गंगटोक शहर को मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया है? - gangatok shahar ko mehanatakash baadashaahon ka shahar kyon kaha gaya hai?

गंतोक एक ऐसा पर्वतीय स्थल है जिसे वहाँ के मेहनतकश लोगों ने अपनी मेहनत से सुरम्य बना दिया है। वहाँ सुबह, शाम, रात सब कुछ सुंदर प्रतीत होता है। यहाँ के निवासी भरपूर परिश्रम करते हैं, इसीलिए गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है।

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3- कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

उत्तर- श्वेत पताकाओं का फहराना शान्ति और अहिंसा का प्रतीक माना जाता है। जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाती है तब शहर से दूर उसकी आत्मा की शान्ति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसी प्रकार जब किसी नए कार्य की शुरुआत की जाती है तब रंगीन पताकाएँ फहरायी जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता। ये स्वयं ही नष्ट हो जाती हैं।

4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति के बारे में, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दी, लिखिए।

उत्तर- सिक्किम भारत से लगता हुआ स्वतंत्र राज्य था। यह एक ऐतिहासिक व बादशाहो का शहर था। कवी-लांग स्टॉक तथा यूमथांग बार्डर से लगते हुए स्थान हैं। गैंगटॉक सिक्किम की राजधानी है जो अत्याधिक सुन्दर है। यहां के लोग बहुत ही भोले और मेहनती है। ये भारत में मिलकर बहुत खुश हैं तथा अपने आपको इंडियन बताकर भारत के गौरव को और भी गौरवान्वित करते हैं। न जाने पहाड़ी रास्ता बनाने में कितने मेहनतकशों की जान गई थी| फिर भी यह काम जोरों पर चल रहा है।साना-साना हाथ जोड़ि पाठ में बताया गया है कि लोग यहाँ बहुत गरीब हैं. महिलाएं बच्चों को साथ लेकर सड़क बनाने का काम करती हैं परन्तु ये अपने जीवन से हतोत्साहित नहीं हैं तथा खुशी-खुशी जीवन-यापन करते हैं। ये सच्चे देशभक्त हैं।

5- लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?

उत्तर- लोंग स्टॉक में घूमते चक्र के बारे में जितेन नार्गे बताता है कि इस चक्र को घुमाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। लेखिका सोचती है कि भारत आजाद होने पर भी मानसिक संकीर्णता तथा अंधविश्वासों से मुक्त नहीं हुआ है। अब भी पूरे भारत की अंधविश्वास पर आस्था अडिग है।
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6- जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?

उत्तर- जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करने से यह पता चलता है कि एक कुशल गाइड में निम्नवत् गुण होते हैं--

उत्तर-
1- एक कुशल गाइड में अपने क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी होती है।
2- उसमें उस क्षेत्र विशेष से जुड़ी जनश्रुति, दंतकथा आदि की जानकारी होती है।
3- उसमें वाक्पटुता और व्यवहार कुशलता के अलावा विनम्रता होती है।
4- एक कुशल गाइड मृदुभाषी एवं सहनशील होता है।
5- वह गाइड होने के साथ-साथ ड्राइवर भी होता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर गाड़ी भी चला सके।
6- वह साहसी तथा उत्साही होता है जो खतरों का सामना करने से नहीं डरता।

7-इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- लेखिका हिमालय को नगपति तथा विराट मानती है। हिमालय की घुमावदार सड़कें कभी ऐसी संकरी आती हैं कि जरा-सी चूक और सीधे खाई में। हिमालय पर्वत में बनी ये सड़कें जलेबी-सी घुमावदार और रोमांच के रस से भरी दिखाई देती हैं। पर्वत पर कहीं जमी हुई बर्फ तथा कहीं पिघलती हुई बर्फ के कारण ऐसा लगता है जैसे चारो तरफ चूना बिखरा हुआ है, जो कहीं-कहीं धूप से उड़ गया है। हिमालय की गोद में बसा 'कटाओ' स्विटजरलैंड से भी सुन्दर है। सेवन सिस्टर्स वाटर फॉल नामक झरने को देख लेखिका स्वयं को अभिशप्त राजकुमारी महसूस करने लगती है। लेखिका आसमान छूते पर्वतों को, फेन उगलती जल प्रपात तीस्ता नदी की धार को, चिकने-चिकने गुलाबी पत्थरों को तथा अपूर्व सौंदर्य को देख स्तंभित-सी रह गई थी। इस स्वर्गिक सौंदर्य में उसने दैन्य, भूख का एहसास पाया परन्तु फिर काम करने वालों की खिलखिलाहट से मन्त्रमुग्ध हो गई।

8- प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

उत्तर- प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका मंत्रमुग्ध सी हो जाती है। उसे प्रकृति अत्यंत रहस्यमयी और मोहक लगती है। वह इस सौंदर्य को किसी बुत-सी 'माया' और 'छाया' के खेल की तरह देखती रह जाती है। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति लेखिका को नासमझ जानकर अपना परिचय देती हुई जीवन के विभिन्न रहस्यों से परिचित करा रही हो ताकि लेखिका जीवन के रहस्यों से परिचित हो सके।

9- प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

उत्तर- लेखिका हिमालय के अनुपम सौदर्य को देख मन्त्रमुग्ध-सी उस अलौकिक प्रकृति में डूबी थी परन्तु जब उसने कुछ पहाड़ी औरतों को पत्थरों पर पत्थर तोड़ते देखा तो उसकी अतींद्रियता चकनाचूर हो गई। उनकी कोमलकाया, हाथों में हथोड़े तथा पीठ पर बंधे झोलों में उनके बच्चों को बंधे देख उसे वे आदिवासी युवतियों याद आ गई जिन्हें उसने पलाम् और गुमला के जगलो में देखा था। इन पहाड़िनों के हाथों में पड़े ठाठे तथा उनके फूल हुए पाव मातृत्व तथा जीवन को जीने की श्रम साधना की कहानी कह रहे थे इस स्वर्गिक सौंदर्य में भूख, मौत, दैन्य और जिन्दा रहने की जंग ने लेखिका को झकझोर दिया। दूसरा दृश्य उन फौजियों का था जो ऐसी सर्दी में रह रहे थे जहाँ पैट्रोल को छोड़ सब कुछ जम जाता है।

10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।

उत्तर- सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा की अनुभूति करवाने में अनेक लोगों का योगदान होता है; जैसे
1- खाद्य वस्तुएँ एवं अन्य सुरक्षा के उपकरण बेचने वालों का, जो पर्यटकों की क्षुधा शांत करने के अलावा स्वादानुभूति करवाते हैं।
2- कैमरा, जूते, छड़ी, दूरबीन आदि किराए पर उपलब्ध करवाने वालों का, जो पर्यटकों की यात्रा को यादगार बनाते हैं |
3- वाहन चालक और परिचालकों का, जो पर्यटकों को मनोरम स्थानों पर ले जाते हैं।
4- गाइड का, जो पर्यटकों को विभिन्न जानकारियाँ देकर ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन करते हैं।
5- सड़क बनाने, बोझा ढोने में लगे मजदूरों का, जिनकी मदद से उन दुर्गम स्थानों तक पहुँचा जाता है।

11. "कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।" इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या योगदान है?

उत्तर-  आम जनता देश की आम जनता नहीं वरन देश की आर्थिक स्थिति का विशेष स्तर है। इसी जनता के कारण जीवन का सन्तुलन बनता है। ये देश के विकास में योगदान देते हैं। पहाडी इलाकों में सड़क बनाते हैं तथा देश की सेवा करते हैं। देश के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा होकर भी कम लेकर ये समाज को बहुत कुछ वापस लौटा देते हैं। यहाँ तक की कई बार तो जान भी दे जाते हैं तथा पूरी लगन व मेहनत से श्रम साधना करते हैं।

12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।

उत्तर- आज की पीढ़ी प्रकृति का लगातार दोहन कर रही है जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ हैं। यह पीढ़ी विकास की दुहाई देकर लगातार भूमि अपरदन कर रही है तथा वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रही है। यह पीढ़ी नदियों में कारखानों आदि का गंदा पानी तथा अपशिष्ट पदार्थ बहाकर प्रकृति के संसाधनों का शोषण कर रही है। इस खिलवाड़ के कारण तापमान बढ़ रहा है तथा ऊँचाई तथा ठंड वाले स्थानों पर भी स्नोफॉल कम हो गया है। इसे रोकने के लिए हमें निम्न कार्य करने चाहिए--

(1) इन जगहों पर कागज या अन्य अनुपयोगी पदार्थ जलाना नहीं चाहिए।
(2) यथासंभव यहाँ तक पहुँचने के लिए सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।
(3) पर्यटन स्थलों पर किसी भी प्रकार का खाली पैकेट, अवशिष्ट खाद्य पदार्थ तथा कूडा नही डालना चाहिए।
(4) इन स्थानों पर लगे कूड़ेदान का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।

उत्तर- प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का उल्लेख किया गया है, परंतु प्रदूषण के अन्य दुष्परिणाम जो सामने आए हैं, वे निम्नवत् हैं-

(1) प्रदूषण से वैश्विक तापमान बढ़ा है, जिससे ध्रुवों की बरफ़ जल्दी पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

(2) प्रदूषण से जलवायु चक्र प्रभावित हुआ है, जिससे असमान वर्षा तथा प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है।

(3) स्वाँस संबंधी बीमारियों के अलावा अन्य नाना प्रकार की बीमारियों में अचानक वृद्धि हुई है।

(4) प्रदूषण के कारण कम बर्फ गिरने से प्राकृतिक सौंदर्य में कमी आ गई है।

(5) बरफ़ गिरने या न गिरने की अनिश्चितता के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आने से पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है।

(6) कम बरफबारी से नदियों का जलस्तर घट रहा है।

14. 'कटाओ' पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?

उत्तर- 'कटाओ' पर कोई टूरिस्ट स्पॉट नहीं था। अत: लेखिका बर्फ का मजा कम ले पाई। परन्तु दुकान वहाँ पर न होना भी वरदान है क्योंकि अगर वहाँ बाजार होगा तथा वह टूरिस्ट स्पॉट बनेगा तो तरह-तरह के लोग वहाँ जाएंगे और वे वहाँ पर हर प्रकार का प्रदूषण फैलाएंगे तथा इस तरह उसकी सुन्दरता में कुछ गंदगी का ढेर भी शामिल हो जाएगा। कटाओ, जो स्विट्जरलैंड से भी सुन्दर है, लोग वहाँ भी गंदगी फैला कर उसकी अनूठी सुन्दरता को कम कर देंगे।

15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

उत्तर- साना-साना हाथ जोड़ि के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि प्रकृति हिम शिखरों से जल स्तम्भ के रूप में पूरे संसार को पानी से सींचती है। बर्फ के रूप में प्रकृति शरद ऋतु में जल बटोर कर सहेज लेती है और जब ग्रीष्म ऋतु में सब ओर पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचती है तब ये ही बर्फ शिलाएँ पिघल-पिघल जलधारा बनकर, सबके सूखे, प्यासे कंठों की प्यास बुझाती हैं। इस प्रकार प्रकृति अद्भुत तरीके से सृष्टि के लिए जल संचय करती है।

16. देश की सीमा पर बैठे फौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? हमारा उनके प्रति क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

उत्तर- देश की सीमा पर बैठे फौजी हमारे देश की रक्षा करते हैं। वे अपने देश के लिए अपने परिवार, सुख-सुविधा तथा ऐशो-आराम को त्याग कर हमेशा देश की सेवा में लगे रहते हैं। वे देश की रक्षा करने के साथ-साथ आम जनता की भी सहायता करते हैं ताकि अलग-थलग पड़े क्षेत्रों का विकास कर उन्हें सबके साथ मिला सकें। वे पहाड़ी इलाकों में रास्ते तथा टूरिस्ट स्पॉट बनाते हैं जिससे देश का आर्थिक विकास होता है तथा आम जनता को जीने के लिए रोजगार मिलता है। ये ऐसी ठण्ड में रहते हैं कि जहाँ सब कुछ जम जाता है, परन्तु अपने देश की जनता को चैन की नींद तथा सुख शान्ति देने के लिए वहाँ रहने को हमेशा तत्पर रहते हैं। हमें भी इनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए तथा इन्हें उत्साहित करना चाहिए।

साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न,- लेखिका ने छाया और माया का अनोखा खेल किसे कहा है?
प्रश्न- पहाड़ के निवासियों का जीवन परिश्रमपूर्ण एवं कठोर होता है। स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न- लेखिका ने पहाड़ी औरतों और आदिवासी औरतों में क्या समानता महसूस की ?
प्रश्न- ऊंचाई की ओर बढ़ते जाने पर लेखिका को दृश्य में क्या अंतर दिखाई दिया ?
प्रश्न- कवि-लोंग-स्टॉक के बारे में जितेन नार्गे ने लेखिका को क्या बताया?

साना-साना हाथ जोड़ि पाठ का सार (सारांश) 

गैंगटॉक को मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया है?

गंतोक के लोगों की मेहनत ही थी कि गंतोक आज भी अपने पुराने स्वरूप को कायम रखे हुए है। उनका अथक प्रयास ही उनकी प्रकृति की धरोहर को संजोय हुए है। यहाँ जीवन बेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खुबसूरत बना दिया है। इसलिए लेखिका ने इसे 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है।

गंतोक को किसका शहर कहा गया है?

बहरहाल...गैंगटॉक से 149 किलोमीटर की दूरी पर यूमथांग था । "यूमथांग यानी घाटियाँ... सारे रास्ते हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों से लदी वादियाँ मिलेंगी आपको” ड्राइवर-कम-गाइड जितेन नार्गे मुझे बता रहा था ।

क गंतोक शहर के रात्रि का सौंदर्य लेखिका को कैसे प्रभावित करता है?

लेखिका गंतोक की सितारों भरी रहस्यमयी रात देखकर सम्मोहित हो रही थी। सौंदर्यपूर्ण उन जादू भरे क्षणों में लेखिका अपने बाहर-भीतर शून्यता की स्थिति महसूस कर रही थी। उसकी यह स्थिति तब टूटी जब उसके होंठ एक प्रार्थना गुनगुनाने लगे–साना-साना हाथ जोड़ि गर्दहु प्रार्थना ।

जितेन नार्गे ने गंतोक का सही अर्थ क्या बताया *?

इन्हें उतारने की जरूरत नहीं होती है यह धीरे-धीरे अपने आप नष्ट हो जाती है और कई बार नए कार्य की शुरुआत में भी यह पताकाएं लगा दी जाती है पर वे रंगीन होती हैं। प्रश्न 4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।