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जैव-विकास किसे कहते हैं ?पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों का विकास प्रारम्भ में पाए जाने वाले सरल प्राणियों में परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होने वाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत में होने वाले इस परिवर्तन को जैव-विकास (Organic evolution) कहते हैं। जैव-विकास शब्द का शाब्दिक अर्थविकास या इवोल्यूशन (Evolution) शब्द का शाब्दिक अर्थ लिपटी हुई वस्तु को खोलकर उसमें समय-समय पर हुए परिवर्तनों को दर्शाना’ (e-out + volvere = to roll अर्थात् Unrolling or Unfolding to reveal the changes since the start of life)है। जैव विकास की परिभाषाजीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीवों की उत्पत्ति तथा उसके पूर्वजों का इतिहास तथा उनमें समय-समय पर हुए क्रमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, जैव विकास या उद्विकास (Evolution) कहलाता है। जैव विकास से सम्बंधित सिद्धांत
लैमार्कवाद Lamarck ismलैमार्कवाद फ्रांसीसी प्रकृति वैज्ञानिक जे.बी. लैमार्क (Jean Baptiste Lamarck) ने सर्वप्रथम 1809 ई. में जैव विकास के अपने विचारों को अपनी पुस्तक फिलॉसफिक जूलौजिक (Philosophic Zoologique) में प्रकाशित किया। इसे लैमार्कवाद (Lamarckism) या उपार्जित लक्षणों का वंशागति सिद्धान्त (Theory of inheritance of acquired characters) कहते हैं।
लैमार्कवाद का खंडन लैमार्कवाद का बाद में कई वैज्ञानिकों ने जोरदार खंडन किया। उन वैज्ञानिकों के अनुसार उपार्जित लक्षण वंशागत नहीं होते हैं। इसकी पुष्टि के लिए जर्मन वैज्ञानिक वाईसमैन (vveismann) ने 21 पीढ़ियों तक चूहे की पूंछ काटकर यह प्रदर्शित किया कि कटे पूंछ वाले चूहे की संतानों में हर पीढ़ी में पूंछ वर्तमान रह जाता है। लोहार की हाथों की माँसपेशियाँ हथौड़ा चलाने के कारण मजबूत हो जाती है, परन्तु उसकी संतानों में ऐसी मजबूत मांसपेशियों का गुण वंशागत नहीं हो पाता है। वैसे जीव जिनमें लैंगिक जनन होता है, जनन कोशिकाओं का निर्माण उनके जनद या जनन ग्रंथि का गोनड (Gonad) में होता है। शरीर की अन्य कोशिकाएँ कायिक कोशिकाएँ (somatic cells) कहलाती हैं। वातावरण के प्रभाव के कारण कायिक कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन संतानों में संचरित नहीं होते हैं। इसका कारण यह है कि कायिक कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन उनके साथ-साथ जनन कोशिकाओं में नहीं होते हैं। डार्विनवाद Darwinismजैव विकास परिकल्पना के संदर्भ में दूसरा सिद्धांत डार्विनवाद (Darwinism) के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धान्त को दो अंग्रेज वैज्ञानिकों आल्फ्रेड रसेल वैलेस (Alfred Russel Wallace) तथा चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन(Charles Robert Darwin) ने मिलकर प्रतिपादित किया था। दोनों वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से कार्य कर समान निष्कर्षों को निकाला था।
डार्विनवाद की आलोचना-
नव डार्विनवादनव डार्विनवाद को आधुनिक सांश्लेषिकवाद परिकल्पना (Modern synthetic theory)भी कहते हैं। नव डार्विनवाद निम्नलिखित प्रक्रमों की पारस्परिक क्रियाओं का परिणाम है। जीन उत्परिवर्तन (Gene mutation)
गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या में परिवर्तन द्वारा विभिन्नताएँ
आनुवंशिक पुनर्योजन
पृथक्करण (Isolation)
उत्परिवर्तनवाद (Mutation theory)
पुनरावर्तन सिद्धांत (Recapitulation theory)
जीवों की तुलनात्मक रचनासमजातता (Homology):
समरूपता (Analogy):
अवशेषी अंग (vestigial organs):
संयोजक कड़ी (Connecting link):
उदाहरण:
जैव विकास से सम्बंधित नियमऐलेन का नियम (AIlen’s law):
बर्जमान का नियम (Bergmann’s law):
कोप का नियम (Cope’s law):
ग्लोगर का नियम (Gloger’s law):
गॉसी का नियम (Gouse’s law):
आनुवंशिकी एवं जैव विकास से सम्बन्धितशब्दावलियाँयुग्म विकल्पी (Aneles):
समयुग्मजी (Homozygous):जब किसी गुण के युग्म विकल्पी या एलील समान हो, तो उसे समयुग्मजी (Homozygous) कहते हैं। जैसे- लम्बा पौधा (TT), बौना पौधा (tt) आदि। विषमयुग्मजी (Heterozygous): यदि समजातीय कारकों में दोनों कारक एक-दूसरे के विपर्यायी हों अर्थात् उनमें एक प्रभावी तथा दूसरा अप्रभावी हो, तो वह जोड़ा विषमयुग्मजी या संकर (Hybrid) कहलाता है। जैसे- संकर लम्बा पौधा (Tt) 4. समलक्षणी (Phenotype): जीवधारी के जो लक्षण प्रत्यक्ष रूप से दिखलायी पडते हैं, उसे समलक्षणी या फीनोटाइप (Phenotype)कहते हैं। समजीनी (Genotype): किसी जीव की जीनी संरचना उस जीव का समजीनी या जीन प्ररूप या जीनोटाइप (Genotype) कहलाता है। सहलग्नता (Linkage):
जीन विनिमय (Crossing over):
गुणसूत्र (Chromosomes):
सेक्स क्रोमोसोम (sex chromosome):
ऑटोसोम्स (Autosomes):
जीन (Gene):
जीनोम (Genome):
प्लाज्माजीन (Plasmagene):
उत्परिवर्तन (Mutation):
आनुवंशिकी (Genetics):
बैक क्रॉस (Back Cross)
टेस्ट क्रॉस (Test Cross)
एक जीन एक एन्जाइम (One gene one enzyme theory):
इंडियोग्राम (Indiogram):
सुजननिकी (Eugenics):
वेसेक्टोमी (vasectomy):
ट्यूबेक्टोमी (Tubectomy):
यूथेनिक्स (Euthenics):
कारक (Factors):
रंग वर्णान्धता (Colour blindness):
हीमोफिलिया (Haemophilia):
हँसियाकार रक्ताणु ऐनीमिया (sickle cell anaemia):
डाउन्स सिंड्रोम (Down’s syndrome):
क्लाइनफेल्टर्स सिन्ड्रोम (Klinefelter’s syndrome):
टरनर्स सिन्ड्रोम (Turner’s syndrome):
फीनाइल कीटोनूरिया (Phenylketonuria):
आनुवंशिक लक्षण (Hereditary characters)
ट्रांसक्रिप्शन (Transcription):
ट्रांसलेशन (Translation):
विभिन्नता (variation):
जननिक विभिन्नता (Germinal variation):
कायिक विभिन्नता (somatic variation):
इमैसकुलेशन (Emasculation):
एकसंकरण क्रॉस (Monohybrid cross):
दिसंकरण क्रॉस (Dihybrid cross):
लिंग निर्धारण (sex determination):
जैव विकास (Organic evolution):
उपार्जित लक्षण (Acquired character):
समजात अंग (Hornologous organ):
असमजात अंग (Analogous organ):
जैविक विकास से आप क्या समझते हैं डार्विन के जैविक विकास के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए?पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति डार्विन के सिद्धांत हमें बताते हैं कि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूप वाले जीवों का विकास किस प्रकार हुआ।
जैविक विकास से क्या समझते हैं?Solution : डार्विनवाद (Darwinism) चार्ल्स डार्विन और वैलेस ने बाद में . प्राकृतिक चयनवाद का सिद्धांत (theory of natural selection) दिया, जिसे डार्विन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक . Origin of Species by Natural selection. में प्रस्तुत किया।
जैव विकास का सिद्धांत क्या है?डार्विनवाद- यह जैव विकास का सर्वाधिक प्रसिद्ध सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जीव को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए अन्य जीवो से संपूर्ण जीवन संघर्ष करना पड़ता है। एक ही जाति के दो जीव भी आपस में समान नहीं होते बल्कि उनमे भी कुछ विभिन्नताएं होती है जो की उनके वंशानुक्रम की वजह से होती है।
जैव विकास क्या है डार्विन के विचारों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए?डार्विनवाद (Darwinism)
'प्राकृतिक चुनाव द्वारा प्राणियों का विकास' (Origin of Species by Natural Selection 1836) – इस सिद्धांत के अनुसार 'सभी जीवों में संतानोपत्ति की अधिक से अधिक क्षमता पायी जाती है। प्रत्येक जीव में अत्याधिक प्रजनन दर के कारण जीवों को अपने अस्तित्व हेतु संघर्ष करना पड़ता है।
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