यह लेख गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाने वाली गढ़वाली भाषा के बारे में है। गढ़वाली संस्कृति के लिए, गढ़वाली लोग देखें। Show गढ़वळि भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। जो की विलुप्ती की कगार पे है क्योंकि लोग बड़ी मात्रा मे पलायन कर रहे है इसका बड़ा कारण है रोजगार और बुनियादी जरूरते।लोग शहरो मे रह रहे है।अगर आप किसी भी पहाड़ी गांव मे जायेगे तो वहां पर ज्यादा मात्रा मे वृद्ध लोग ही मिलेंगे।हम मानते है कि बुनयादी जरूरतों के लिए पलायन करना पड़ रहा है परंतु लोगो को ये भी समझना होगा कि आने वाली पीढ़ी को हम अपनी संस्कृति और भाषा से वंचित रख रहे है। हालांकि अगर पहाड की राजधानी गैरसैण को बनाया जाये तो यहां के निवासियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी । तब जब राजधानी पहाड में बनेगी तब रोजगार के बहुत से माध्यम उपलब्ध होंगे । एवं पलायन में भी कमी आयेगी । जब पहाड का बहुआयामी विकास होगा तो यहां से शहर गये हुवे पहाडी लोग भी यहां वापस आने लगेंगे । एवं फिर से अपनी गढवाली भाषा की संस्कृति को अपने आने वाली पीढी को सुपुर्द कर पायेंगे । गढ़वाली की बोलियाँ[संपादित करें]गढ़वळि भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ प्रचलित हैं यह गढ़वाल के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में भिन्न भिन्न पाई जाती है।
साहित्य[संपादित करें]गढ़वळि में साहित्य प्राय: नहीं के बराबर है, किंतु लोक- साहित्य प्रचुर मात्रा में है। इसके लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है। व्याकरण[संपादित करें]गढ़वळि का व्याकरण हिंदी से भिन्न है। संज्ञा[संपादित करें]कारक[संपादित करें]
लिंग[संपादित करें]गढ़वळि भाषा में दो ही लिंग हैँ पुल्लिंग और स्त्रीलिंग। पुल्लिंग[संपादित करें]पुल्लिंग प्रायः उकारांत होता है। जैसे डालु (पेड़), छ्वारु (छोरा), ढैबरु (नर भेढ़) आदि. जनैनी (पत्नी), जंवै (पति) स्त्रीलिंग[संपादित करें]स्त्रीलिंग प्रायः अकारांत इकारांत उकारांत होता है। जैसे- बिटल्हर (औरत), ल्होड़ी (लड़की), बो (भाभी) आदि वचन[संपादित करें]गढ़वाली में दो ही वचन हैँ एकवचन और बहुवचन। वचन लिंग अनुसार बदलते हैँ। स्त्रीलिंग और वचन[संपादित करें]स्त्रीलिंग एकवचन प्रायः अकारांत इकारांत उकारांत और बहुवचन नासिक्य या इकारांत होता है जैसे- कजाण (पत्नी)-कजणी ब्वारी (बहु)-ब्वारीँ पुल्लिंग और वचन[संपादित करें]पुल्लिंग एकवचन प्रायः उकारांत होता है और बहुवचन प्रायः ऽऽकारांत होता है। (ऽ प्रायः अ की तरह उच्चारित होता है और ऽऽ अ का दीर्घ उच्चारण है न कि आ। गढ़वाली में अ का दीर्घ उच्चारण और आ दोनोँ भिन्न हैँ।) जैसे डालु (पेड़)-डालऽ सर्वनाम[संपादित करें]गढ़वाली में सर्वनाम प्रायः हिंदी के समतुल्य भी हैँ और हिंदी के विपरित भी।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
गढ़वाली लोग कैसे होते हैं?शहरी क्षेत्रों और यात्रा मार्गों की आबादी ने अपनी संस्कृति को यात्रिओं के साथ मिलकर देश के दूसरे हिस्से से पहुचाया है। एक गढ़वाली कद में छोटे, कठोर, मेहनती और होते हैं । वे सरल और शर्मीले तथा प्रकृति के सबसे करीब होते हैं।
गढ़वाली में लड़के को क्या कहते हैं?Boy ( छवारा )
Garhwali Example: यी नइ पीढ़ी क छवारा छन ।
गढ़वाली में भाई को क्या बोलते हैं?Garhwali Example: वा खूब रवाइ च क्योक कि वींक बड़ भुला न वींतइ खूब चिड़ाइ ।
गढ़वाली भाषा कैसे बोली जाती है?यह भाषा मुख्य रूप से तीन तहसीलों चकराता, कालसी और त्यूनी में बोली जाती है। इस क्षेत्र की सीमाएं टिहरी ओर उत्तरकाशी से लगी हुई हैं और इसलिए इन जिलों के कुछ हिस्सों में भी जौनसारी बोली जाती है। जार्ज ग्रियर्सन ने इसे पश्चिमी पहाड़ी की बोली कहा था।
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