कवि परिचय जीवन परिचय-कुंवर नारायण आधुनिक हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनका जन्म 19 सितंबर, सन 1927 को फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पूरी की। इन्होंने अनेक देशों की यात्रा की है। कुंवर नारायण ने सन 1950 के आस-पास काव्य-लेखन की शुरुआत की।
इन्होंने चिंतनपरक लेख, कहानियाँ सिनेमा और अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखी हैं। इन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है; जैसे-कबीर सम्मान, व्यास सम्मान, लोहिया सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा केरल का कुमारन आशान पुरस्कार आदि। रचनाएँ-ये ‘तीसरे सप्तक’ के प्रमुख कवि हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं- काव्यगत विशेषताएँ-कवि ने कविता को अपने सृजन कर्म में हमेशा प्राथमिकता दी। आलोचकों का मानना है कि “उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध की बजाय संयम, परिष्कार और साफ-सुथरापन है।” कुंवर जी नारायण नगरीय संवेदना के कवि हैं। इनके यहाँ विवरण बहुत कम हैं, परंतु वैयक्तिक तथा सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता में सामने आता है। इनकी तटस्थ वीतराग दृष्टि नोच-खसोट,
हिंसा-प्रतिहिंसा से सहमे हुए एक संवेदनशील मन के आलोडनों के रूप में पढ़ी जा सकती है। भाषा-शैली-भाषा और विषय की विविधता इनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं। इनमें यथार्थ का खुरदरापन भी मिलता है और उसका सहज सौंदर्य भी। सीधी घोषणाएँ और फैसले इनकी कविताओं में नहीं मिलते क्योंकि जीवन को मुकम्मल तौर पर समझने वाला एक खुलापन इनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है। कविताओं का प्रतिपादय एवं सार प्रतिपादय-‘कविता के बहाने’ कविता कवि के कविता-संग्रह ‘इन दिनों’ से ली गई है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है। सार-यह कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है,
फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो। (ख) बात सीधी थी पर प्रतिपादय-यह कविता ‘कोई दूसरा नहीं’ कविता-संग्रह
से संकलित है। इसमें कथ्य के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं, उन सबके भी अपने अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या अतिरिक्त मेहनत की जरूरत नहीं होती, वह सहूलियत के साथ हो जाता है। सही बात को सही शब्दों के माध्यम से कहने से ही रचना
प्रभावशाली बनती है। सार-कवि का मानना है कि बात और भाषा स्वाभाविक रूप से जुड़े होते हैं। किंतु कभी-कभी भाषा के मोह में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। मनुष्य अपनी भाषा को टेढ़ी तब बना देता है जब वह आडंबरपूर्ण तथा चमत्कारपूर्ण शब्दों के माध्यम से कथ्य को प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। अंतत: शब्दों के चक्कर में पड़कर वे कथ्य अपना अर्थ खो बैठते हैं। अत: अपनी बात सहज एवं व्यावहारिक भाषा में कहना चाहिए ताकि आम लोग कथ्य को भलीभाँति समझ सकें। व्याख्या एवं
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1. कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने इस धर, उस घर शब्दार्थ-माने-अर्थ।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘कविता के बहाने’ से उद्धृत है। इसके रचयिता कुंवर नारायण हैं। कवि कविता की यात्रा के बारे में बताता है, जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। कवि का मानना है कि रचनात्मक ऊर्जा पर सीमा के बंधन लागू नहीं होते। विशेष– प्रश्न (क) ‘कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने’-पक्ति का भाव बताइए। उत्तर – (क) इस पंक्ति का अर्थ यह है
कि चिड़िया को उड़ते देखकर कवि की कल्पना भी ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगती है। वह रचना करते समय कल्पना की उड़ान भरता है। 2. कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने शब्दार्थ-महकना-सुगंध बिखेरना। फूल कुछ समय के लिए खिलते हैं, खुशबू फैलाते हैं, फिर मुरझा जाते हैं। उनकी परिणति निश्चित होती है। वे घर के अंदर-बाहर,
एक घर से दूसरे घर में अपनी सुगंध फैलाते हैं, परंतु शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। कविता बिना मुरझाए लंबे समय तक लोगों के मन में व्याप्त रहती है। इस बात को फूल नहीं समझ पाता। विशेष- प्रश्न (क) ‘कविता एक
खिलन हैं, फूलों के बहाने’ ऐसा क्यों? उत्तर – (क) कविता फूलों के बहाने खिलना है क्योंकि फूलों को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो जाता है। उसके मन में कविता फूलों की भाँति विकसित होती जाती है। 3. कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘कविता के बहाने’ से उद्धृत है। इसके रचयिता कुंवर नारायण हैं। कवि कविता की यात्रा के बारे में बताता है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। बच्चों के लिए सभी घर एक समान होते हैं। वे खेलने के समय अपने-पराये में भेद नहीं करते। इसी तरह कवि अपने शब्दों से अांतरिक व बाहरी संसार के मनोभावों को रूप प्रदान करता है। वह बच्चों की तरह बेपरवाह है। कविता पर कोई बंधन लागू नहीं होता। विशेष-
प्रश्न (क) कविता को क्या सज्ञा दी गई हैं? क्यों? उत्तर – (क) कविता को खेल की
संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन व आत्मसंतुष्टि होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से मनोरंजन करती है तथा रचनाकार को संतुष्टि प्रदान करती है।
(घ) बच्चा सभी घरों को एक समान करने के बहाने जानता है। (ख) बात सीधी थी पर…… 1. बात सीधी थी पर एक बार घुमाया फिराया शब्दार्थ-सीधी-सरल, सहज। चक्कर-प्रभाव। टेढ़ा फैसना-बुरा फँसना। येचीदा-कठिन, मुश्किल। व्याख्या-कवि कहता है कि वह अपने मन के भावों को सहज रूप से अभिव्यक्त करना चाहता था, परंतु समाज की प्रकृति को देखते हुए उसे प्रभावी भाषा के रूप में प्रस्तुत करना चाहा। पर भाषा के चक्कर में भावों की सहजता नष्ट हो गई। कवि कहता है कि मैंने मूल बात को कहने के लिए शब्दों, वाक्यांशों, वाक्यों आदि को बदला। फिर उसके रूप को बदला तथा शब्दों को उलट-पुलट कर प्रयोग किया। कवि ने कोशिश की कि या तो इस प्रयोग से उसका काम बच जाए या फिर वह भाषा के उलट-फेर के जंजाल से मुक्त हो सके, परंतु कवि को कोई भी सफलता नहीं मिली। उसकी भाषा के साथ-साथ कथ्य भी जटिल होता गया। विशेष-
प्रश्न (क) ‘भाषा के चक्कर” का तात्पय बताइए। उत्तर – (क) ‘भाषा के चक्कर’ से तात्पर्य है-भाषा को जबरदस्ती अलंकृत करना। 2. सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना क्योंकि इस करतब पर मुझे शब्दार्थ-मुश्किल-कठिन। धैर्य-धीरज। पेंच-ऐसी कील जिसके आधे भाग पर चूड़ियाँ बनी होती हैं, उलझन। बेतरह-बुरी
तरह। करतब-चमत्कार। तमाशवन-दर्शक, तमाशा देखने वाले। शाबाशी-प्रशंसा, प्रोत्साहन। व्याख्या-कवि कहता है कि जब उसकी बात पेचीदा हो गई तो उसने सारी समस्या को ध्यान से नहीं समझा। हल ढूँढ़ने की बजाय वह और अधिक शब्दजाल में फैस गया। बात का पेंच खुलने के स्थान पर टेढ़ा होता गया और कवि उसे अनुचित रूप से कसता चला गया। इससे भाषा और कठिन हो गई। शब्दों के प्रयोग पर दर्शक उसे प्रोत्साहन दे रहे थे, उसकी प्रशंसा कर रहे थे। विशेष-
प्रश्न (क) कवि की क्या कमी थी? उत्तर – (क) कवि ने अपनी समस्या को ध्यान से नहीं समझा। वह धैर्य खो बैठा। 3. आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था परअंदर से शब्दार्थ-जोर-बल । चूड़ी मरना-पेंच कसने के लिए बनी चूड़ी का नष्ट होना, कथ्य का
मुख्य भाव समाप्त होना। कसाव-खिचाव, गहराई। सहूलियत-सहजता, सुविधा। बरतना-व्यवहार में लाना। अंत में, कवि जब अपनी बात को स्पष्ट नहीं कर सका तो उसने अपनी बात को वहीं पर छोड़ दिया जैसे पेंच की चूड़ी समाप्त होने पर उसे कील की तरह ठोंक दिया जाता है। विशेष-
प्रश्न (क) बात की चूड़ी मर जाने और बेकार घूमने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता हैं? उत्तर – (क) जब हम पेंच को जबरदस्ती कसते चले जाते हैं तो वह अपनी चूड़ी खो बैठता है तथा स्वतंत्र रूप से घूमने लगता है। इसी तरह जब किसी बात में जबरदस्ती शब्द ढूँसे जाते हैं तो वह अपना प्रभाव खो बैठती है तथा शब्दों के जाल में उलझकर रह जाती है। काव्य-सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1. कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने इस घर, उस घर प्रश्न (क) काव्यांश के कथ्य के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए। उत्तर – (क) कवि ने चिड़िया की उड़ान से कविता की तुलना की है जो बहुत सुंदर बन पड़ी है। उसने कविता की उड़ान को बंधनमुक्त माना है। चिड़िया कविता की उड़ान के विषय में कुछ नहीं जान सकती। 2. कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने कविता एक खेल है बच्चों के बहाने प्रश्न (क) कविता रचने और फूल के खिलने में क्या समानता है? उत्तर – (क) कविता फूल की तरह खिलती व विकसित होती है। फूल विकसित होने पर अपनी खुशबू चारों तरफ बिखेरता है, उसी प्रकार कविता अपने विचारों व रस से पाठकों के मनोभावों को खिलाती है। (ख) बात सीधी थी पर….. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- जोर जबरदती से न तो उसमें कसाव था प्रश्न (क)
रचनाकार के सामने कथ्य और माध्यम की क्या समस्या थी? उत्तर – (क) रचनाकार का कथ्य सरल व प्रभावी था। वह अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहना चाहता था, परंतु वह वक्र शैली के चक्कर में उलझ गया तथा शब्दों के जाल में उलझकर रह गया। पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न कविता के साथ प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न
3: प्रश्न
4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: उत्तर – कविता के आसपास
उत्तर –
व्याख्या कीजिए-
उत्तर – व्याख्या–भाग देखिए। चर्चा कीजिए-
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें। आपसदारी प्रश्न 1: प्रश्न
2: अन्य हल प्रश् प्रश्न 1: प्रश्न
2: प्रश्न 3:
प्रश्न 4: (ख) बात सीधी थी पर’ प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: स्वयं करें
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था (क) बात की चूड़ी मरने का आशय स्पष्ट कीजिए। More Resources for CBSE Class 12:
NCERT SolutionsHindiEnglishMathsHumanitiesCommerceScience एक कम कविता का मूल भाव क्या है?इस कविता में कवि ने भ्रष्टाचारी लोगों की निंदा की हैं, एवं जिन लोगों ने धोखाधड़ी और गलत तरीकों से धन अर्जित किया है उनकी भी निंदा की है ! इस कविता की भाषा सरल और सहज हैं !
एक कम कविता में कवि ने स्वयं को क्या कहा है?उत्तर: कवि खुद को एक लाचार व्यक्ति कहता है। क्योंकि भ्रष्टाचारी लोगों को सामने देखकर भी उनके खिलाफ नहीं बोल सकता उसे इस बात का एहसास है कि यदि वह कोशिश करते तो शायद कुछ कर पाते परंतु भ्रष्टाचार ने उनके हाथ बांध रखे हैं खुद को कमजोर संबोधित करते हैं ईमानदार लोगों को हाथ पर देख कर भी मैं उन लोगों के लिए कुछ नहीं कर सकते।
कविता एक कम का वर्ण विषय क्या है?प्रश्न 9. कविता 'एक कम' का वर्ण्य विषय क्या है? उत्तर : इस कविता में कवि ने भ्रष्टाचारी लोगों की निंदा की है और जिन लोगों ने धोखाधड़ी और गलत तरीकों से .
एक कम कविता का कथ्य क्या है?यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
...
एक कम. |