके काफी दर्दनाक हो सकते हैं। कुछ चीजें जो आपको आराम पहुँचा सकती हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • ठंडे पानी के टब में बैठने से न केवल टांको में आराम मिल सकता है बल्कि सूजन भी कम हो जाती है। एक नर्म, साफ तौलिया से धीरेधीरे व थपथपाकर उस क्षेत्र को सुखाएं। वैकल्पिक रूप से, बर्फ की थैली या एक जेल पैक भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • बैठने के दौरान यदि आपको दर्द का अनुभव होता है, तो आप छल्ले (रिंग) के आकार वाले गोल तकिए या कुशन ले सकती हैं जो विशेष रूप से बैठने के दौरान आराम प्रदान करने के लिए ही बनाए गए हैं।

  • मलत्याग करते समय अपने मूलाधार पर पड़ने वाले दबाव को दूर करने के लिए, धीरे से अपने टांकों को साफ पैड से दबाएं।

  • यदि आपको पेशाब करते समय असुविधा महसूस होती है, तो जलन कम करने के लिए उस क्षेत्र पर गर्म पानी डालना उपयोगी रहेगा।

  • सामान्य प्रसव के टांकों में संक्रमण रोकने के लिए मूलाधार व योनि क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।

  • दर्द से राहत के लिए आप सुरक्षित दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन इस संबंध में पहले चिकित्सक से परामर्श लेना उचित है।

जल्द सुधार के लिए युक्तियां

यहाँ उन सुझावों की सूची दी गई है जो तेजी से सुधार लाने में मदद करती हैं:

  • चमेली का थोड़ा तेल टांकों पर लगाने से दर्द में राहत मिल सकती है क्योंकि चमेली के तेल में रोगाणुरोधक गुण होते है।

  • मूत्र त्याग करने के बाद प्रत्येक बार याद से योनि क्षेत्र को धोएं और अपने निचले भाग को आगे व पीछे से साफ करें।

  • प्रतिदिन, 10-15 मिनट के लिए ताजी हवा के संपर्क में आने से टांकों को तेजी से सूखने में मदद मिल सकती है।

  • केवल गर्म पानी और बिना सुगंधवाले कोमल साबुन से ही टांके साफ करें।

  • दिन में कुछ बार 15-20 मिनट के लिए गर्म पानी के एक टब में बैठना, दर्द को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

  • अपने आहार में बहुत सारी रेशेदार (फाइबर युक्त) चीजें शामिल करें, कब्ज़ से बचाव के लिए संतुलित भोजन करें और भरपूर पानी पिएं।

  • शौच के लिए भारतीय सीट के बजाय सुविधाजनक कमोड का उपयोग करने में समझदारी है ताकि टांकों पर अनावश्यक दबाव न पड़े।

  • नियमित रूप से कुछ दूरी तक सैर करना और श्रोणि क्षेत्र के व्यायाम/कीगल व्यायाम करना रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ तेजी से होता है।

  • शौचालय के उपयोग के बाद और पैड बदलने ले पहले, संक्रमण को फैलने से बचाने के लिए हाथों को अच्छी तरह से धोना आवश्यक है।

  • टांकों पर अनावश्यक दबाव से बचने के लिए भारी वजन उठाने और कठिन श्रम से बचें।

  • संभावित संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए योनि क्षेत्र को सूखा और स्वच्छ रखकर उचित स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • समयसमय पर प्रसूति पैड को बदलते रहें और ध्यान रखें कि उनके कारण टांकों पर रगड़ लगने से आपको परेशानी न हो।

क्या आप टांके लगवाने से बच सकते हैं?

अधिकांश चिकित्सक, सामान्य प्रसव के लिए भगछेदन (एप्सियोटॉमी) के विकल्प की सलाह देते हैं, विशेष रूप से पहली बार बनने वाली मांओं के लिए। फिर भी, यदि आप टांके नहीं लगवाना चाहती हैं, तो चिकित्सक से अपने विकल्पों के बारे में विस्तार से चर्चा करें।

कुछ चीजें प्रसव के दौरान एक गंभीर चीरे की संभावना कम करने में सहायक हो सकती हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन धीरेधीरे मूलाधार में मालिश करना, प्रसव के समय मूलाधार पर गर्म सेक लगाना। आप श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत करने और त्वचा को लचीला बनाने के लिए, अपने प्रसवपूर्व प्रशिक्षक से स्क्वॉट और श्रोणि क्षेत्र के व्यायाम/कीगल व्यायाम या योग के उचित तरीके सिखाने को भी कह सकती हैं।

क्या इससे भविष्य में समस्याएं होती हैं?

प्रसव के बाद टांकों की कैसे देखभाल की जाए यह समझना महत्वपूर्ण है ताकि वे सुरक्षित और पूरी तरह से ठीक हो जाएं। कुछ महिलाओं को संभोग के दौरान, दर्द का अनुभव हो सकता है। ऐसी स्थिति में, पहले टांकों का पूरी तरह ठीक होने का इंतजार करना बेहतर होगा। कुछ मामलों में, महिलाएं मूलाधार में लगातार दर्द, मल या मूत्र विनियमित करने में कठिनाई से परेशान हो सकती हैं। जैसी भी समस्या हो, उसे अपने स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल, पौष्टिक आहार और नियमित रूप से व्यायाम करके रोका जा सकता है। यदि इसके बाद भी समस्या बनी हुई हो तो उचित चिकित्सकीय सहायता लें।

स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कब लें?

अच्छी देखभाल के बावजूद, कभीकभी टांकों में कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। यदि आप निम्नलिखित लक्षण अनुभव करती हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होगा:

  • सामान्य प्रसव के टांकों में लगातार और गंभीर दर्द।
  • योनि क्षेत्र से दुर्गंध।
  • तेज बुखार और कंपकंपी।
  • पेशाब करते समय तीव्र जलन।
  • मल त्याग पर नियंत्रण का अभाव।
  • अनियंत्रित रक्तस्राव, विशेष रूप से उनमें खून के थक्के।
  • टांकों में अत्यधिक लालिमा/लालपन या सूजन।
  • टांकों से असामान्य रिसाव।

यह समझना मुश्किल नहीं है कि कई महिलाएं प्रसव के बाद टांके लगवाने से क्यों बचना चाहती हैं। लेकिन प्रसव के दौरान थोड़ा ऊतक फट ही जाता है और जन्म देने की प्रक्रिया में ऐसा होना सामान्य है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि तेजी से और पूरी तरह से ठीक होने के लिए पर्याप्त आराम करना और स्वस्थ रहना आवश्यक है।

नॉर्मल डिलीवरी के टांके कितने दिन में ठीक हो जाते हैं?

नॉर्मल डिलीवरी के बाद लगे टांकों को भरने में कम समय लगता है और अगर अच्‍छी देखभाल की जाए तो यह और जल्‍दी ठीक हो सकते हैं। वजाइनल डिलीवरी के बाद छोटा टांका लगा है, तो इसे ठीक होने में 2 से 3 हफ्तों का समय लगता है लेकिन हर महिला में यह प्रक्रिया अलग हो सकती है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद टांके टूट जाए तो क्या करें?

Read this in English..
योनि वाले हिस्से को साफ और सूखा रखें योनि वाले हिस्से को सेल्फ लुब्रिकेटिंग माना जाता है। ... .
हवा लगने दें चीरे के घाव में ताजा हवा लगने दें। ... .
समय पर दवा लें ... .
ज्यादा हिले-डुले नहीं ... .
सेनेटरी पैड का उपयोग करें ... .
नाखून छोटे रखें ... .
आइस पैक का उपयोग करें ... .
पेशाब के दौरान गर्म पानी रखें.

टांका कितने दिन में सूखता है?

डॉक्टरों के मुताबिक 6 से 7 दिन में टांके ठीक हो जाते हैं।

टांके सूखने के लिए क्या करें?

हल्दी को क्रीम या दही के साथ मिला दें जिससे कि एक पेस्ट तैयार हो सके. अब इस पेस्ट को टांके का निशान पर लगाएं और 10 से 15 मिनट के लिए इसके सूखने का इंतज़ार करें. फिर त्वचा को गर्म पानी से धो लें और फिर मॉइस्चराइज़र लगा लें. टांके का निशान को खत्म करने के लिए इस पेस्ट को पूरे दिन में दो बार दोहराएं.