किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करते हैं? - kisee sel ka aantarik pratirodh kaise gyaat karate hain?

Physics March 9, 2019 February 2, 2018

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determination of internal resistance of a primary cell प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करना : विभवमापी के अनुप्रयोग में से एक उपयोग यह भी है इसको प्राथमिक सेल आंतरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात करने में प्रयोग करते है , अब यह किस प्रकार करते इसके बारे में आगे विस्तार से अध्ययन  करते है।

किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करते हैं? - kisee sel ka aantarik pratirodh kaise gyaat karate hain?

चित्रानुसार एक परिपथ बनाते है इसमें E0 विद्युत वाहक बल की बैटरी , k1 कुंजी , तथा Rh धारा नियंत्रक को चित्रानुसार जोड़कर इस परिपथ को तार AB के श्रेणीक्रम में जोड़ते है इस पूरे परिपथ को हम प्राथमिक परिपथ कहते है।
फिर एक द्वितीयक परिपथ बनाते है इसमें E विद्युत वाहक बल की बैटरी का धन सिरा विभवमापी के A सिरे से जोड़ते है तथा ऋण सिरे पर धारामापी जोड़ते हुए सर्पी कुंजी J जोड़ते है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
द्वितीयक परिपथ पर एक प्रतिरोध R तथा कुंजी k2 को भी चित्रानुसार जोड़ कर परिपथ को पूरा करते है।

कार्यविधि (working )

सबसे पहले k1 कुंजी को बंद करके प्राथमिक परिपथ को पूर्ण करते है तथा दूसरी तरफ द्वितीयक परिपथ में k2 कुंजी को खुला छोड़ देते है।

इस स्थिति में सर्पी कुंजी J को तार AB पर खिसकाकर धारामापी में शून्य विक्षेप की अवस्था ज्ञात करते है अर्थात सेल E के लिए विद्युत वाहक बल का मान ज्ञात करते है।

माना L1 लम्बाई पर धारामापी में शून्य विक्षेप की अवस्था आती है अर्थात संतुलन की अवस्था आती है। तथा तार पर एकांक लम्बाई पर विभव में परिवर्तन (विभव प्रवणता ) x है अतः

विद्युत वाहक बल E = xL1

अब दूसरी स्थिति में हम प्राथमिक परिपथ को तो यथावत रखते है लेकिन द्वितीयक परिपथ में k2 कुंजी को बंद कर देते है।

इस स्थिति में R प्रतिरोध से धारा प्रवाहित होने लगती है तथा R के सिरों पर विभवांतर उत्पन्न हो जाता है , माना इस विभवांतर का मान V है।

इस स्थिति में प्रतिरोध R के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर , सेल के विद्युत वाहक बल के बराबर होगा अर्थात V = E  .

दूसरी स्थिति में कुंजी k2 को बंद करने के बाद सर्पी कुंजी को तार पर खिसकाकर संतुलन स्थिति ज्ञात करते है माना हमें इस स्थिति पर संतुलन की अवस्था तार पर L2 लम्बाई पर प्राप्त होती है अतः

V = xL2

चूँकि हम पढ़ चुके है की जब सेल का आंतरिक प्रतिरोध r है और तार में धारा I प्रवाहित हो रही हो तो E तथा V में सम्बन्ध को निम्न प्रकार दिखाते है

E = V + rI

अतः

r = (E – V )/I

चूँकि V = IR

अतः

r = (E – V )R/V

समीकरण में E तथा V का मान ऊपर समीकरण से रखने पर

r = (xL1 – xL2 )R/xL2

अतः

सेल का आंतरिक प्रतिरोध r = (L1 – L2 )R/L2

प्राप्त समीकरण सूत्र स्पष्ट है की R का मान रखकर तथा L1 L2 का मान रखकर सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात कर सकते है।

देखे प्रश्न है सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए जब विभवमापी में संतुलन बिंदु प्राप्त किया जाता है तो विभवमापी तार में धारा प्राप्त होती है उससे उसे जिस का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करना होता है भी सहायक परिपथ की बैटरी से सी सेल और सहायक पति-पत्नी बैटरी गुणों से ना तो सेल से और ना ही किसी एक चित्र की सहायता से समस्त माना कि हमारे पास सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए एक पत्र दिया हुआ है तो हम इस परिपथ में सबसे पहले देख सकते हैं यह एक प्राथमिक परिपथ होता है प्राथमिक परिपथ में यह एक आंतरिक शेर होता है जिसका विद्युत वाहक बल तथा आंतरिक प्रतिरोध आ रहा है इसमें के कुंजी लगा होता है जिससे हम इसको परिपथ को पूर्ण करते हैं और यह जो है परी

आरती प्रतिरोध होता है जिसको हम बदल सकते हैं अपने हिसाब से अब इस इस प्राथमिक परिपथ को द्वितीय परिपथ से जोड़ा जाता है जिसको सहायक पर्ची परिपथ भी कहते हैं आप इस सहायक परिपथ में एक वाहन से लगा होता है जिसका विद्युत वाहक बल ही होता है तथा इसमें एक बार प्रतिरोध लगा होता है जिसे हम आरडीएसओ करते हैं अब इसमें एक कुंजी भी लगा होता है जिससे परिपथ को पूर्ण किया जाता है आप इसमें एक हम विभवमापी जोड़ देते हैं जोकि जोकि से जोड़ दिया जाता है आप यह जो कि का जो कोई होता है इसको हम लोग संतुलन में लागे लाने के लिए आगे पीछे फिर खाते हैं ताकि सेल जो है संतुलित अवस्था में आ जाए और एक विभवमापी का संतुलन बिंदु प्राप्त हो जाए जिससे हम को आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात हो जाए तो सर्वप्रथम क्या करते हैं जो कि डिस कुंजी होता है उसको बंद किया जाता है तो पहली स्थिति में के डिस्को जब बंद किया जाता है

कैट s56 होता है तब तक धारा जो है प्राथमिक सेल से आत्मिक परिपथ में प्रवाहित होता है प्राथमिक परिपत्र जब के ढेर चालू होता है तब धारा जो है सहायक सेल से लिया जाता है तब धारा सहायक सेल से लिया जाता है से लिया जाता है तब हम तब हमें जाकर प्राथमिक परिपथ में लगे बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध प्राप्त होता है जब विभा मावे में क्या होता है संतुलन बिंदु

प्राप्त हो जाता है अतः अतः हम कह सकते हैं कि सहायक परिपथ की बैटरी से सहायक परिपथ की बैटरी से खा लिया जाता है धारा और यही हमारा उत्तर हो जाएगा दी सहायक परिपथ की बैटरी से धन्यवाद

सेल का आंतरिक प्रतिरोध कैसे निकाला जाता है?

लंबाइयाँ सदैव ही बिंदु A, अर्थात् उस बिंदु जिससे बैटरी का धन टर्मिनल संयोजित है, से मापी जानी चाहिए तथा इन्हें शून्य विक्षेप स्थिति तक मापनी चाहिए । परिचर्चा 5. कुंजी K, तथा K, में प्लग को पाठ्यांक लेते समय ही लगाना चाहिए अन्यथा सतत् धारा प्रवाह के कारण तार गर्म हो जाएगा और उससे सेल का आंतरिक प्रतिरोध भी प्रभावित होगा।

आंतरिक प्रतिरोध का सूत्र क्या है?

या r = R (E / V - 1) यही अभीष्ट सम्बन्ध है।

किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध से आप क्या समझते हैं या किन किन कारकों पर निर्भर करता है?

किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध इलेक्ट्रॉड के बीच की दूरी के समानुपाती होता है। अतः यह विकल्प सही है। एक सेल का आंतरिक प्रतिरोध इलेक्ट्रॉड के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः यह विकल्प सही है।

एक आदर्श सेल के आंतरिक प्रतिरोध का मान क्या होता है?

Solution : जिस सेल का आंतरिक प्रतिरोध शून्य होता है उसे आदर्श सेल कहा जाता है