Namvar singh biography in hindiNamvar singh – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के कवि नामवर सिंह के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नामवर सिंह के जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं । Show Image source – https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E नामवर सिंह के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – नामवर सिंह भारत के एक जाने-माने कवि थे । जिनका जन्म 28 जुलाई 1926 को जीयनपुर में हुआ था । जो उत्तर प्रदेश राज्य के चंदौली जिले में आता हैं । नामवर सिंह के दादाजी , जिनका नाम रामनाथ सिंह था । नामवर सिंह के दादाजी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह बहुत ही मेहनती किसान थे । जो सुबह उठकर गाय-भैंसों को नेहलाकर उनकी देखरेख करते थे । नामवर सिंह के पिताजी का नाम ठाकुर नागर सिंह था । जो भगवान की भक्ति करने में विश्वास रखते थे । उनके पिता के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि इनके पिता उनके जन्म से पहले सन्यासी बनना चाहते थे और सन्यासी बनने के लिए वह घर छोड़कर चले गए थे । जब वह जंगल में एक सन्यासी बनने के लिए गए तब उनको एक साधु महात्मा मिले और उनसे कहा कि तुम्हारा जन्म गृहस्थ जीवन जीने के लिए हुआ है । तुम अपने परिवार का भरण पोषण करो । नामवर सिंह के पिताजी साधु की बात मानकर घर वापस लौट आए थे और अपने परिवार का भरण पोषण करने लगे थे । उन्होंने घर आकर भगवान की भक्ति करना नहीं छोड़ा था । वह सुबह शाम भगवान की भक्ति करते थे ।इसके बाद इनके पिता जिस गांव में रहते थे उसी गांव के एक प्राइमरी स्कूल के अध्यापक बन गए थे । इनकी माता जी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उनकी माताजी लोकगीत गाने में रुचि रखती थी । इसीलिए इनकी माता की का सभी सम्मान करते थे । नामवर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा के बारे में – नामवर सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव के एक स्कूल प्राइमरी स्कूल से प्राप्त की थी । जिस स्कूल में उनके पिताजी एक शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे उसी स्कूल सेे उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी । जब वह प्राइमरी स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी कर चुके थे तब उन्होंने आगे की पढ़ाई करने का फैसला किया और पिता की इजाजत लेकर वह आगे की पढ़ाई करने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय मे पढ़ाई करने के लिए चले गए थे । जहां से उन्होंने ग्रेजुएशन करके m.a. की पढ़ाई करना प्रारंभ कर दिया था । m.a. की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इसी कॉलेज से पीएचडी करने लगे थे और हिंदी में उन्होंने पीएचडी कर डिग्री प्राप्त कर ली थी । नामवर सिंह के कैरियर के बारे में – नामवर सिंह भारत के जाने-माने कवि थे । जिन्होंने कई कविताएं लिखी हैं । जिन कविताओं की प्रशंसा आज भी की जाती है । उनके पिता उनको प्रारंभिक जीवन काल में उनको एक शिक्षक के तौर पर कार्यरत होते देखना चाहते थे । वह अपने पिता की इच्छा को पूरा करना चाहते थे । इसलिए वह निरंतर पढ़ाई करने में अपना ध्यान लगाते थे । जब उन्होंने पीएचडी कंप्लीट कर ली थी तब वह एक अध्यापक के तौर पर काम करने लगे थे । उनको सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब उनको 1950 में जोधपुर विश्वविद्यालय में हिंदी प्रोफेसर के तौर पर काम करने के लिए बुलाया गया था । उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय में 1950 से 1959 तक हिंदी प्रोफेसर और अध्यक्ष के पद पर रहकर कार्य किया था । इसके बाद वह निरंतर एक सफल अध्यापक बनते गए और इसके साथ-साथ वह कविताएं भी लिखते थे । 1970 में उनको आगरा विश्वविद्यालय हिंदी विद्यापीठ के प्रोफेसर एवं निर्देशक के रूप में नियुक्त किया गया था और आगरा विश्वविद्यालय में उन्होंने 1970 से 1974 तक कार्य किया था । इसके बाद 1974 में वह अध्यापन करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली चले गए और वहां पर वह भारतीय हिंदी केंद्र के संस्थापक और अध्यक्ष बन गए थे । 1965 में वह इसी कॉलेज में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नियुक्त किए गए थे । इस तरह से उन्होंने विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को शिक्षा देकर एक शिक्षक की भूमिका अदा की थी । नामवर सिंह की पुस्तकों के बारे में – नाम वीर सिंह के द्वारा कई पुस्तकें लिखी गई हैं । जिन पुस्तकों के नाम इस प्रकार से हैं । आलोचनात्मक पुस्तकें भी उनके द्वारा लिखी गई हैं । जिन पुस्तकों के नाम इस प्रकार से हैं । 1954 में उनके द्वारा आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां पुस्तक लिखी गई थी । 1955 में उनके द्वारा छायावाद पुस्तक लिखी गई थी । इसके बाद 1957 को उनके द्वारा इतिहास और आलोचना नामक पुस्तक लिखी गई थी । 1964 में उनके द्वारा कहानी नई कहानी पुस्तक लिखी गई थी । इसके बाद 1968 में उनके द्वारा कविता के नए प्रतिमान पुस्तक लिखी गई थी । इसके बाद 1982 में दूसरी परंपरा की खोज नामक पुस्तक भी उनके द्वारा लिखी गई थी । 1989 में उनके द्वारा वाद विवाद संवाद पुस्तक लिखी गई थी । आलोचनात्मक पुस्तकों के साथ-साथ उन्होंने साक्षात्कार पुस्तकें भी लिखी थी । जिन पुस्तकों के नाम इस प्रकार से हैं । 1994 में उनके द्वारा कहना ना होगा पुस्तक लिखी गई थी । 2006 में बात बात में बात पुस्तक उनके द्वारा लिखी गई थी । उन्होंने एक पत्र संग्रह पुस्तक भी लिखी थी । जिसका नाम काशी के नाम थी और वह पुस्तक उन्होंने 2006 में ही लिखी थी । 2005 में उन्होंने व्याख्यान पर एक पुस्तक लिखी गई थी । जिसका नाम आलोचना के मुख से था । कई और भी पुस्तकें उनके द्वारा लिखी गई हैं । जिनके नाम इस प्रकार से हैं । 2010 में उनके द्वारा कविता की जमीन और जमीन की कविता नामक पुस्तक लिखी गई थी । जिसकी प्रशंसा काफी की गई है । 2010 में हिंदी का गद्य पर्व पुस्तक भी उनके द्वारा लिखी गई है । 2010 में उनके द्वारा प्रेमचंद्र और भारतीय समाज पुस्तक भी लिखी गई है । 2010 में उनके द्वारा जमाने से दो-दो हाथ नामक पुस्तक भी लिखी गई थी ।2012 में उनके द्वारा सम्मुख पुस्तक भी लिखी गई है । 2012 में उनके द्वारा साहित्य की पहचान नामक पुस्तक भी लिखी गई है । 2012 में उनके द्वारा आलोचना और विचारधारा पर एक पुस्तक लिखी गई है । 2012 में साथ साथ पुस्तक भी उनके द्वारा लिखी गई है । इस तरह से नामवर सिंह के द्वारा कई पुस्तकें लिखी गई है । इसीलिए उनको रचनाएं , आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां , छायावाद , इतिहास , आलोचना के कवि और लेखक के रूप में सभी जानते हैं । नामवर सिंह को मिले सम्मान के बारे में – नामवर सिंह को उनके कई सुंदर लेख के लिए उनको 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था । इसके बाद वह 1991 में शलाका सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं ।1993 में भारत सरकार के द्वारा भूषण सम्मान भी उनको दिया जा चुका है ।
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नामवर के पिता का क्या नाम था?1967 से 'आलोचना' त्रैमासिक का संपादन शुरू किया. 1970 में राजस्थान में जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए और हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने. 1971 में 'कविता के नए प्रतिमान' पुस्तक पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला.
नामवर सिंह का जन्म कब हुआ था?28 जुलाई 1926नामवर सिंह / जन्म तारीखnull
नामवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?वाराणसी, भारतनामवर सिंह / जन्म की जगहnull
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