गज़ब हो गया ऐसी बस अपने आप चलती है लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई - gazab ho gaya aisee bas apane aap chalatee hai lekhak ko yah sunakar hairaanee kyon huee

बस की यात्रा

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-18   लेखक की चिंता क्यों जाती रही?    

उत्तरबस में जब पहली बार खराबी आई तो लेखक को चिंता हुई, पर जब खटारा बस में एक के बाद एक समस्या उत्पन्न होती गई तो अंत में लेखक ने समय से पन्ना पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी और परिस्थिति से समझौता कर लिया। इसलिए लेखक की चिंता जाती रही।

प्रश्न-19   'हर हिस्सा असहयोग कर रहा था' इस पंक्ति में क्या व्यंग्य निहितार्थ है?    

उत्तर'हर हिस्सा असहयोग कर रहा था' इस पंक्ति में लेखक ने यह व्यंग्य किया है कि चलते समय बस की पूरी बॉडी हिल रही थी। बस के कल-पुर्जे, बॉडी, सीट इत्यादि सभी हिल - रहे थे। वे ठीक से कसे हुए नहीं थे, जिससे उसमें तारतम्य का अभाव था और बस आवाज़ के साथ हिलते हुए आगे बढ़ रही थी।



प्रश्न-20   “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर - बसकीहालतबहुतखराबथी।बस कीवर्तमानस्थितिदेखतेहुएइसप्रकारकाआश्चर्यव्यक्तकरनास्वाभाविकथा।देखनेसेलग नहींरहाथाकिबसचलतीभीहोगीपरन्तुजबलेखकनेबसकेहिस्सेदारसेपूछा तोउसनेकहाचलेगीहीनहीं, अपनेआपचलेगी।

प्रश्न-21   “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”
लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?   

उत्तर - कंपनी का हिस्सेदार टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। वह अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था। अर्थ मोह की वजह से आत्म बलिदान की ऐसी भावना दुर्लभ थी जिसे देखकर लेखक हतप्रभ हो गया और उसके प्रति उनके मन में श्रद्धा जाग गई।

प्रश्न-22   “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
लेखक को ऐसा क्यों लगा?   

उत्तर - जब बस चालक ने इंजन स्टार्ट किया तब सारी बस झनझनाने लगी। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है। मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भांति बस के यात्री भी हिल रहे थे।


प्रश्न-23   लेखक ने बस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। लेखक को ऐसा क्यों लगा कि हिस्सेदार की योग्यता का सही उपयोग नहीं हो रहा है?   

उत्तरइस व्यंग्य कथन के माध्यम से लेखक ने कहा है कि बस कंपनी के हिस्सेदार को मालूम था कि बस के टायर घिसे - पिटे हैं और कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। उसे न तो स्वंय की जान की परवाह थी और न ही यात्रियों की जान की। उसने टायर बदलने का ज़रा विचार नहीं किया। 

प्रश्न- 24“मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तरबसकीजर्जरअवस्थासेलेखककोऐसामहसूस होरहाथाकिबसकीस्टीयरिंगकहींभीटूटसकतीहैतथाब्रेकफेलहोसकता है।ऐसेमेंलेखककोडरलगरहाथाकिकहींउसकीबसकिसीपेड़सेटकरा जाए।एकपेड़निकलजानेपरवहदूसरेपेड़काइंतज़ारकरताथाकिबसकहीं इसपेड़सेटकराजाए।यहीवजहहैकिलेखककोहरपेड़अपनादुश्मनलग रहाथा।

प्रश्न-25   सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।

उत्तर -‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ १९३० में सरकारी आदेशों का पालन न करने के लिए किया था। इसमें अंग्रेज़ी सरकार के साथ सहयोग न करने की भावना थी। लेखक ने ‘सविनय अवज्ञा’ का उपयोग बस के सन्दर्भ में किया है। वह इस प्रतीकात्मक भाषा के माध्यम से यह बताना चाह रहा है कि बस विनय पूर्वक अपने मालिक व यात्रियों से उसे स्वतंत्र करने का अनुरोध कर रही है।


प्रश्न-26   “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?   

उत्तर - बस की हालत बहुत खराब थी। उसका सारा ढाँचा बुरी हालत में था, अधिकतर शीशें टूटे पड़े थे। इंजन और बस की बॉडी का तो कोई तालमेल नहीं था। बस का कोई भरोसा नहीं था कि यह कब और कहाँ रूक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कहाँ बितानी पड़ जाए, कुछ पता नहीं रहता। कई लोग पहले भी उस बस से सफ़र कर चुके थे। वो अपने अनुभवों के आधार पर ही लेखक व उसके मित्र को बस में न बैठने की सलाह दे रहे थे। उनके अनुसार यह बस डाकिन की तरह थी।

प्रश्न-27   आशय स्पष्ट कीजिए-.
'गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।'
'अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।'    

उत्तर'गज़ब हो गया, ऐसी बस अपने आप चलती है।' यह बात लेखक ने बस कंपनी के हिस्सेदार से बस में सवार होने से पहले कही क्योंकि बस अत्यधिक पुरानी और खटारा दिखाई दे रही थी।

'अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।' इस कथन के माध्यम से लेखक ने खराब बस पर व्यंग किया है। यदि खटारा बस सुनसान रास्ते पर चलते - चलते अचानक खराब हो गई तो  यात्रियों को बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा।

गजब हो गया ऐसी बस अपने आप चलती है लेखक को सु नकर हैरानी क्यों ह ुई?

Solution : लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई कि देखने में तो बस अत्यन्त पुरानी खटारा-सी लग रही थी। उसे देखकर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि यह सफर तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कम्पनी के हिस्सेदार से पूछा कि यह बस चलती भी है, तब उन्होंने कहा कि यह अपने आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था।

ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर लेखक को ऐसा क्यों लगा?

लेखक को ऐसा क्यों लगा? ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और... Solution : लेखक को ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि जब बस को स्टार्ट किया गया तब पूरी बस जोर की आवाज करती हुई हिलने लगी। ऐसे में लेखक और उसके मित्रों को लगा कि जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के अन्दर बैठे हैं।

लेखिका को हैरानी क्यों नहीं हुई?

जब कंपनी के हिस्सेदार ने बताया कि बस अभी अपने आप चलेगी ? Solution : लेखक ने बस के बारे में जानकारी ली कि क्या यह बस चलती भी है तब हिस्सेदार ने बताया चलती क्यों नहीं जी , अभी चेलगी। अपने आप चलेगी। अब लेखक को हैरानी हुई कि क्या बस अपने आप चलती है।

लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस में सफर नहीं करते लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

"लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।" लोगों ने यह सलाह क्यों दी? Solution : लोगों ने यह सलाह लेखक को इसलिए दी, क्योंकि वे यह जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है। बस यात्रियों को गंतव्य तक ठीक से पहुँचा ही देगी यह कहना मुश्किल था।