मुर्गी के बच्चे क्या खाकर बड़े होते हैं? - murgee ke bachche kya khaakar bade hote hain?

विषयसूची

  • 1 मुर्गी के बच्चे कितने दिन में बड़े हो जाते हैं?
  • 2 मुर्गे कैसे लड़ते हैं?
  • 3 देसी मुर्गी को क्या खिलाए?
  • 4 मुर्गियों में होने वाले रोग कौन कौन से हैं?

मुर्गी के बच्चे कितने दिन में बड़े हो जाते हैं?

इसे सुनेंरोकें25 दिन का होते-होते ही ये मुर्गे किसी चिकन सेंटर पर कटकर शौकीनों के खाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जानकार बताते हैं कि जनपद में 100 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म संचालक पंजाब व उत्तराखंड से ब्रायलर मुर्गे के 24 घंटे के बच्चे की खेप मंगवाते हैं।

इसे सुनेंरोकें25 दिन का होते-होते ही ये मुर्गे किसी चिकन सेंटर पर कटकर शौकीनों के खाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जानकार बताते हैं कि जनपद में 100 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म संचालक पंजाब व उत्तराखंड से ब्रायलर मुर्गे के 24 घंटे के बच्चे की खेप मंगवाते हैं। इन्हें महज दस दिन में दवा पिलाकर सवा किलो का बना दिया जाता है।

मुर्गे कैसे लड़ते हैं?

इसे सुनेंरोकें- वे मुर्गे को जंगलों में मिलने वाली जड़ी बूटियां खिलाते हैं जिससे उसकी स्फूर्ति और वार करने की क्षमता बढ़ जाती है। – मुर्गे को हिंसक बनाने के लिए गौर (बायसन) का पित्त भी खिलाया जाता है। – साप्ताहिक बाजार के एक हिस्से में गोल घेरा बनाकर मुर्गों की लड़ाई कराई जाती है, इस जगह को कुकड़ा गली कहते हैं।

मुर्गे को लड़ाकू कैसे बनाएं?

असील मुर्गो को ताकतवर कैसे बनाएं

  1. असील मुर्गो को ताकतवर बनाने के लिए इनको खाने में बादाम बादाम, कांजू दे सकते हैं
  2. इनके पैरों और पंखों की रोज मसाज की जाती है
  3. कुछ एंटीबायोटिक व विटामिन की दवाइयां भी दी जाती है जिससे इनके जख्म जल्दी ठीक हो जाते हैं

देसी मुर्गी कैसे पाले?

इसे सुनेंरोकेंमुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है। मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है लेकिन देशी मुर्गी को बेवसायीक हेतु पालने मे खर्च कम आता है क्योकि ईसको आहार मे केवल जरूरी पूरक आहार देते है।

देसी मुर्गी को क्या खिलाए?

इसे सुनेंरोकेंसबसे सामान्य मुर्गियों के आहारों में सोया, मकई, कपास के बीजों का मिश्रण होता है जिन्हें अक्सर अल्फल्फा के साथ मिलाया गया होता है। चूजों को स्टार्टर चारे की जरुरत होती है, जिसमें सामान्य तौर पर 20% प्रोटीन होता है और ये अक्सर कोकिडियोसिस के लिए औषधीय होते हैं।

मुर्गियों में होने वाले रोग कौन कौन से हैं?

मुर्गियों की सही बढ़ोत्तरी के लिए समय पर टीकाकरण के साथ आहार का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

  • बीमारी- मैरेक्स टीका- एच वी टी
  • बीमारी- रानीखेत टीका- एफ/बी—1.
  • बीमारी- रानीखेत टीका- आर 2 बी या आर डी कोल्ड वैक्सीन
  • बीमारी- गंबोरो
  • बीमारी- आईबी
  • बीमारी- फाउल पॉक्स या माता रोग
  • बीमारी- गंबोरो, रानीखेत एंव आई बी

मुर्गी के बच्चे की रेट क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक किलो चिकेन का औसतन रेट 200 रुपए प्रति किलो मानें तो 40 दिनों बाद दो किलो का एक चूजा करीब 400 रुपए का हो जाएगा। इस दौरान एक चूजे की देखरेख और खान-पान पर करीब 150 रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में अगर आपने 1500 चूजे तैयार किये हैं तो 40 दिनों बाद इनसे 06 लाख रुपए तैयार हो जाएंगे। इन पर खर्च 2,25000 रुपए का आएगा।

कड़कनाथ मुर्गा कितने दिन में तैयार हो जाता है?

इसे सुनेंरोकेंतीन-चार महीने में मुर्गा तैयार हो जाता है। सचिन बताते हैं, “कड़कनाथ मुर्गे की अच्छी मांग होती है।

मुर्गियों को चारा देना – मुर्गियां क्या खाती हैं

जैसा कि कई मवेशी वर्गों के संबंध में होता है, यहाँ भी “चारा बनाम व्यावसायिक आहार” की बहस जारी है। “चारे” के समर्थक दावा करते हैं कि कीड़ों, कीट, रेत और छोटे पत्थरों से निर्मित चारा मुर्गियों का प्राकृतिक आहार है, जिसमें वो सभी चीजें शामिल होती हैं जिन्हें वे प्लेट पर रखकर परोसने के बजाय खुद खोजती हैं। घूमना और खाना खोजना बहुत महत्वपूर्ण है और मुर्गियों के स्वास्थ्य से अत्यधिक संबंधित है। चारे में हम पौधों की व्यापक श्रृंखला को शामिल करते हैं: घास, दूब, अल्फल्फा (मेडिकागो सैटिव), कासनी, फलियां, ब्रासिका इत्यादि। चारे की विविधता उस क्षेत्र में ग्रहण किये जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से संबंधित होती है (खाद्य पदार्थ की विविधता जितनी ज्यादा होती है – यह उतना ही बेहतर होता है)। कई मुर्गी पालक इस बात का समर्थन करते हैं कि यदि वर्ष भर खेत में पर्याप्त मात्रा में चारा मौजूद होता है तो मुर्गियों को खाने के लिए चारे, फूस और मकई के दाने के अलावा कुछ और देने की जरुरत नहीं होती है। कई किसान मुर्गियों के फ्रेम का प्रयोग करते हैं क्योंकि इससे छोटे स्थान में मुर्गियों को आसानी और सहजता से ताज़ा घास दी जा सकती है। मुर्गियों के फ्रेम वास्तव में तार वाले कपड़े से सुरक्षित उभरी हुई क्यारियां होती हैं। मुर्गियां तने के ऊपरी भाग को खा सकती हैं, जबकि पौधों की जड़ें सुरक्षित रहती हैं, ताकि थोड़े दिन में पौधे दोबारा बढ़ सकें।

लेकिन, अपनी मुर्गियों को कोई अज्ञात पौधे खाने देना सुरक्षित नहीं होता है। मुर्गी पालन करते समय, आपको अपने खेत से किसी भी नाइटशेड पौधे (टमाटर, आलू, बैंगन आदि) को हटाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसकी पत्तियां और अन्य भाग मुर्गियों के लिए जहरीले होते हैं। अन्य सजावटी पौधों (अज़ली) और झाड़ियों को भी मुर्गियों के लिए विषाक्त पाया गया है और एक छोटी पत्ती खाने पर भी उनकी जान को खतरा हो सकता है।

यद्यपि, प्रचुर और विविध वनस्पतियों वाला खेत खाने का एक बेहतरीन स्रोत है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखें कि सर्दी के ठंडे दिनों के दौरान, इसकी बहुत संभावना होती है कि ज्यादातर समय मुर्गियां अपने दरबे से बाहर नहीं निकलेंगी, भले ही आपके खेत में बहुत सारी वनस्पति हो और भले ही आप दरबे का दरवाज़ा खुला छोड़ दें। परिणामस्वरूप, ज्यादातर मामलों में मुर्गियों को पर्याप्त प्रोटीन स्तरों और फाइबर वाला संतुलित पोषक चारा देने के लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में मुर्गियों का व्यावसायिक आहार होना जरुरी होता है।

सबसे सामान्य मुर्गियों के आहारों में सोया, मकई, कपास के बीजों का मिश्रण होता है जिन्हें अक्सर अल्फल्फा के साथ मिलाया गया होता है। चूजों को स्टार्टर चारे की जरुरत होती है, जिसमें सामान्य तौर पर 20% प्रोटीन होता है और ये अक्सर कोकिडियोसिस के लिए औषधीय होते हैं। अंडे देने वाली मुर्गियों को ऊर्जा देने के लिए स्क्रैच का प्रयोग किया जाता है, जो मुख्य रूप से घास खाती हैं। स्क्रैच आमतौर पर छीले हुए भुट्टे और साबुत गेहूं से बनाया जाता है और सर्दी के मौसम में मुर्गियों को गर्म रखने के लिए उचित आहार होता है। अंडों के लिए मुर्गी पालन करते समय, अन्य चारों सहित कैल्शियम की उच्च मात्रा से युक्त दाने देना एक सामान्य प्रक्रिया है। जब हम मांस के लिए मुर्गी पालन करते हैं तो हम उनकी वृद्धि को तेज करने के लिए आमतौर पर उनके आहार (20% तक प्रोटीन वाला) में ज्यादा अनाज (गेहूं, बाजरा और ज्वार का आटा) डालते हैं।

आजकल, दाना बनाया गया चारा मुर्गी पालकों के बीच बहुत प्रसिद्ध हो गया है। इसका कारण यह है कि इस चारे से मुर्गियों को अपने प्रयोग, विकास स्तर और जरूरतों के आधार पर पोषक तत्वों का एक उचित मिश्रण प्राप्त होता है। इसलिए, मुर्गियों को बाकी के चारे को छोड़कर अपनी पसंद का चारा खाने का मौका नहीं मिलेगा। लेकिन, जो किसान अपनी मुर्गियों को दाने देते है वो भी आमतौर पर उनके आहार में थोड़ी मात्रा में अनाज शामिल करते हैं। इसका कारण यह है कि साबुत अनाज खाने से मुर्गियों के पेट का एक संवेदनशील हिस्सा सक्रिय होता है, जो मुर्गियों के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित पाया गया है। इस बात को ध्यान में रखें कि जब आपकी मुर्गियां खाना नहीं ढूंढती हैं तो उनके लिए कंकरी भी जरुरी है। कंकरी (मिट्टी, रेत और कंकड़) पाचन में बहुत मदद करता है क्योंकि मुर्गियों के दांत नहीं होते हैं। यदि आपकी मुर्गियां बाहर घूमकर चारा खाती हैं तो निश्चित रूप से वे मैदान में कंकरी खाएंगी, इसलिए आपको उनके आहार में अतिरिक्त कंकरी डालने की जरुरत नहीं होती है।

अंत में, मुर्गियों के लिए दिन के 24 घंटे पानी उपलब्ध होना चाहिए। हम दरबे में और मैदान में 2-3 स्थानों पर पानी पीने के स्थिर बर्तन रख सकते हैं।

आप मवेशियों के लिए जहरीले पौधों के बारे में और अधिक पढ़ सकते हैं।

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मुर्गियों से संबंधित प्रश्न और उत्तर

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मुर्गी के बच्चों को बड़ा करने के लिए क्या खिलाना चाहिए?

प्रोबायोटिक्स एक ऐसा केमिकल पाउडर है, जिसका इस्तेमाल मुर्गियों का वजन बढ़ाने के लिए होता है। इसे चारा में मिलाकर चूजे को दिया जाता है। इसमें लैक्टो बैसिलस और कुछ अन्य जीवाणु होते हैं जो चूजे के आकार को तेजी से बढ़ाते हैं।

मुर्गी क्या खाने से बढ़ती है?

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि मुर्गे का वजन बढ़ाने के लिए प्रोबायोटिक्स का प्रयोग किया जाता है और दही के अंदर भी प्रोबायोटिक्स ‌‌‌होते हैं। इस वजह से दही काफी फायदेमंद होता है।

मुर्गी के बच्चे क्या खाना पसंद करते हैं?

एक चूजे के लिए 0-8 सप्ताह की आयु तक स्टाटर आहार 8-20 सप्ताह की आयु तक ग्रोवर आहार और खाद में लेयर दाना देना चाहिये। क्योंकि उम्र के आधार पर मु्र्गी के शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों जैसे प्रोटीप वसा के लिए मिनिरल्स और विटामिन की आवश्यकता अलग होती है। एक चूजे को मुर्गी बनने के लिए लगभग 13 किलो दाने की आवश्यकता होती है।

मुर्गी के बच्चे कितने दिन में बड़े हो जाते हैं?

देशी मुर्गे की तरह वह एक साल में नहीं महज 24 दिन में ही तैयार हो जाता है।

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