These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ. बोध-प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 2. हामिद के देश (पाकिस्तान) में हिंदू-मुसलमान का भेद बहुत अधिक था। हिंदू लोग मुसलमानों को अत्याचारी मानकर उनसे घृणा करते थे तथा उनसे दूर रहते थे। अतः हामिद यह कल्पना ही नहीं कर सकता था कि कहीं हिंदू-मुसलमान आपस में प्रेम से रहते होंगे। परंतु वह दिल से चाहता था कि ये दोनों जातियाँ परस्पर प्रेमपूर्वक रहें। इसलिए उसने यह इच्छा प्रकट की कि वह लेखक के देश (भारत) में आकर हिंदू-मुसलमान को आपसी भाईचारा देखे। 3. लेखक ने
हिंदू-मुसलमानों के मेल-मिलाप की बातें हामिद खाँ को बताईं। उसे लेखक की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। पाकिस्तान में हिंदू-मुसलिम संबंधों में अंतर था। उनमें बहुत दूरियाँ थीं परंतु हिंदुस्तान में आपसी संबंध बहुत अच्छे थे। पाकिस्तान में वे एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित नहीं होते। न कोई हिंदू मुसलिम होटल में खाना खाता है और न ही कोई मुसलिम हिंदू दुकान पर जाता था। मुसलमानों को अत्याचारियों की संतान माना जाता है। इस दुनिया में उन्हे शैतानों की तरह लुक-छिपकर चलना पड़ता था। लेखक ने जब हिंदू-मुसलमान एकता
की भारत की बात की तो हामिद खाँ हैरान रह गया। पहले तो उसे लेखक के हिंदू होने पर विश्वास नहीं हुआ। फिर वह 4. हामिद खाँ लेखक का प्रेम और भाईचारा देखकर बहुत प्रभावित हुआ। उसने लेखक को अपना मेहमान मान लिया। इसलिए उसने उससे खाने को पैसा लेने से इनकार कर दिया। 5. मालाबार में हिंदू और मुसलमानों में परस्पर भेद-भाव नहीं था। वे दोनों धर्मों के नाम पर झगड़ते नहीं थे। सांप्रदायिक झगड़ों के कारण माहौल बिगड़ा हुआ नहीं
था। हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे के तीज-त्योहार में सम्मिलित होते थे। हिंदू इलाकों में मस्जिद भी स्थित है। 6. तक्षशिला में आगज़नी की खबर सुनकर लेखक के मन में हामिद के प्रति शुभकामना के भाव उठते हैं। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि वह उसे सुरक्षित रखे। इससे लेखक की उदारता, सद्भावना तथा सांप्रदायिक सौहार्द का पता चलता है। Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?लेखक ने हिन्दू मुसलमानों के मेल-मिलाप की बातें हामिद खाँ को बताई। उन्हें लेखक की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। पाकिस्तान में हिंदू-मुसलिम संबंधो में अंतर था। उनमें बहुत दूरियाँ थीं परन्तु हिन्दुस्तान में आपसी संबंध बहुत अच्छे थे। पाकिस्तान में वे एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित नहीं होते। न कोई हिंदू मुसलिम होटल में खाना खाता है और न ही कोई मुसलिम हिंदू दुकान पर जाता था। मुसलमानों को, अत्याचारियों की संतान माना जाता था। इस दुनिया में उन्हे शैतानों की तरह लुक-छिप कर चलना पड़ता था। लेखक ने जब हिन्दू मुसलमान एकता की भारत की बात की तो हामिद खाँ हैरान रह गए। पहले तो उन्हें लेखक के हिन्दू होने पर विश्वास नहीं हुआ। फिर वे लेखक को अजनबी निगाहों से देखते रहें। 454 Views ‘काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता’–हामिद ने ऐसा क्यों कहा? लेखक ने हामिद खाँ को हिंदु मुसलमान संबंधो के बारे में बुताया उन्हे पहले तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान में मुसलमानों को अत्याचार करने वालों की संतान समझा जाता था जाता था। लेखक ने हामिद खाँ को बताया कि भारत में हिंदु मुसलमान मिलकर रहते हैं। एक-दुसरे के त्योहारों में सम्मिलित होते हैं। हिंदू मुसलमानों के बीच दंगे न के बराबर होते हैं। मुसलमानों की मसजिद हिंदुओं के निवास स्थान के पास दिखाई देती है। हामिद खाँ विश्वास ही नही कर पाए कि वे हिन्दु हैं और इतने गौरव से एक मुसलिम से बात कर रहें है। मुसलमानी होटल में भी भारत में खाना खाने में किसी हिंदू को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेखक द्वारा हिंदू मुसलमान की एकता भरी बातों पर हामिद खाँ पहले तो भरोसा नहीं कर पाए इसलिए वे उनके देश में आकर ये सब देखना चाहते थे। 344 Views लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ? लेखक भारत में रहते थे। वे तक्षशिला के खंडहर देखने के लिए पाकिस्तानी दोस्तों के साथ गए थे। घूमते-घूमते उन्हें भूख लगी, कुछ न मिलने पर उन्हें गली में एक दुकान दिखाई दी। यह हामिद खाँ की दुकान थी। वहाँ उन्हें खाने के लिए सालन और चपाती मिली। बातचीत करने पर दोनों एक-दूसरे से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। मुसलिम होते हुए भी उसने हिंदू लेखक की मेहमानवाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इन परिस्थितियों में लेखक की मुलाकात हामिद खाँ से हुई। 969 Views हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इकार क्यों किया? हामिद खाँ पाकिस्तान का रहने वाला था। वह एक भला आदमी था। मानवीय भावनाओं का उसके जीवन में बहुत महत्व था। भूख के कारण होटल ढूँढते हुए जब लेखक तंग गलियों में स्थित हामिद खाँ के होटल पर पहुँच गए वहाँ उनकी मेहमानवाजी अच्छा इंसान समझ कर की गई। खाने के बदले लेखक पैसे देना चाहता था परन्तु हामिद खाँ ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया। एक रूपए के नोट को वापिस करते हुए हामिद खाँ ने कहा कि मैनें आपसे पैसे ले लिए, लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके पास रहें। आप जब भारत पहुँचे तो उनकी मेहमानवाजी को याद रखें। लेखक की इनसानियत व उनकी मेल-मिलाप की बातों से हामिद खाँ प्रभावित हुए थे इसलिए उन्होनें मेहमानवाजी के पैसे लेने से इंकार कर दिया। 500 Views मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए। मालाबार में हिंदू-मुसलमानों में परस्पर भेद-भाव नहीं था। वे दोनों धर्मो के नाम पर झगड़ते नहीं थे। साम्प्रदायिक झगड़ों के कारण माहौल बिगड़ा हुआ नहीं था। हिन्दू-मुसलमान एक-दूसरे के तीज-त्योहार में सम्मिलित होते थे। हिंदू इलाके में मस्जिद मिलती है। 442 Views हामिद खां को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हुआ और क्यों?हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था? उत्तरः लेखक ने बताया कि हमारे यहाँ हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं और बढ़िया चाय या बढ़िया पुलाव के लिए मुसलमानी होटल में खाना खाते हैं। लेकिन लेखक की इस बात पर पठान हामिद खाँ को विश्वास न हुआ और बोला-काश मैं आपके मुल्क में आकर सब बातें अपनी आँखों से देख पाता।
हामिद खाँ को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसने लेखक से खाने के पैसे लेने से इंकार क्यों किया?Answer: लेखक ने हामिद को कहा कि वह बढ़िया खाना खाने मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं किया जाता है। हिंदू-मुसलमान दंगे भी न के बराबर होते हैं तो हामिद को विश्वास नहीं हुआ।
हामिद ने लेखक से खाने के पैसे क्यों नहीं लिए थे?हामिद खाँ को गर्व था कि एक हिंदू ने उनके होटल में खाना खाया। साथ ही वह लेखक को मेहमान भी मान रहा था। वह आने वाले के शहर की हिंदू-मुस्लिम एकता का भी कायल हो गया था। इसलिए हामिद खाँ ने खाने के पैसे नहीं लिए।
हामिद खान ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया? हामिद खां ने लेखक को मेहमान माना था। उसे गर्व था कि एक हिन्दू ने उसके होटल का खाना खाया था। इसलिए उसने खाने का पैसा लेने से इंकार किया।
|