मित्र हीरा और मोती गया के साथ इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगा कि उनके मालिक ने उन्हें बेच दिया है और वह अपने पुराने मालिक को छोड़ना नहीं चाहते थे। Show
View Full Answer Nishant Nayak answered this sath
Lakshay Dabas answered this Means what
Shivangi Gupta answered this Kyuki unhe lgta tha ki unke malik ne unhe bech diya hai jisse wo apne naye Malik ke paas nhi jana chahte the लेखक-परिचय – महान् कथाकार एवं उपन्यास-सम्राट् मुंशी प्रेमचन्द का जन्म सन् 1880 में बनारस के पास ‘लमही’ गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राम था। प्रेमचन्द का बचपन अभावों में बीता और अभावों के बीच ही उन्होंने बी.ए. तक की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा विभाग में नौकरी की, परन्तु असहयोग आन्दोलन में भाग लेने हेतु सरकारी नौकरी से त्याग-पत्र दिया। ये स्वतन्त्र-लेखन में प्रवृत्त हुए। उन्होंने तीन सौ से अधिक कहानियाँ तथा ग्यारह प्रसिद्ध उपन्यासों की रचना की। इनके साथ ही कुछ पत्रिकाओं का भी सम्पादन किया। सन् 1936 में उनका देहान्त हो गया। पाठ-सार – दो बैलों की कथा’ प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी है। झूरी काछी के दो बैलों के नाम थे-हीरा और मोती, दोनों बैल सीधे-सादे भारतीय लोगों के प्रतीक थे। वे ताकतवर और कमाऊ होते हुए भी अत्याचार सहते थे। कहानीकार ने इनके माध्यम से भारतीय लोगों की परतन्त्रता में होती दुर्दशा का संकेत किया है। पर उन दोनों बैलों में घनिष्ठ मित्रता थी। झूरी उनकी पूरी देखभाल करता था। एक बार झूरी ने उन्हें अपनी ससुराल भेज दिया। तब हीरा-मोती ने समझा कि उन्हें बेच दिया है। इस कारण मौका पाकर वे दोनों बैल वहाँ से भागकर आ गये। x उन्हें फिर झूरी के ससुराल भेजा गया। इस बार भी वे वहाँ से भाग गये। मार्ग में एक खेत में चरते हुए पकड़े जाने पर उन्हें ‘काँजीहौस’ में लाया गया। वहाँ से उनकी नीलामी की गई और एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। कसाई के साथ चलते-चलते दोनों बैलों को उससे डर लगने लगा। इसलिए वे दोनों भागकर झूरी के घर आ गये। अपने प्यार करने वाले मालिक और अपने थान को पाकर वे खुश हुए। झूरी ने उनके पास चारा डाला तो उसकी पत्नी ने उनके माथे चूम लिये। इस तरह दोनों बैल प्रसन्नता से रहने लगे। कठिन-शब्दार्थ :
RBSE Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. (ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शान्त होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया। प्रश्न 10. रचना और अभिव्यक्ति – प्रश्न 11. प्रश्न 12. भाषा अध्ययन – प्रश्न 13.
प्रश्न 14. (ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यन्त कठोर, आया। (ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे। (घ) मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे। (ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता। प्रश्न 15. वाक्य-प्रयोग :
RBSE Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न : निर्देश-निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए : 1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है। किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। प्रश्न 1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन क्यों समझा जाता है? 2. जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसा खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असन्तोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप में छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गये हैं। पर आदमी उसे बेवकूफ़ समझता है। सद्गुणों का इतना अनादर नहीं देखा। कदाचित् सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रश्न 1. गधे के चेहरे पर कभी असन्तोष की छाया क्यों नहीं दिखाई देती? 3. देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता है, वे जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं। अगर वे भी ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिसाल सामने है। एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया। प्रश्न 1. भारतीयों को अमेरिका में क्यों नहीं घुसने दिया जाता? 4. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’।जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है। बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है और भी कई रीतियों से अपना असन्तोष प्रकट कर देता है; अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है। प्रश्न 1. बैल को गधे का छोटा भाई क्यों कहा गया है? 2. ‘बछिया का ताऊ’ बैल को कहा जाता है. जिस प्रकार गाय का बच्चा अर्थात् बछड़ा सरल, सीधा और उत्साही होता है, उसी प्रकार बैल भी उन गुणों में उनका ताऊ अर्थात् उससे कहीं आगे होता है। इसलिए उसे बछिया का ताऊ कहा जाता है। 3. बैल गधे की तरह सरल-सहनशील भी है लेकिन उसे बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ इसलिए नहीं कहेंगे, क्योंकि वह गधे के गुणों को त्यागकर कभी-कभी अड़ियल होकर अपने सींगों का प्रयोग मारने के लिए भी करता है। 4. गधे को सीधेपन और सहनशीलता के कारण मूर्ख जानवर माना जाता है। ये गुण बैल में भी विद्यमान होते हैं इसलिए उसे गधे का छोटा भाई कहा जाता है। कुछ लोग बैल को बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं पर लेखक का ऐसा मानना नहीं है, क्योंकि बैल कभी-कभी मारता भी है और अड़ियलपन भी करता है इसलिए उसका स्थान गधे से नीचा है। 5. बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हल्की रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। प्रश्न 1. दोनों बैल आपस में किससे विचार-विनिमय करते थे? 6. अपना यों बेचा जाना उन्हें अच्छा लगा या बुरा, कौन जाने, पर झूरी के साले गया को घर तक गोई ले जाने में दाँतों पसीना आ गया। पीछे से हाँकता तो दोनों दाएँ-बाएँ भागते, पगहिया पकड़कर आगे से खींचता, तो दोनों पीछे को जोर लगाते। मारता तो दोनों सींग नीचे करके हुँकारते। अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते-तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो? हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम न चलता था तो और काम ले लेते। हमें तो तुम्हारी चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने-चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर खा लिया, फिर तुमने हमें इस जालिम के हाथ क्यों बेच दिया? प्रश्न 1. गया कौन था? वह बैलों को क्यों नहीं संभाल पा रहा था? 7. झूरी प्रातःकाल सोकर उठा, तो देखा कि दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। दोनों की गरदनों में आधा-आधा गराँव लटक रहा है। घुटने तक पाँव कीचड़ से भरे हैं और दोनों की आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा है। झूरी बैलों को देखकर स्नेह से गद्गद हो गया। दौड़कर उन्हें गले लगा लिया। प्रेमालिंगन और चुंबन का वह दृश्य बड़ा ही मनोहर था। घर और गाँव के लड़के जमा हो गए और तालियाँ बजा-बजाकर उनका स्वागत करने लगे। गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर भी महत्त्वपूर्ण थी। बाल-सभा ने निश्चय किया, दोनों पशु-वीरों को अभिनंदन पत्र देना चाहिए। कोई अपने घर से रोटियाँ लाया, कोई गुड़, कोई चोकर, कोई भूसी। प्रश्न 1. झूरी ने प्रातः काल उठते ही क्या देखा? 8. दोनों मित्रों को जीवन में पहली बार ऐसा साबिका पड़ा कि सारा दिन बीत गया और खाने को एक तिनका भी न मिला। समझ ही में न आता था, यह कैसा स्वामी है। इससे तो गया फिर भी अच्छा था। यहाँ कई भैंसें थीं, कई बकरियाँ, कई घोड़े, कई गधे पर किसी के सामने चारा न था, सब जमीन पर मुरदों की तरह पड़े थे। कई तो इतने कमजोर हो गए थे कि खड़े भी न हो सकते थे। सारा दिन दोनों मित्र फाटक की ओर टकटकी लगाए ताकते रहे। पर कोई चारा लेकर आता न दिखाई दिया। तब दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी चाटनी शुरू की, पर इससे क्या तृप्ति होती? प्रश्न 1. दोनों मित्रों से क्या अभिप्राय है? उनके जीवन में पहली बार क्या हुआ था? 9. नीलाम हो जाने के बाद दोनों मित्र उस दढ़ियल के साथ चले। दोनों की बोटी-बोटी काँप रही थी। बेचारे पाँव तक न उठा सकते थे। पर भय के मारे गिरते-पड़ते भागे जाते थे; क्योंकि वह जरा भी चाल धीमी हो जाने पर जोर से डंडा जमा देता था। राह में गाय-बैलों का एक रेवड़ हरे-हरे हार में चरता नजर आया। सभी जानवर प्रसन्न थे, चिकने, चपल। कोई उछलता था, कोई आनंद से बैठा पांगुर करता था।कितना सुखी जीवन था इनका; पर कितने स्वार्थी हैं सब। किसी को चिंता नहीं कि उनके दो भाई बधिक के हाथ पड़े कैसे दुःखी हैं। प्रश्न 1. दढ़ियल कौन था? उन दोनों की बोटी-बोटी क्यों काँप रही थी? 10. दोनों उन्मत्त होकर बछड़ों की भाँति कुलेलें करते हुए घर की ओर दौड़े। वह हमारा थान है। दोनों दौड़कर अपने थान पर आये और खड़े हो गए। दढ़ियल भी पीछे-पीछे दौड़ा चला आता था। झूरी द्वार पर बैठा धूप खा रहा था। बैलों को देखते ही दौड़ा और उन्हें बारी-बारी से गले लगाने लगा। मित्रों की आँखों से आनन्द के आँसू बहने लगे। एक झूरी का हाथ चाट रहा था। दढ़ियल ने आकर बैलों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा-मेरे बैल हैं। गाय के घर हीरा और मोती ने स्वयं को अपमानित महसूस क्यों किया?हीरा और मोती ने गया के घर स्वयं को इसलिए अपमानित महसूस किया क्योंकि गया ने अपने बैलों के चारे में चूनी-चोकर, खली आदि मिलाया परंतु हीरा मोती के सामने सूखा भूसा डाल दिया। इन बैलों के साथ झूरी ने ऐसा कभी नहीं किया था।
हीरा और मोती झूरी को क्यों चाहते थे?(घ) मोती ने गधों को भी सींग मार-मार कर भगा दिया । (ड़) बैलों को देखकर झूरी को बड़ी खुशी हुई । भी नहीं था, इसलिए वे झूरी को चाहते थे ।
हीरा और मोती क्यों परेशान हैं?Answer: क्योंकि हीरा और मोती को लगा कि उनके मालिक ने उन्हें बेच दिया। हीरा और मोती अपने मालिक झुरी से बहुत प्यार करते थे।
हीरा और मोती के स्वभाव में क्या अंतर है?मोती के स्वभाव में उग्रता अधिक थी। वह तो घर की मालकिन को भी सींग मारने की बात करता है जबकि हीरा में अधिक सहनशीलता थी। कई ऐसे अवसर आए जब उसने धैर्य का परिचय दिया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हीरा में अधिक धैर्य था।
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