गोपियां श्री कृष्ण की मुरली से क्यों जलती है? - gopiyaan shree krshn kee muralee se kyon jalatee hai?

गोपियां कृष्ण की मुरली से क्यों जलती हैं?

gopiyaan krshn kee muralee se kyon jalatee hain?

गोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं और इसका उत्तर ये है की गोपियाँ कृष्ण की मुरली से इसलिए जलती थीं, क्योंकि वे उसे सौतन समझती थीं। श्रीकृष्ण हर समय मुरली बजाते रहते थे। गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते थे।

विषयसूची

  • 1 गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं?
  • 2 आपके विचार से कवि पशु पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
  • 3 ग्रीष्म ऋतु से आप क्या समझते हैं?
  • 4 गोपियों के व्यंग्य कटाक्ष और आरोप सुनकर उद्धव की क्या दशा हुई होगी कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए?

गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं?

इसे सुनेंरोकेंगोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं? उत्तरः गोपियाँ कृष्ण की मुरली से इसलिए जलती थीं, क्योंकि वे उसे सौतन समझती थीं। श्रीकृष्ण हर समय मुरली बजाते रहते थे। गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते थे।

विरोधी स्वभाव वाले जानवरो की शत्रुता को कौन समाप्त कर दिया क ग्रीष्म ऋतु की भयंकरता ख अहि मयूर ग मृग बाघ घ तपस्वी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: ग्रीष्म ऋतु में संसार तपोवन-सा हो जाता है क्योंकि भीषण गर्मी ने हिंसक पशुओं की हिंसा, वैर, विरोध व शत्रुता समाप्त कर दी है।

आपके विचार से कवि पशु पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: मेरे विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य इसलिए पाना चाहता है क्योंकि वह श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह हर जन्म में, हरे रूप में अपने इष्ट देव श्रीकृष्ण का सामीप्य पाना चाहता है। वह ब्रजभूमि के पशु, पक्षी और पहाड़ में श्रीकृष्ण की निकटता महसूस करता है।

गोपियों को ऐसा क्यों लगता है कि मुरली ही कृष्ण के क्रोध का कारण है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न – गोपियों को ऐसा क्यों लगता है कि मुरली ही कृष्ण के क्रोध का कारण है? उत्तर – क्योंकि मुरली कृष्ण और गोपियों के प्रेम में बाधा उत्पन्न करती है। कृष्ण मुरली से इतना अधिक प्रेम करते हैं कि उन्हें गोपियों की सुध नहीं रहती।

ग्रीष्म ऋतु से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंग्रीष्म ऋतु भारत की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। भारतीय गणना के अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ के महीनों में ग्रीष्म ऋतु होती है। ग्रीष्म ऋतु में मानूसन के आगमन के पूर्व पश्चिमी तटीय मैदानी भागों में भी कुछ वर्षा प्राप्त होती है, जिसे ‘मैंगों शावर’ कहा जाता है।

हार जाने पर कृष्ण के क्रोध करने का क्या कारण था?

इसे सुनेंरोकेंइस पंक्ति में कृष्ण द्वारा बारी न दिए जाने पर ग्वाले कृष्ण को नाना प्रकार से समझाते हुए अपनी बारी देने के लिए विवश करते हैं। व्याख्या- ‘कृष्ण’ गोपियों से हारने पर नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनके मित्र उन्हें उदाहरण देकर समझाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जाति-पाति में हमसे बड़े नहीं हो, तुम हमारा पालन-पोषण भी नहीं करते हो।

गोपियों के व्यंग्य कटाक्ष और आरोप सुनकर उद्धव की क्या दशा हुई होगी कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउद्धव गोपियों को ज्ञान मार्ग पर चलने की सीख देते हैं, लेकिन गोपियां प्रेम के मार्ग पर चलने में ही विश्वास रखती हैं। वे अपने तर्कों से उद्धव की ज्ञान की बातों को काट देती हैं और उन पर तीखे व्यंग एवं कटाक्ष करती हैं। लेकिन उद्धव उन्हें योग मार्ग पर चलने का उपदेश देने लगे, जिससे गोपियों को उद्धव का यह संदेश पसंद नहीं आया।

गोपियां कृष्ण की मुरली से क्यों जलती हैं?...


गोपियां श्री कृष्ण की मुरली से क्यों जलती है? - gopiyaan shree krshn kee muralee se kyon jalatee hai?

19 जवाब

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कविता पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. कवि रसखान की कविता में मुख्यतः किसके प्रति प्रेम की मनोरमता प्रकट हुई है और वह कवि की किस विशिष्टता का परिचय देती है ?

[C.B.S.E. 2014 Term I, OWO2BPO]

उत्तरः रसखान की कविता में ब्रजभूमि के प्रति उनका प्रेम व्यक्त हुआ है। अगला जन्म, चाहे जिस योनि में मिले, पर मिले ब्रजभूमि में यही उनकी आकांक्षा है क्योंकि ब्रजभूमि कृष्ण की लीलास्थली रही है। रसखान का यह भाव उनके कृष्ण प्रेम का व्यंजक है। वे कृष्ण भक्त थे अतः किसी भी स्थिति में कृष्ण की भूमि (ब्रज) का सान्निध्य पाने को लालायित हैं।

प्रश्न 2. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?

[C.B.S.E. 2012 Term, Set 29 A] 

अथवा
कवि रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार प्रकट किया है?

[C.B.S.E. 2010 Term I]

उत्तरः ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम अनेक रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ।
(i) कवि मनुष्य के रूप में ब्रजभूमि में जन्म लेकर वहाँ के ग्वालों के साथ रहना चाहता है।
(ii) पशु (गाय) के रूप में ब्रजभूमि में जन्म लेकर कवि नन्द बाबा की गायों के बीच विचरण करना चाहता है।
(iii) कवि पक्षी के रूप में भी ब्रजभूमि में जन्म लेकर यमुना के किनारे कदंब के पेड़ पर निवास करना चाहता है।
(iv) कवि पत्थर के रूप में भी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है। 

प्रश्न 3. कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
अथवा

रसखान श्रीकृष्ण का सान्निध्य किस-किस रूप में पाना चाहते हैं और क्यों?

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set A1]

उत्तरः कवि रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। उनके हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम है। उनकी हार्दिक इच्छा यह है कि वे किसी भी रूप में रहें पर श्रीकृष्ण की निकटता प्राप्त करें। ब्रज के कण-कण से, पशु-पक्षी, पर्वतों, तड़ागों से श्रीकृष्ण का अनन्य प्रेम रहा है। इसलिए कवि भी उनका सान्निध्य पाना चाहता है। 

प्रश्न 4. मुरली को कौन अपने होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती है? रसखान के सवैये के आधार पर लिखिए।

[C.B.S.E. 2013 Term-I, Set 8ATH36H]

उत्तरः नायिका अपने होठों पर मुरली सौतिया डाह के कारण नहीं धारण करना चाहती है। श्रीकृष्ण को मुरली वादन इतना प्रिय है कि वे उसमें डूब जाते हैं जिससे नायिका की अवहेलना हो जाती है, इसलिए मुरली के प्रति नायिका ईष्र्यालु है। साथ ही मुरली कृष्ण के अधरों पर रखी होने से जूठी हो गई है अतः इस जूठी मुरली को नायिका अपने होठों से नहीं लगाना चाहती।

प्रश्न 5. कवि रसखान का ब्रज के वन बाग, तड़ाग को निहारने के पीछे क्या कारण है ? स्पष्ट कीजिए।

C.B.S.E. 2015 Term I, 42UMWBI]

उत्तरः ब्रज के वन, बाग, तड़ाग से श्रीकृष्ण की स्मृतियाँ जुड़ी हैं इसलिए रसखान उन्हें निहारना चाहते हैं। इससे रसखान का श्रीकृष्ण के प्रति अथाह प्रेम प्रकट होता है। 

प्रश्न 6. लकुटी, कामरिया, ब्रज के वन, बाग, तड़ाग, नंद की गाएँ तथा खेत के चने इन सभी का इतना महत्व कवि रसखान के हृदय में क्यों हैं ? स्पष्ट कीजिए।

[C.B.S.E. 2016 Term I, X2U37E] 

उत्तरः ये सभी रूप कृष्ण भक्ति के उपरूप हैं, घटक हैं तथा इन सबका परस्पर सम्बन्ध है। ये सब ब्रज संस्कृति के अनुपम उदाहरण हैं इसलिए रसखान के हृदय में इन सबके प्रति इतना आदर है।

प्रश्न 7. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्यौछावर करने को क्यों तैयार है?

[C.B.S.E. 2012 Term I, Set 45] 

अथवा

लकुटी और कामरिया पर कवि क्या-क्या त्यागने को तैयार है?

[C.B.S.E. 2010 Term I] 

उत्तरः श्रीकृष्ण की लाठी और कम्बल कवि के लिए साधारण लाठी और कम्बल नहीं है। रसखान के आराध्य देव श्रीकृष्ण उस लाठी और कम्बल को लेकर ग्वालबालों के साथ गाय चराने जाया करते थे। उन्हें प्राप्त करके जो सुख कवि को प्राप्त होगा उसके लिए वह तीनों लोकों का राज भी न्यौछावर करने को तैयार है।

प्रश्न 8. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set F3]

उत्तरः सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण का रूप धारण करने का आग्रह किया। सिर पर मोर पंख का मुकुट, गले में गुंज के फूलों की माला पहनकर श्रीकृष्ण के समान पीले वस्त्र धारण कर हाथ में लाठी लेकर वन में ग्वालों के साथ जाने की कामना की है। श्रीकृष्ण के समान रूप धारण करके वह उनके प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करना चाहती है। 

प्रश्न 9. गोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं ?

[C.B.S.E. Set A1, 2010]

उत्तरः गोपियाँ कृष्ण की मुरली से इसलिए जलती थीं, क्योंकि वे उसे सौतन समझती थीं। श्रीकृष्ण हर समय मुरली बजाते रहते थे। गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते थे। 

प्रश्न 10. काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set B3]

उत्तरः (i) पंक्ति में ब्रज भाषा का प्रयोग है और यमक अलंकार की छटा दर्शनीय है।

(ii) प्रस्तुत पंक्ति में श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों का अनन्य प्रेम प्रकट हुआ है।

(iii) कृष्ण की बाँसुरी के प्रति गोपियों की ईशा की भावना प्रकट होती है।

(iv) गोपियाँ कृष्ण के समान वेश-भूषा धारण करना चाहती हैं लेकिन ईशा भाव के कारण उनकी बाँसुरी को अपने अधरों पर रखना नहीं चाहती हैं, क्योंकि वे उसे अपनी सौतन मानती हैं।

(v) दी गई पंक्ति में यमक अलंकार है।
अधरान धरी = होंठों पर रखी हुई (अर्थात् जूठी)
अधरा न धरौंगी = होठों पर नहीं रखूँगी। 

प्रश्न 11. गोपी श्रीकृष्ण का स्वांग क्यों रचना चाहती है?

[C.B.S.E. 2013 Term-I, Set 9L75DKV]

उत्तरः सखी के आग्रह पर गोपी श्रीकृष्ण का रूप धारण करने को तैयार है। श्रीकृष्ण के समान रूप धारण करके वह उनके प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करना चाहती है। 

प्रश्न 12. काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै। पंक्ति का अर्थ लिखिए तथा बताइए कि कानों में उँगली लगाकर रहने का आशय क्या है ?
उत्तरः जब मंद ध्वनि में कृष्ण की मुरली बजेगी तो कानों में उँगली देकर रहना होगा। कान बंद कर लेना, ताकि मुरली ध्वनि सुनाई न दे क्योंकि गोपियों को मुरली से सौतिया डाह है।

प्रश्न 13. भाव स्पष्ट कीजिए-

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set A2]

(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै। 

उत्तरः (क) रसखान कवि ब्रज क्षेत्र की कँटीली झाड़ियों के लिए करोड़ों सोने चाँदी के महलों को न्यौछावर कर देना चाहते हैं, श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति भावना के कारण वे करोड़ों सोने के महलों का सुख भी छोड़ने को तैयार हैं।

(ख) गोपियाँ श्रीकृष्ण की मनमोहक मुस्कान के आकर्षण से विवश होकर उनके वश में हो जाती हैं। वे कहती हैं कि श्रीकृष्ण की सुन्दर छवि और मनमोहक मुस्कान को देखकर जो आनन्द उन्हें प्राप्त होगा। उसे वे संभाल नहीं पाएँगी। 

प्रश्न 14. गोपी सारे स्वांग अर्थात् क्रियाकलाप श्रीकृष्ण के अनुरूप ही करने को तैयार है पर ऐसी कौन-सी वस्तु है जिससे उसे परहेज है? और क्यों?

[C.B.S.E. 2014 Term I, Set 3W4CERE]

अथवा

रसखान कवि के अनुसार गोपी कृष्ण का सब स्वांग करने को तैयार है लेकिन वह मुरली को नहीं अपनाना चाहती, क्यों?

[C.B.S.E. 2014 Term I, Set R & M]

उत्तरः गोपी अपनी सखी के कहने पर श्रीकृष्ण के सारे क्रिया-कलाप करने को तैयार है किन्तु वह अपने अधरों पर मुरली नहीं रखेगी। इससे उसे परहेज है क्योंकि मुरली के प्रति उसे सौतिया डाह है तथा यह कृष्ण के द्वारा जूठी कर दी गई है अतः उसे अपने होठों पर वह धारण नहीं करेगी।

गोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती है?

गोपियाँ कृष्ण की मुरली से क्यों जलती थीं ? उत्तरः गोपियाँ कृष्ण की मुरली से इसलिए जलती थीं, क्योंकि वे उसे सौतन समझती थीं। श्रीकृष्ण हर समय मुरली बजाते रहते थे। गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते थे।

गोपिका कृष्ण की मुरली को अपने होंठो से क्यों नहीं लगाना चाहती?

गोपियाँ श्रीकृष्ण के सौंदर्य पर मोहित हैं। श्रीकृष्ण के गाए गए गोधन को भी वह अनसुना कर देंगी पर श्रीकृष्ण की मादक मुस्कान देखकर वे अपने आपको संभाल नहीं पाएँगी। वे श्रीकृष्ण की उस मुसकान के आगे स्वयं को विवश पाती हैं तथा उनकी ओर खिंची चली जाती हैं।

गोपियां कृष्ण की मुरली की धुन क्यों नहीं सुनना चाहती थी?

Answer: वह जब देखो अपनी मुरली की तान द्वारा मधुर धुन छोड़ते रहते हैं। वे उनकी अदाओं की तरफ ध्यान भी नहीं देते। इस उपेक्षा का कारण वे मुरली को मानती थीं, इसलिये गोपियों ने कृष्ण की मुरली के प्रति ईर्ष्या की भावना रखने के कारण कृष्ण की मुरली छुपाई।