Show गांधी @ 150: जब महात्मा गांधी धोती में बकिंघम पैलेस पहुंचे
2 अक्टूबर 2019 इमेज स्रोत, Getty Images महात्मा गांधी की ज़िंदगी का एक पहलू उनका मज़ाकिया होना था. बल्कि गांधी खुद अपने बारे में कहते थे कि अगर मुझमें सेन्स ऑफ ह्यूमर ना होता, मैं मज़ाक ना कर सकता तो मैंने आत्महत्या कर ली होती. उनको यह लगता था कि काम का बोझ इतना ज़्यादा है कि उसमें डूब जाना जान गंवा देने के बराबर होगा. इसलिए वो अक्सर लोगों को हंसाते रहते थे और जब मौक़ा मिलता था खुद भी ठहाका लगाकर हंसते थे. कुछ किस्से उनके बारे में बहुत मशहूर हैं. मसलन एक बार एक अंग्रेज़ रिपोर्टर ने उनसे पूछा, "आप तीसरे दर्जे में सफ़र क्यों करते हैं?" इसके जवाब में उन्होंने कहा, "बहुत आसान है, इसलिए कि चौथा दर्जा नहीं होता." दूसरा किस्सा है लंदन के बकिंघम पैलेस में किंग जॉर्ज पंचम से उनकी मुलाक़ात के समय का. जब गांधी जी गोल मेज़ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लंदन गए थे. वो अपनी धोती पहनकर ही बकिंघम पैलेस चले गए थे. इस पर तमाम लोगों को ऐतराज़ था, उन्हें लगता था कि गांधी को अच्छी तरह से ठीक-ठाक कपड़े पहनने चाहिए. इस पर गांधी ने कहा, "मुझे कपड़े पहनने की क्या ज़रूरत है, जितने कपड़े आपके राजा के बदन पर हैं वो हम दोनों के लिए काफी हैं." ये अंदाज़ था गांधी के बात करने का. लेकिन मैं आपको दूसरे दो किस्से बताता हूं जिनसे से आपको यह अंदाज़ा होगा कि गांधी किसी बेहद गंभीर स्थिति को भी कैसे हल्का बना देते थे. बात 1910 की है, उस वक्त गांधी जोहन्सबर्ग में थे. वहां सरकारें हर रोज़ नए फरमान जारी करती थी, उसी दौरान एक फरमान आ गया कि जिनकी शादियां दक्षिण अफ़्रीका में नहीं हुई हैं, वहां रजिस्टर्ड नहीं हैं. उनको पति पत्नी नहीं माना जाएगा. यह बात बहुत गंभीर थी क्योंकि इससे कई लाख भारतीय मूल के लोग प्रभावित होने वाले थे. गांधी घर लौटे और उन्होंने बा को यानी कस्तूरबा जी को आवाज़ दी और कहा, "तुम आज से मेरी रखैल हो गई." बा ने कहा, "क्या बात हुई? मेरी शादी हुई है, आप इस तरह की बात कैसे कह रहे हैं?" गांधी ने कहा, "सरकार ने क़ानून बना दिया है अब हमारी शादी मान्य नहीं है. और अब अगर तुम मेरे साथ रहोगी तो मेरी रखैल रहोगी." ये बात सिर्फ घर के अंदर नहीं रही, ये बात फैलने लगी. पूरे दक्षिण अफ़्रीका में जो भारतीय समाज था उसके बीच ये बात फैल गई और फिर बा ने वहां भारतीय लोगों को संगठित किया. इमेज स्रोत, Getty Images इमेज कैप्शन, महात्मा गांधी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा पहली बार दक्षिण अफ़्रीका में आंदोलन के समय औरतें और बच्चे अपने-अपने घरों से बाहर निकले. उन्होंने छह मील लंबा जुलूस निकाला और सरकार को ये क़ानून वापस लेना पड़ा. ये सिर्फ़ एक बात कहने का ढंग ही था जो आपको बताता है कि गांधी कैसे सोचते थे और कैसे चीज़ों को अपने हक़ में बदल देते थे. एक किस्सा और है उनका. जब गांधी हिंदुस्तान लौट चुके थे तो लोगों ने उनसे कहा, "मुसलमान बहुत अड़ियल किस्म के लोग हैं, ये कोई बात ही नहीं सुनते." "हम उनसे सुलह की बात करते हैं. हम उनसे कहते हैं कि आंदोलन में साथ आइए. लेकिन वो इसमें भाग लेने के लिए राजी ही नहीं है." "हमने उन्हें बहुत समझाया, बहुत कहा कि हिंदुस्तान तुम्हारा भी मुल्क है. तुम यहीं पैदा हुए हो. इसके अलावा कहां जाओगे तुम. लेकिन कोई राजी नहीं है सुनने को." वीडियो कैप्शन, महात्मा गांधी ने लंदन में तीन साल गुज़ारे थे तब गांधी ने उन लोगों से कहा, "आप डंडा लेकर किसी लड़की के पास जाएंगे और उससे पूछेंगे कि मुझसे इश्क करोगी. तो क्या करेगी वो, आपको भगा देगी." "जब आप किसी से बात करें तो नरमी रखें- अपने स्वभाव में, अपने शब्दों में और अपनी आवाज़ में. कायदे से बात करिए. कोई इतना नामुनासिब हो ही नहीं सकता कि वो आपकी बात ही ना सुने." "सब सुनेंगे, सब साथ होंगे, हिंदुस्तान आज़ाद होगा." Fremantle Stuff > hotels > His Lordship's Larder His Majesty's Hotel2-8 Mouat St, 1904, designed by T. Anthoness, built by Taylor. Hutchison: Hitchcock 1919: The original hotel on the site at 2-8 Mouat St was called His Lordship's Larder. The current building, His Majesty's Hotel (now ND36, the School of Education, part of the NDU, like most of the buildings in these six city blocks of the West End of Fremantle) was briefly called by the former name after its renovation for the Americas Cup defence. In the 1899 post office directory,
the tenants at 2 Mouat Street were Pierce & Murphy, of His Lordship's Larder. They were also there again in 1900, and in 1901. In 1902, C. H. Pierce was alone at no. 2 in His Lordship's Larder. Pierce was there again in 1903. And in 1904. And still again in 1905, in His Lordship's Larder. The Mail, May 1904: Daily News 1903: His Lordship's Larder, to be known to futurity as His Majesty's, in Phillimore-street, with its accompanying shops, is being pushed on with celerity ... Daily News Thursday 10 September 1903, p 3. References and LinksA photograph by Alfred Pickering dated 1899 by
SLWA shows His Lordship's Larder still in existence. The Heritage Council page gives the 1890 date (wrongly) for the construction of His Majesty's Hotel. You can see His Lordship's Larder if you look hard in this photo by Alfred Pickering. Articles from 1904 published after the new hotel's opening: The Mail, Fremantle, Thursday 26 May 1904, p. 3, as above. Garry Gillard | New: 18 September, 2014 | Now: 22 October, 2022 महात्मा गांधी ने हिज मेजेस्टी का होटल के नाम से किसका उल्लेख किया?वीर अब्दुल हमीद रोड बक्शीपुर एक मीनारा मस्जिद स्थित गांधी मुस्लिम होटल का नाम गांधी होटल था। होटल के मालिक अहमद रजा खान ने बताया कि दादा गुलाम कादिर बताते थे कि यह होटल जंगे आजादी की याद समेटे हैं। 8 फरवरी, 1921 को महात्मा गांधी गोरखपुर पहुंचे। बाले मियां के मैदान बहरामपुर में जनता को संबोधित किया।
महात्मा गांधी की बेटी का नाम क्या है?2 बेटियां रानी और मनु, 3 बेटे कांतिलाल, रसिकलाल और शांतिलाल. रसिकलाल और शांतिलाल की कम उम्र में ही मौत हो गई थी. हरीलाल के 4 पोते- पोतियां थे. अनुश्रेया, प्रबोध, नीलम और नवमालिका.
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