Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Course B Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam. निर्धारित समय : 3
घंटे सामान्य निर्देश: खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40) अपठित गद्यांश (अंक
10)
प्रश्न 1. इन्हीं कारणों से भारतीय संस्कृति में नारी को गृहलक्ष्मी, गृहदेवी, अर्धांगिनी आदि कहा गया है। मनु ने मनुस्मृति में कहा है- ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता।’ पुरातन युग में नारी को श्रद्धा तथा विश्वास का रूप समझा जाता था। वह किसी भी क्षेत्र में पुरुष से पीछे नहीं थी। यहाँ तक कि यज्ञ की सफलता के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का उसमें समान रूप से भाग लेना आवश्यक माना जाता था। कुछ स्त्रियाँ तो रणभूमि में जाकर भी अपने पतियों
की सहायता किया करती थीं। पृथ्वी की-सी क्षमता, सूर्य-जैसा तेज, समुद्र की-सी गंभीरता, चंद्रमा की-सी शीतलता आदि गुणों के कारण नारी घर में तथा घर के बाहर भी सम्मान की अधिकारिणी थी। शकुंतला, सीता, अनुसूया, दमयंती, सावित्री, गार्गी आदि इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। (i) समाज रूपी गाड़ी के पहिए कौन हैं? (ii) भारतीय संस्कृति में नारी को निम्नलिखित में से क्या नहीं
कहा गया है? (iii) ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता’ कथन का अर्थ है (iv) निम्नलिखित में से कौन-सा गुण है, जो नारी के सम्मान के योग्य नहीं है? (v) पुरातन युग में नारी को क्या समझा जाता था? अथवा वाणी प्राणी की पहचान है। जिस प्रकार कौवा और
कोयल की पहचान उसकी वाणी से हो जाती है, उसी प्रकार किसी व्यक्ति के आचार-व्यवहार तथा स्वभाव की परख उसकी वाणी द्वारा हो जाती है। मीठी वाणी दूसरों को अधीन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, या यूँ कहें यह एक प्रकार से औषधि का काम करती है। जब हम मीठी वाणी का श्रवण करते हैं तब हमारा हृदय प्रसन्न हो जाता है। सज्जन सदा मधुर वाणी का ही प्रयोग करते हैं, जबकि दुर्जनों की वाणी कटु और कर्कश होती है। मीठी वाणी शत्रु को भी मित्र बना सकती है, निराश व्यक्तियों में आशा-उत्साह का संचार कर सकती है।
कटु वाणी हृदय में काँटे की तरह चुभती है। इससे अपने भी पराए हो जाते हैं। इतना ही नहीं, कटु वाणी लड़ाई-झगड़ा यहाँ तक कि बड़े-बड़े युद्धों का कारण भी बन जाती है। द्रौपदी के कटु वचन महाभारत का कारण बने। ऐसा माना जाता है जिस व्यक्ति ने अपनी वाणी को वश में कर लिया, उसने मानव संसार पर विजय प्राप्त कर ली अर्थात सब कुछ पा लिया। इसलिए जीवन में सदैव मीठी वाणी बोलनी चाहिए। (i) प्राणी की पहचान किससे होती है? (ii) दुर्जनों की वाणी होती है (iii) महाभारत का कारण था, द्रौपदी के (iv) मीठी वाणी निराश व्यक्तियों के मन में किसका संचार करती है? ” (v) कैसा
व्यक्ति सारे संसार पर विजय प्राप्त कर सकता है? प्रश्न 2. मनुष्य अपने भविष्य के बारे में चिंतित है। सभ्यता की अग्रगति के साथ ही चिंताजनक अवस्था उत्पन्न होती जा रही है। इस व्यावसायिक युग में उत्पादन की होड़ लगी है। कुछ देश विकसित कहे जाते हैं, कुछ विकासोन्मुख। विकसित देश वे हैं जहाँ अत्याधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग हो रहा है। ऐसे देश नाना प्रकार की सामग्री का उत्पादन करते हैं और उस सामग्री की खपत के लिए बाज़ार ढूँढते रहते हैं। अत्यधिक उत्पादन क्षमता के कारण ही यह देश विकसित और अमीर हैं। यह सभी जानते हैं कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। उनकी कृपा से संसार के मनुष्य एक-दूसरे के निकट आ गए हैं, अनेक पुराने संस्कार जो गलतफ़हमी पैदा करते थे, समाप्त होते जा रहे हैं। मनुष्य को निरोग, दीर्घ जीवी और सुसंस्कृत बनाने में अनगिनत साधन बढ़े हैं, फिर भी मनुष्य चिंतित है। जो अंधाधुंध प्रकृति के मूल्यवान भंडारों की लूट मचाकर आराम और संपन्न्ता प्राप्त कर रहे हैं, वे बहुत परेशान नहीं हैं। वे यथास्थिति भी बनाए रखना चाहते हैं और यदि संभव हो तो अपनी व्यक्तिगत, परिवारगत और जातिगत संपन्नता अधिक-से-अधिक बढ़ा लेने के लिए परिश्रम भी कर रहे हैं। ऐसे सुखी लोग ‘मनुष्य का भविष्य’ जैसी बातों के कारण परेशान नहीं हैं, पर जो लोग अधिक संवेदनशील हैं और मनुष्य जाति को महानाश की ओर बढ़ते देखकर विचलित हो उठते हैं, वे ही परेशान हैं। (i) विकसित और अमीर देश वे हैं जिनकी (ii) संसार के मनुष्य एक-दूसरे के निकट आ रहे हैं, कैसे? (iii) मनुष्य चिंतित है (iv) भविष्य को लेकर विचलित और परेशान हैं (v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा अथवा मानव जीवन में आत्मसम्मान का अत्यधिक महत्व है। आत्मसम्मान में अपने व्यक्तित्व को अधिक सशक्त एवं प्रतिष्ठित बनाने की भावना निहित होती है। इससे शक्ति, साहस, उत्साह आदि गुणों का जन्म होता है जो जीवन की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आत्मसम्मान की भावना से पूर्ण व्यक्ति संघर्षों की परवाह नहीं करता है और हर विषम परिस्थिति से टक्कर लेता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में पराजय का मुँह नहीं देखते तथा निरंतर यश की प्राप्ति करते हैं। आत्मसम्मानी व्यक्ति धर्म, सत्य, न्याय और नीति के पथ का अनुगमन करता है। उसके हृदय में स्वार्थ, लोभ और अहंकार का भाव नहीं होता, निश्चल होने के कारण वह आसुरी प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त होता है। उसमें ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति एवं विश्वास होता है जिससे उसकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। जीवन को सरल और मधुर बनाने के लिए आत्मसम्मान रसायन-तुल्य है। आत्मसम्मान ही ऐसी निर्मल धारा है जोकि हमारी कलुषित भावना को धो देती है। ऐसी पवित्र धारा में स्नान करके हम अपने वर्तमान और भविष्य को उज्ज्वल बना लेते हैं। देश को हम पर अभिमान होता है। हमारी आत्मा में सुख और शांति बनी रहती है। हमारे साथी हमें विश्वास की दृष्टि से देखते हैं। समाज में हमें सम्मान प्राप्त होता है। इसी के बल पर हम अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा कर सकते हैं। इसी के कारण सफलता हमारे कदमों को चूमती रहती है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए। (i) आत्मसम्मान से किन गुणों का जन्म होता है? (ii) आत्मसम्मानी किस पथ के अनुगामी होते हैं? (iii) निश्चल होने से स्वाभिमानी व्यक्ति को क्या लाभ होता है? (iv) आत्मसम्मान की भावना से पूर्ण व्यक्ति किसकी परवाह नहीं करता? (v) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16) प्रश्न 3. (ii) निम्नलिखित में से कौन-सा रेखांकित पदबंध संज्ञा पदबंध है? (iii) कौन-सा रेखांकित पदबंध क्रिया पदबंध नहीं है? (iv) ‘मोहन घर से लौटकर कहने लगा कि उसका मन नहीं लग रहा है।’ इस वाक्य में रेखांकित पदबंध है (v) रेखांकित पदबंधों में से कौन-सा पदबंध संज्ञा पदबंध है? प्रश्न 4. (ii) ‘तेज़ वर्षा हुई। नदी में बाढ़ आ गई।’ इन वाक्यों से बना मिश्रित वाक्य है (iii) दिए गए वाक्यों में संयुक्त वाक्य है (iv) ‘सुरेश सुबह उठा। उसने चाय पी।’ इन वाक्यों से बना संयुक्त वाक्य है (v) दिए गए वाक्य में सरल वाक्य है प्रश्न 5. (ii) ‘भवरूपी सागर’ का समस्तपद है (iii) ‘मालगाड़ी’ समस्तपद का विग्रह है (iv) ‘दाल और चावल’ में समास है (v) बहुव्रीहि समास के विग्रह का उदाहरण है प्रश्न 6. (ii) ‘पत्थर की लकीर’ मुहावरे का अर्थ है (iii) आज सब्जियों के दाम .. हैं। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान पूर्ण करें। (iv) इस नेता को .. . खूब आता है। पाठ्यपुस्तक (अंक 14) प्रश्न 7. हरि आप हरो जन री भीर। (i) मीरा अपने प्रभु से प्रार्थना कर रही हैं (ii) पद के अनुसार हरि ने किस-किस के कष्टों को दूर किया? (iii) द्रौपदी की लाज रखने के लिए प्रभु ने क्या चमत्कार दिखाया? (iv) कृष्ण ने नरहरि का रूप धारण क्यों किया? प्रश्न 8. ग्वालियर में हमारा एक मकान था। उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। उसमें कबूतर के एक जोड़े ने अपना घोंसला बना रखा था। एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया। मेरी माँ ने ये सब देखा तो उसे दुख हुआ। उसने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश में दूसरा अंडा उसी के हाथ से गिरकर टूट गया। कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। उनकी आँखों में दुख देखकर मेरी माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस गुनाह को खुदा से मुआफ कराने के लिए उसने पूरे रोज़ा रखा। दिन भर कुछ खाया-पिया नहीं। सिर्फ रोती रही और बार-बार नमाज़ पढ़-पढ़कर खुदा से इस गलती को मुआफ़ करने की दुआ माँगती रही। (i) बरामदे में कितने रोशनदान थे? (ii) रोशनदान में किसने अपना घोंसला बना रखा था? (iii) पहला अंडा किसने तोड़ा था? (iv) कबूतरों का जोड़ा परेशान होकर इधर-उधर क्यों फड़फड़ाने
लगा? (v) लेखक की माँ ने कैसे प्रायश्चित किया? प्रश्न 9. मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया था, लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में वह जल्दबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भवन की बुनियाद बहुत मजबूत डालना चाहते थे, जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने। मैं छोटा था, वे बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून सम । (i) लेखक और उनके भाई में कितने साल का अंतर था? (ii) लेखक के भाई तालीम के महत्व के बारे में क्या पसंद नहीं करते थे? (iii) लेखक की देखभाल और निगरानी का पूरा जिम्मा बड़े भाई साहब पर
क्यों था? (iv) लेखक के बड़े भाई एक साल का काम कितने साल तक करना पसंद करते थे? (v) बुनियाद का अर्थ है खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40) पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 14) प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. लेखन (अंक 26) प्रश्न 13.
(ख) विज्ञान : लाभ और हानियाँ
(ग) साहित्य और समाज संकेत बिंदु-
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. लेखक अपने बड़े भाई के हुक्म को कानून समझने में शालीनता समझता था ऐसा क्यों स्पष्ट कीजिए?Solution : बड़ा भाई बड़े होने के नाते लेखक पर निगरानी रखता है।
लेखक के अनुसार बड़े भाई की रचनाओं को समझना छोटा मुँह बड़ी बात थी कैसे?लेखक के अनुसार बड़े भाई की रचनाओं को समझना छोटा मुँह बड़ी बात थी। कैसे? उत्तर- छोटे भाई का कथन है कि बड़े भाई साहब स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे।
लेखक अपने भाई की बराबरी चाह कर भी नहीं कर सकता था क्यों?यह देखकर लेखक को बड़े भाई साहब पर दया आने लगी अब सिर्फ एक ही कक्षा का अंतर दोनों में रह गया था। भाई बोला मैं तुम से 5 साल बड़ा हूं। तुम मेरे तजुर्बे की बराबरी नहीं कर सकते। तुम चाहे कितनी पढ़ाई क्यों ना कर लो समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती है।
लेखक को समझाने की भाई साहब की नई युक्ति क्या थी?लेखक की समझदारी इसी में थी कि वह उनके हर आदेश को कानून समझें और हर आज्ञा का पालन करें । वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर ,किताब के हाशियों पर चिड़ियों ,कुत्तों ,बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे।
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