कृष्ण ने राधा से शादी क्यों की? - krshn ne raadha se shaadee kyon kee?

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Thu, 18 Aug 2022 12:18 AM IST

Krishna Janmashtami 2022: जब भी प्रेम की बात होती है, भगवान श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले आता है। श्रीकृष्ण को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण की 16 हजार 108 रानियां थीं। श्रीकृष्ण की मुख्य रानियों में रुक्मणि, सत्यभामा का नाम शामिल है। इसके अलावा बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण के गोकुल में गोपियों संग रासलीला की कहानियां आज भी मशहूर हैं। हालांकि सभी को प्रेम और स्नेह का पाठ पढ़ाने वाले श्रीकृष्ण का नाम सिर्फ राधा के साथ ही लिया जाता है। हर कोई प्रभु कृष्ण के नाम का जाप करते समय 'राधे श्याम' का उच्चारण करता है। भले ही उनकी 160108 रानियां थीं लेकिन जब प्रेम की मिसाल दी जाती है तो श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम सबसे ऊपर होता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानियां पीढ़ी दर पीढ़ी सुनने को मिलती हैं। लेकिन जब भी राधारानी और श्रीकृष्ण के प्रेम का जिक्र होता है तो यह सवाल जरूर मन में उठता है कि जब दोनों के बीच इतना प्रेम था, तो कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया? 16108 रानियों में एक राधा क्यों नहीं थीं? इस साल 19 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जानिए कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी के बारे में, आखिर कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की थी?

कौन थीं राधा?

पद्म पुराण के मुताबिक, राधा वृषभानु नाम के एक गोप की पुत्री थीं। कुछ विद्वान मानते हैं कि राधा का जन्म यमुना नदी के पास स्थित रावल गांव में हुआ था। बाद में उनके पिता बरसाना में आकर बस गए थे। हालांकि कुछ लोगों का यह मानना है कि राधा का जन्म बरसाना में ही हुआ था। बरसाना में राधा जी को लाडली कहा जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा जी कृष्ण से चार साल बड़ी थीं और उनकी मित्र थीं।

राधा जी से जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह रायाण नाम के व्यक्ति से हुआ था, जो कि माता यशोदा के भाई थे। यानी रिश्ते में राधा कृष्ण की मामी लगती थीं। हालांकि अन्य पुराणों में ऐसा जिक्र नहीं मिलता।

राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी

मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण आठ साल थे, तो उनकी मुलाकात राधा से हुई, जो 12 साल की थीं। श्रीकृष्ण राधा से प्रेम करने लगे। दोनों एक दूसरे से विवाह भी करना चाहते थे। जब ये बात राधा के घर वालों को पता चली, तो उन्होंने राधा को घर में कैद कर दिया। वह लोग राधा और कृष्ण की विवाह के इसलिए भी खिलाफ थे क्योंकि राधा की मंगनी हो चुकी थी। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने राधा रानी से शादी करने की हठ कर दी थी। इस पर यशोदा माता और नंदबाबा उन्हें ऋषि गर्ग के पास ले गए। ऋषि गर्ग ने भी कान्हा को बहुत समझाया। इसके बाद कान्हा का मथुरा बुलावा आ गया। वह हमेशा के लिए वृंदावन छोड़कर मथुरा चले गए। उन्होंने राधा से वादा किया था कि वह वापस लौटेंगे लेकिन वह कभी वापस नहीं आए। न ही राधा जी के मथुरा या द्वारका जाने का जिक्र मिलता है।

क्यों नहीं हुआ राधा और कृष्ण का विवाह?

राधा और कृष्ण का विवाह न होने के कई कारण बताए जाते हैं। इसमें से एक कारण नारद जी का श्राप भी माना जाता है। रामचरित मानस के बालकांड के अनुसार, माता लक्ष्मी के स्वयंवर में नारद जी भी जाना चाहते थे। भगवान विष्णु ने नारद जी के साथ छल करते हुए उन्हे खुद का स्वरूप देने के बजाए वानर का स्वरूप दे दिया, जिसकी वजह से माता के स्वयंवर में नारद जी का काफी उपहास हुआ। जब नारद जी को इस बात का पता चला तो वह बैकुंठ पहुंचकर विष्णु जी से बहुत नाराज हुए और श्राप दिया कि उन्हें पत्नी की वियोग सहना होगा। यही वजह है कि रामचंद्र अवतार में उन्हें सीता का वियोग सहना पड़ा और कृष्ण अवतार में देवी राधा से उनका विवाह न हो सका।

क्या राधा ने शादी से किया था मना?

एक मत यह भी है कि देवी राधा ने ही श्रीकृष्ण से विवाह के लिए मना किया था। राधा यशोदा पुत्र कान्हा से प्रेम करती थीं लेकिन जब वह मथुरा गए तो राधा रानी खुद को महलों के जीवन के लिए उपयुक्त नहीं मानती थीं। लोग चाहते थे कि श्रीकृष्ण एक राजकुमारी से विवाह करें। इसलिए राधा ने श्रीकृष्ण से विवाह न करने की ठान ली।

ये भी कहा जाता है कि राधा को महसूस हो चुका था कि श्रीकृष्ण भगवान का अवतार हैं। वह खुद को एक भक्त मानने लगी थीं। राधा श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो चुकी थीं। वह भगवान से विवाह नहीं कर सकती थीं।

भगवान श्रीकृष्‍ण जब राधा को इतना चाहते थे और राधा भी जब भगवान श्रीकृष्ण से बहुत प्रेम करती थी तो क्यों नहीं किया श्रीकृष्‍ण ने राधारानी से विवाह? जानिए कारण।


1. शास्त्रों में इस संबंध में कई तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। कोई कहता है कि राधा कोई और नहीं श्रीकृष्ण का ही एक रूप थी। विद्वान कहते हैं कि स्कंद पुराण में श्रीकृष्ण को 'आत्माराम' कहा गया है अर्थात जो अपनी आत्मा में ही रमण करते हुए आनंदित रहता है उसे किसी अन्य की आवश्यकता नहीं है आनंद के लिए। उनकी आत्मा तो राधा ही है। अत: राधा और कृष्ण को कभी अलग नहीं कर सकते हो फिर विवाह होना और बिछड़ने का सवाल ही नहीं उठता। श्रीकृष्ण ने ही खुद को दो रूपों में प्रकट किया है। यह भगवान का एक मनोरूप रूप है। पुराणों में उनके इस रूप को रहस्य, आध्यात्म और दर्शन से जोड़कर देखा गया।

2. ब्रह्मवैवर्त पुराण की एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के साथ राधा गोलोक में रहती थीं। एक बार उनकी अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी दूसरी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे। तभी राधा आ गईं, वे विरजा पर नाराज होकर वहां से चली गईं। श्रीकृष्ण के सेवक और मित्र श्रीदामा को राधा का यह व्यवहार ठीक नहीं लगा और वे राधा को भला बुरा कहने लगे। राधा ने क्रोधित होकर श्रीदामा को अगले जन्म में शंखचूड़ नामक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। इस पर श्रीदामा ने भी उनको पृथ्वी लोक पर मनुष्य रूप में जन्म लेकर 100 वर्ष तक कृष्ण विछोह का श्राप दे दिया। राधा को जब श्राप मिला था तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म तो होगा, लेकिन तुम सदैव मेरे पास रहोगी। यही कारण था कि राधा और श्रीकृष्ण का बचपन में विछोह हो गया था।

रामचरित मानस के बालकांड के अनुसार एक बार विष्णुजी ने नारदजी के साथ छल किया था। उन्हें खुद का स्वरूप देने के बजाय वानर का स्वरूप दे दिया था। इस कारण वे लक्ष्मीजी के स्वयंवर में हंसी का पात्र बन गए और उनके मन में लक्ष्मीजी से विवाह करने की अभिलाषा दबी-की-दबी ही रह गई थी।

नारदजी को जब इस छल का पता चला तो वे क्रोधित होकर वैकुंठ पहुंचे और भगवान को बहुत भला-बुरा कहा और उन्हें 'पत्नी का वियोग सहना होगा', यह श्राप दिया। नारदजी के इस श्राप की वजह से रामावतार में भगवान रामचन्द्रजी को सीता का वियोग सहना पड़ा था और कृष्णावतार में देवी राधा का।

3.अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार राधा श्रीकृष्ण से पांच वर्ष बड़ी थी। राधा ने श्रीकृष्ण को पहली बार जब देखा था जबकि उनकी मां यशोदा ने उन्हें ओखल से बांध दिया था। कुछ लोग कहते हैं कि वह पलली बार गोकुल अपने पिता वृषभानुजी के साथ आई थी तब श्रीकृष्ण को पहली बार देखा था और कुछ विद्वानों के अनुसार संकेत तीर्थ पर पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी। जो भी हो लेकिन जब राधा ने कृष्ण को देखा तो वह उनके प्रेम में पागल जैसी हो गई थी और कृष्ण भी उन्हें देखकर भावरे हो गए थे। दोनों में प्रेम हो गया था।

राधा श्रीकृष्ण की मुरली सुनकर बावरी होकर नाचने लगती थी और वह उनसे मिलने के लिए बाहर निकल जाती थी। जब गांव में कृष्ण और राधा के प्रेम की चर्चा चल पड़ी तो राधा के समाज के लोगों ने उसका घर से बाहर निकलना बंद करवा दिया।

उधर, एक दिन श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से कहा कि माता मैं राधा से विवाह करना चहता हूं। यह सुनकर यशोदा मैया ने कहा कि राधा तुम्हारे लिए ठीक लड़की नहीं है। पहला तो यह कि वह तुमसे पांच साल बड़ी है और दूसरा यह कि उसकी मंगनी (यशोदे के भाई रायाण) पहले से ही किसी ओर से हो चुकी है और वह कंस की सेना में है जो अभी युद्ध लड़ने गया है। जब आएगा तो राधा का उससे विवाह हो जाएगा। इसलिए उससे तुम्हारा विवाह नहीं हो सकता। हम तुम्हारे लिए दूसरी दुल्हन ढूंढेंगे। लेकिन कृष्ण जिद करने लगे। तब यशोदा ने नंद से कहा। कृष्‍ण ने नंद की बात भी नहीं मानी। तब नंदाबाब कृष्ण को गर्ग ऋषि के पास ले गए।

गर्ग ऋषि ने कृष्ण को समझाया कि तुम्हारा जन्म किसी खास लक्ष्य के लिए हुआ है। इसकी भविष्यवाणी हो चुकी है कि तुम तारणहार हो। इस संसार में तुम धर्म की स्थापना करोगे। तुम्हें इस ग्वालन से विवाह नहीं करना चाहिए। तुम्हरा एक खास लक्ष्य है। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि मुझे नहीं बनना तारणहार मैं तो अपने गायों, ग्वालनों और इन नदी पहाड़ों के बीच ही रहकर प्रसन्न और आनंदित हूं और यदि मुझे धर्म की स्थापना करनी है तो क्या मैं इस अधर्म के साथ शुरुआत करूं की जो मुझे चाहती है और जिसे में प्रेम करता हूं उसे छोड़ दूं? यह तो न्याय नहीं है।

गर्ग मुनि हर तरह से समझाते हैं लेकिन कृष्ण नहीं समझते हैं तब गर्ग मुनि उन्हें एकांत में यह रहस्य बता देते हैं कि तुम यशोदा और नंद के पुत्र नहीं देवकी और वसुदेव के पुत्र हो और तुम्हारे माता पिता को कंस ने कारागार में डाल रखा है।

यह सुनकर श्रीकृष्ण कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रहे और फिर उन्होंने कहा कृपया मेरे बारे में और कुछ बताइये। तब गर्ग मुनि ने कहा कि नारद ने तुम्हें पहचान लिया है और तुमने अपने सभी गुणों को प्रकट कर दिया है। तुम्हारे जो लक्षण इस ओर संकेत करते हैं कि तुम ही वह महापुरुष हो जिसके बारे में ऋषि मुनि चर्चा करते हुए आ रहे हैं। यह सुनकर श्रीकृष्ण चुपचाप उठे और गोवर्धन पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर जाकर अकेले आकाश को देखने लगे। बस वे वहीं दिनभर रहे और सूर्यास्त के समय ज्ञान को उपलब्ध हो गए। वहीं से उनकी दशा और दिशा बदल गई।

कृष्ण ने राधा को श्राप क्यों दिया?

सुदामा ने दिया था राधा को श्राप श्रीकृष्ण और राधा गोलोक एकसाथ निवास करते थे. एक बार राधा की अनुपस्थिति में कृष्ण विरजा नामक की एक गोपिका से विहार कर रहे थे. तभी वहां राधा आ पहुंची और उन्होंने कृष्ण और विरजा को अपमानित किया. इसके बाद राधा ने विरजा को धरती पर दरिद्र ब्राह्मण होकर दुख भोगने का श्राप दे दिया.

भगवान श्री कृष्ण और राधा का विवाह क्यों नहीं हुआ?

कृष्ण ने राधा से शादी नहीं की क्योंकि भगवान विष्णु को हर बार अपने प्यार से अलग होने का श्राप मिला था। महर्षि भृगु की दूसरी पत्नी दानवों के अधिपति पुलोम ऋषि की पुत्री पौलमी को वध करने पर महर्षि भृगु ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था

श्री कृष्ण ने रुक्मणी से शादी क्यों की?

क्यू की रुक्मणि श्री कृष्ण से प्यार करती थी इसलिए शादी किये । चुकी रुक्मणि का भाई शिशुपाल से विवाह करवाना चाहता था रुक्मणी का इसलिये श्रीकृष्ण ने अपहरण कर लिये । चूँकि भगवान श्रीकृष्ण विष्णु भगवान के अवतार थे।

राधा की कितनी शादी हुई?

सभी जानते हैं कि राधा और भगवान श्रीकृष्ण के बीच स्नेहपूर्ण संबंध थे, लेकिन उनकी कभी शादी नहीं हुई