जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में लगाया जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है? - jab lohe kee keel ko kopar salphet ke vilayan mein lagaaya jaata hai to vilayan ka rang kyon badal jaata hai?

Solution : जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो वह भूरे रंग का हो जाता है । क्यूंकि लोहा कॉपर सल्फेट के विलयन में से कॉपर को विस्थापित करने देता है और आयरन सल्फेट बनता है । आयरन , कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील होता है । <br>`{:(Fe(s),+,CuSO_(4)(aq),to,FeSO_(4)(aq),+,Cu(s)),("आयरन ",,"कॉपर सल्फेट ",,"आयरन सल्फेट",,"कॉपर "):}` <br> इस अभिक्रिया के दौरान `CuSO_(4)` का नीला रंग धीरे - धीरे हल्का होता जाता है और फिर हल्के रंग में बदल जाता है ।

जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलियन में डूब जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?

उत्तर : जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो विलयन का रंग नीले (CuSO4)से बदलकर हरा (FeSO4) हो जाता है क्योंकि लोहा कॉपर की अपेक्षा अधिक सक्रिय धातु है। यह कॉपर सल्फेट के गोल में से कॉपर को विस्थापित करने की क्षमता रखता है तथा आयरन सल्फेट विलयन बनता है। आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।

कॉपर सल्फेट विलयन में लोहे की कील डालने पर क्या होता है समझाइए?

धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड उदाहरण के लिए, जब कॉपर को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनाता है

लोहा तांबे को उसके लवण के विलयन में से क्यों विस्थापित करता है?

लोहा, तांबे से अधिक क्रियाशील होता है, इसलिये लोहा के विलयन से तांबे को विस्थापित कर देता है.

क्यों बदल जाता है?

हम प्यार जताना भूल जाते हैं पत्नियां अक्सर कहती हैं कि तुम कितने बदल गये हो, पहले की तरह अब प्यार नहीं करते।