Solution : हरित क्रान्ति : कृषि उत्पादों तथा कृषि से सम्बन्धित औजारों, कीटनाशी, खाद उन्नत किस्म का बीज आदि को विकसित करने की प्रणाली को हरित क्रान्ति कहते हैं जिससे अन्न, दूध, कपास, फल आदि का उत्पादन अधिक से अधिक हो सके । Show हरित क्रांति, हरित एवं क्रांति शब्द के मिलने से बना है। क्रांति से तात्पर्य किसी घटना में तेजी से परिवर्तन होने तथा उन परिवर्तनों का प्रभाव आने वाले लम्बे समय तक रहने से है। हरित शब्द कृषि फसलों का सूचक है। अत: हरित क्रांति से तात्पर्य कृषि उत्पादन में अल्पकाल में विशेष गति से वृद्धि का होना तथा उत्पादन की वह वृद्धि दर आने वाले समय तक बनाये रखने से है।
कृषि में तकनीकी ज्ञान का आविष्कार, उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, सिंचाई सुविधाओं का विकास, कृषि क्षेत्र में उन्नत औजारों एवं मशीनों का अधिकाधिक उपयोग, कृषि में विद्युतीकरण, कृषि क्षेत्र में ऋण का विस्तार, कृषि शिक्षा में विस्तार कार्यक्रमों के सम्मिलित प्रयासों के फलस्रुपय वर्ष 1966-67 के उपरान्त कृषि उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। उत्पादन वृद्धि की इस असाधारण गति दर को कृषि वैज्ञानिकों, ने हरित क्रांति का नाम दे दिया। हरित क्रांति का जन्मदाता नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो0 नोरमन बॉरलोग है। भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा देने का श्रेय मुख्यत: एस. स्वामीनायन को दिया जाता है। हरित क्रांति की संबा इसलिए भी दी गई कि क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी है। इस प्रकार हरित क्रांति में मुख्य रुप से दो बाते आती हैं:-
हरित क्रांति के लाभ1. खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि - हरित क्रांति या नई कृषि राजनीति का पहला लाभ हुआ है कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है, विशेष रुप से गेहूँ, बाजरा, चावल, मक्का, व ज्वार दालों के उत्पादन में आशतीत वृद्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप भारत खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर सा हो गया है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन में आशतीत वृद्धि हुई है। देश में सभी खाद्यान्नों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1950-51 में 522 कि0ग्राम प्रति हेक्टेयर था जो बढ़कर 2011-2012 में 1996 किग्रा प्रति हेक्टेयर हो गया।
हरित क्रांति की हानिहमें ज्ञात हो चुका है कि हरित क्रांति के परिणामस्वरूप कुछ फसलों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है। देश को आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक दृष्टि से लाभ हुआ है। नीचे हम इनमें से कुछ हानि का वर्णन कर रहे हैं:-
हरित क्रांति की सफलता के लिए सुझाव1. भूमि सुधार कार्यक्रमों को प्रोत्साहन - हरित क्रांति को सफल व व्यापक बनाने के लिए भूमि सुधार कार्यक्रमों को प्रभावी और विस्तृत रुप से लागू किया जाना चाहिए। सीमा निर्धारण से प्राप्त अतिरिक्त भूमि को भूमिहीन किसानों को वितरित किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त चकबन्दी को प्रभावी बनाकर जोतों के विभाजन पर रोक लगाए जाने की आवश्यकता है। जिससे कृषि की नई तकनीकी प्रभावी रुप से लागू हो पाए।
सन्दर्भ -
हरित क्रांति का महत्व क्या है?हरित क्रांति के आर्थिक प्रभाव:
हरित क्रांति से देश में खाद्यान्न उत्पादन तथा खाद्यान्न गहनता दोनों में तीव्र वृद्धि हुई और भारत अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो सका। वर्ष 1968 में गेहूँ का उत्पादन 170 लाख टन हो गया जो कि उस समय का रिकॉर्ड था तथा उसके बाद के वर्षों में यह उत्पादन लगातार बढ़ता गया।
हरित क्रांति से आप क्या समझते है?हरित क्रांति से अभिप्राय है कि सिंचित व असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक मात्रा में उपज कर संकर व बोन बीजों का इस्तेमाल करके कृषि उत्पादन में वृद्धि करना। हरित क्रांति से ही भारत में कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि हुई और साथ ही कृषि में हुए सुधार के चलते देश में कृषि का उत्पादन छमता बढ़ी है।
7 हरित क्रांति क्या है इसके चार लाभों को समझाइए?Solution : हरित क्रांति के लाभ- <br> (1) इससे देश अन्न उत्पादन में आत्म-निर्भर हो गया है। (2) इससे अनाज का पर्याप्त सुरक्षित भंडार एकत्रित हो गया। (3) भंडार से प्राकृतिक विपदाएं आने की स्थितियों का सामना आसानी से कई बार किया जा चुका है। (4) इसने किसान की जीवन-पद्धति तथा आर्थिक स्तर को बदल दिया।
हरित क्रांति शब्द से आप क्या समझते हैं भारत में हरित क्रांति के लिए कौन कौन प्रमुख कारक हैं?भारत में हरित क्रांति उस अवधि को संदर्भित करती है जब भारतीय कृषि अधिक उपज देने वाले बीज की किस्मों, ट्रैक्टर, सिंचाई सुविधाओं, कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग जैसे आधुनिक तरीकों एवं प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण एक औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तित हो गई थी।
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