कुंडली में शादी का घर कौन सा होता है? - kundalee mein shaadee ka ghar kaun sa hota hai?

कुंडली में विवाह योग: विवाह में हो रही है देरी, जानें विवाह में देरी के कारण और उसे दूर करने के उपाय

ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नयी दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Wed, 17 Nov 2021 07:48 AM IST

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सार

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह शीघ्र होना या देरी से आपकी कुंडली पर भी निर्भर करता है। लेकिन आप कैसे जानेंगे कि आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है या नहीं। और अगर नहीं है तो ऐसे कौन से उपाय हैं जिनसे विवाह में हो रही देरी को दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिनके कारण विवाह में देरी होती है- 

कुंडली में शादी का घर कौन सा होता है? - kundalee mein shaadee ka ghar kaun sa hota hai?

कुंडली में विवाह योग - फोटो : istock

विस्तार

आज कल के समय में  युवक-युवतियां का उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के कारण विवाह में विलंब करते हैं, जिससे  उनके माता पिता परेशान हो जाते हैं लेकिन ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह शीघ्र होना या देरी से आपकी कुंडली पर भी निर्भर करता है। अगर आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है तो आपका विवाह जल्द होगा और अगर नहीं है तो विवाह होने में कई बाधाएं उत्पन्न होंगी। लेकिन सवाल यह है कि आप कैसे जानेंगे कि आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है या नहीं। और अगर नहीं है तो ऐसे कौन से उपाय हैं जिनसे विवाह में हो रही देरी को दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिनके कारण विवाह में देरी होती है-


 

जन्म कुंडली बताती है किस उम्र में होगी आपकी शादी, जानिए क्या है पता करने का तरीका

Publish Date: | Sat, 01 May 2021 07:45 PM (IST)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का सातवां घर बताता है कि आपकी शादी किस उम्र में हो सकती है। यदि कुंडली के सातवें घर में कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो शादी बड़ी आसानी से हो जाती है। इसमें कोई परेशानी भी नहीं आती। वहीं यदि आपकी कुंडली के सातवें घर में कोई अशुभ ग्रह हो तो शादी में बहुत परेशानियां आती हैं और कई बार तो उम्र निकल जाने के बाद भी शादी नहीं होती है।

शुक्र, बुध, गुरु और चंद्र को शुभ ग्रह माना जाता है, कुंडली के सातवें घर में इनमें से कोई ग्रह हो तो शादी बड़ी आसानी से हो जाती है। वहीं, यदि कुंडली के सातवें घर में राहु, मंगल, शनि और सूर्य ग्रह हों तो शादी में कई तरह की बाधाएं आती हैं।

बुध ग्रह है तो होगी जल्दी शादी

कुंडली के सातवें घर में बुध हो तो शादी जल्दी होने के योग होते हैं। बुध पर कोई किसी अन्य ग्रह का प्रभाव न हो तो बीस वर्ष की उम्र में शादी हो जाती है। बुध पर सूर्य का प्रभाव होने पर शादी में एक से दो साल का विलंब हो सकता है, पर शादी जल्दी ही हो जाती है। बुध ग्रह आमतौर पर 20 से 25 साल की उम्र में शादी का योग बनाता है।

शुक्र, गुरु और चंद्र भी करवाते हैं जल्दी शादी

कुंडली के सातवें घर में शुक्र, गुरु या चंद्र हैं तो 24-25 की उम्र में शादी हो सकती है। गुरु पर किसी का प्रभाव न हो ते 25 साल तक शादी का योग बन जाता है। वहीं, गुरू पर किसी ग्रह का प्रभाव होने पर शादी में एक से दो साल की देरी हो सकती है।

मंगल, राहु केतु के कारण शादी में होती है देरी

मंगल, राहु केतु में से कोई ग्रह सातवें घर में हो तो शादी में काफी देर हो सकती है। बात पक्की होने के बावजूद रिश्ते टूट जाते हैं। अधिकतर मामलों में शादी तीस वर्ष की उम्र के बाद ही होती है।

सूर्य राहु एक साथ हों तो बहुत देर से होगी शादी

शनि, मंगल, शनि राहु, मंगल राहु या शनि सूर्य या सूर्य मंगल, सूर्य राहु एक साथ सातवें या आठवें घर में हों तो विवाह में बहुत अधिक देरी होने की संभावना रहती है। हालांकि, ग्रहों की राशि पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है पर इन ग्रहों के सातवें घर में होने से शादी जल्दी होने की कोई संभावना नहीं होती।

Posted By: Arvind Dubey

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सामान्यत: विवाह की अवस्था (18 से 28 के लगभग) में जब शनि और बृहस्पति दोनों सप्तम भाव और लग्न को देखते हों या गोचरवश इन भावों में आ जाएं तो उस अवधि में अवश्य विवाह होता है। लेकिन वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली में सप्तमेश की दशा या अन्तर्दशा, सातवें घर में स्थित ग्रहों की दशा या अन्तर्दशा अथवा सातवें घर को देखने वाले ग्रहों दशा अन्तर्दशा हो, यदि छठे घर से संबंधित दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो विवाह में विलंब या विघ्न उत्पन्न होता है। वहीं कई बार विलंब से शादी होने पर भी उपयुक्त जीवन साथी नहीं मिल पाता है।

जल्द विवाह के उपाय
– भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें। माता पार्वती की पूजा खासतौर पर लड़कियों को करनी चाहिए। पूजा में मां पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं, बाधाएं दूर होंगी।

– प्रतिदिन विघ्नहर्ता गणेश और रिद्धि-सिद्धि की पूजा करें।

– भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा खास तौर पर गुरुवार को एक साथ करें।

– विवाह में बाधाएं उत्पन्न करने वाले ग्रह गुरु, शनि और मंगल के उपाय करें।

पंडित शर्मा के अनुसार व्यक्ति की सारी गतिविधियां ग्रह, नक्षत्र और राशियों से प्रभावित होती हैं। किसी भी कार्य को होने में उस कार्य से संबंधित ग्रह का क्रियान्वित होना जरूरी होता है। तभी जाकर कार्य संपन्न होता है।
- विवाह समय निर्धारण के लिये सबसे पहले कुण्डली में विवाह के योग देखे जाते हैं। यदि जन्म कुंडली में विवाह के योग नहीं होंगे तो शादी होना असंभव है।
- जन्म कुण्डली में जब अशुभ या पापी ग्रह सप्तम भाव, सप्तमेष व शुक्र से संबंध बनाते हैं, तो वे ग्रह विवाह में विलम्ब का कारण बनते हैं। इसके विपरीत यदि शुभ ग्रहों का प्रभाव सप्तम भाव, सप्तमेष व शुक्र पर पड़ता हो तो शादी जल्द होती है।


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कुंडली में शादी का घर कौन सा होता है? - kundalee mein shaadee ka ghar kaun sa hota hai?

- शादी होने में दशा का योगदान काफी महत्वपूर्ण होता है। सप्तमेष की दशा-अन्तर्दशा में विवाह- यदि जन्म कुण्डली में विवाह के योग की संभावनाएं बनती हों, और सप्तमेश की दशा चल रही हो और उसका संबंध शुक्र ग्रह से स्थापित हो जाय तो जातक का विवाह होता है। इसके साथ ही यदि सप्तमेश का द्वितीयेश के साथ संबंध बन रहा हो तो उस स्थिति में भी विवाह होता है।

सप्तमेश में नवमेश की दशा- अन्तर्दशा में विवाह: जब शा का क्रम सप्तमेश व नवमेष का चल रहा हो और इन दोनों ग्रहों का संबंध पंचमेष से बनता हो तो इस ग्रह दषा में प्रेम विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं। पंचम भाव प्रेम संबंध को दर्शाता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दषा में विवाह सप्तम भाव में जो ग्रह स्थित होते हैं वे ग्रह भी जातक की शादी कराते हैं बशर्ते कि उन ग्रहों की दशा अंतर्दशा चल रही हो और वे सप्तमेश से पूर्ण दृष्टि संबन्ध बना रहे हों और वे कुंडली में मजबूत स्थिति में हों।

- सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश जब शुभ भाव में, अपने मित्र राशि के घर में बैठे हों और उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो वे अपनी दशा के प्रारंभिक अवस्था में ही जातक की शादी करा देते हैं। इसके विपरित यदि सप्तमेश और सप्तम भाव में स्थित ग्रह अशुभ भाव में बैठे हों, अपनी शत्रु राशि में हों और उन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो वे अपनी दशा के मध्य में जातक की शादी कराते हैं।

इसके अलावा कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दृष्टि, युति से बनने वाले योग भी जातक के विवाह होने की संभावनाएं बनाते हैं: -शादी में शुक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। जब शुक्र शुभ स्थित होकर किसी व्यक्ति की कुण्डली में शुभ ग्रह की राषि तथा शुभ भाव (केन्द्र, त्रिकोण) में स्थित हो, और शुक्र की अन्तर्दषा या प्रत्यन्तर दषा जब आती है तो उस समय विवाह हो सकता है। कुण्डली में शुक्र का शुभ होना वैवाहिक जीवन की शुभता को बढ़ाता है। कुंडली में शुक्र जितना ही शुभ होगा व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय होगा।

- कुंडली में चाहे किसी भी ग्रह की दशा क्यों न हो। यदि दषानाथ का संबंध शुक्र से बनता हो और कुंडली में शुक्र शुभ राषि, शुभ ग्रह से युक्त होकर नैसर्गिक रुप से शुभ हों, और गोचर में शनि, गुरु से संबन्ध बनाता हो, उस स्थिति में शुक्र अपनी दषा-अन्तर्दषा में विवाह होने का संकेत करता है।

- कुंडली में ऐसे ग्रह की दशा चल रही है जो ग्रह सप्तमेश का मित्र है तो इस महादषा में व्यक्ति के विवाह होने के योग बनते हैं बशर्ते कि उसका संबंध सप्तमेष या शुक्र से बनता हो।

- जन्म कुण्डली में शुक्र जिस ग्रह के नक्षत्र में स्थित होता है उस ग्रह की जब दषा चलती है तो उस समय में भी विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।

- सप्तम भाव शादी का घर होता है। इस भाव को जो ग्रह देख रहा हो और वह कुंडली में बली हो तो उस ग्रह की दशा अवधि में विवाह की संभावना बनती है।

- यदि कुंडली में लग्नेष व सप्तमेष की दषा चल रही हो तो ऐसी स्थिति में लग्नेष की दषा में सप्तमेष की अन्तर्दषा में विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं ।

- शुक्र से युति करने वाले ग्रहों की दषा में विवाह होने की संभावना बनती है बशर्ते कि वह बली हो और सप्तमेश से दृष्टि संबंध बना रहा हो। अतः उन सभी ग्रहों की दषा-अन्तर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।

शादी के कारक...
– सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों यथा गुरु शुक्र आदि की दृष्टि हो।

– सप्तमेश लग्न में या लग्नेश सप्तम में हो।

– सप्तम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो।

– सप्तमेश ग्यारहवें भाव (लाभ भाव) में हो।

– सप्तम भाव के कारक ग्रह शुक्र पर अशुभ की दृष्टि या युति न हो तथा शुक्र ग्रह केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित हो।

– सप्तमेश उच्च होकर लग्नेश से युति बना रहा हो।

– नवमेश सप्तमेश हो और सप्तमेश नवम भाव में हो तो शादी होती है।

कुंडली में सातवें भाव का महत्व
ज्योतिष विद्या के महान विद्वान सत्याचार्य के अनुसार, जन्म कुंडली में सातवां भाव गृह परिवर्तन एवं विदेश यात्राओं के विषय में बताता है। वहीं ऋषि पराशर के अनुसार, यदि प्रथम भाव का स्वामी सातवें भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति अपने मूल स्थान से दूर धन संपत्ति को बनाता है। सप्तम भाव क़ानूनी रूप से दो लोगों के बीच साझेदारी को भी दर्शाता है। यह साझेदारी वैवाहिक अथवा व्यापारिक हो सकती है। काल पुरुष कुंडली में तुला राशि को सातवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है।

वहीं लाल किताब के अनुसार, कुंडली में सप्तम भाव परिवार, नर्स, जन्मस्थान, आंगन आदि को बताता है। लाल किताब का सिद्धांत कहता है कि सप्तम भाव में बैठे ग्रह प्रथम भाव में स्थित ग्रहों के द्वारा संचालित होते हैं। इसको सरल भाषा में समझें तो, प्रथम भाव में ग्रहों की अनुपस्थिति होने पर सातवें घर में जो ग्रह होंगे वे निष्क्रिय और प्रभावहीन होंगे। सप्तम भाव में केवल मंगल और शुक्र का प्रभाव देखने को मिलेगा। लाल किताब के अनुसार, जन्म कुंडली में स्थित सातवां भाव जीवनसाथी के बारे में भी बताता है।

शादी कौन सा ग्रह करवाता है?

सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो तो विवाह में देरी होती है। कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है। चौथा भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की रुचि शादी में नहीं होती है।

कुंडली में विवाह योग कैसे देखा जाता है?

2- यदि व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश यानी सातवें घर का स्वामी जैसे मेष राशि में सातवें घर का स्वामी शुक्र होगा। अगर इनकी कुंडली में शुक्र अपनी उच्च राशि यानी मीन में हों। स्वराशि यानी तुला या वृष में और शुक्र की दृष्टि भाग्य या विवाह स्थान पर हो तब विवाह के बाद व्यक्ति की किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं।

कुंडली में 7 घर किसका होता है?

जिसकी कुंडली में सप्तम स्थान में शुभ एवं पाप दोनों प्रकार के ग्रह हों तथा सप्तमेश या शुक्र निर्बल हो तो स्त्री एक पति को छोड़कर दूसरे के साथ विवाह कर लेती है। जिस कुंडली में सप्तम स्थान में सूर्य हो तथा सप्तमेश निर्बल हो तो उस स्त्री को उसका पति छोड़ देता है।

विवाह किस दिशा में होगा कैसे जाने?

1-वास्तु के अनुसार विवाह योग्य लड़कों को कभी भी दक्षिण या दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ नहीं सोना चाहिए. वहीं, विवाह योग्य लड़कियों को उत्तर पश्चिम दिशा में सोना चाहिए. इससे शादी के योग जल्दी बनते हैं. 2- इस बात का ध्यान रखें कि सोते समय आपके पैर उत्तर और सिर दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए.