सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? Show
सुरेखा को यह देखना चाहिए कि चुनाव अभियान के दौरान सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा आचार संहिता का पालन किया जाना चाहिए। 450 Views इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूचि बनाएँ और
इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं: (i) मतदाता सूची का निर्माण (ii) चुनाव कार्यक्रम की घोषणा (iii) नामांकन पत्र दाखिल करना (iv) चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना (v) चुनाव अभियान (vi) मतदान (vii) पुनर्मतदान का आदेश (viii) मतगणना (ix) चुनाव नतीजों की घोषणा 436 Views चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में कोन-सा वाक्य ठीक नहीं है?चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); लोग चुनाव में अपनी पसंद के उमीदवार का चुनाव करते हैं। चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।C. चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं। 2943 Views निम्नलिखित में मेल ढूँढे:
384 Views भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बात बताने के लिए इनमें कोन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
A. भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा मतदाता हैं। 704 Views
चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तियों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है। भारतीय लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया[संपादित करें]भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं लेकिन मुख्य तौर पर संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा पृथक-पृथक राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है। भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी है। 1989 तक निर्वाचन आयोग केवल एक सदस्यीय संगठन था लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को एक राष्ट्रपती अधिसूचना के द्वारा दो और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की लोकसभा की कुल 543 सीटों में से विभिन्न राज्यों से अलग-अलग संख्या में प्रतिनिधि चुने जाते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं के लिए अलग-अलग संख्या में विधायक चुने जाते हैं। नगरीय निकाय चुनावों का प्रबंध राज्य निर्वाचन आयोग करता है, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव भारत निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में होते हैं, जिनमें वयस्क मताधिकार प्राप्त मतदाता प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से सांसद एवं विधायक चुनते हैं। लोकसभा तथा विधानसभा दोनों का ही कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। इनके चुनाव के लिए सबसे पहले निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करता है। अधिसूचना जारी होने के बाद संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के तीन भाग होते हैं- नामांकन, निर्वाचन तथा मतगणना। निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन पत्रों को दाखिल करने के लिए सात दिनों का समय मिलता है। उसके बाद एक दिन उनकी जांच पड़ताल के लिए रखा जाता है। इसमें अन्यान्य कारणों से नामांकन पत्र रद्द भी हो सकते हैं। तत्पश्चात दो दिन नाम वापसी के लिए दिए जाते है ताकि जिन्हे चुनाव नहीं लड़ना है वे आवश्यक विचार विनिमय के बाद अपने नामांकन पत्र वापस ले सकें। 1993 के विधानसभा चुनावों तथा 1996 के लोकसभा चुनावों के लिए विशिष्ट कारणों से चार-चार दिनों का समय दिया गया था। परंतु सामान्यत: यह कार्य दो दिनों में संपन्न करने का प्रयास किया जाता है। कभी कभार किसी क्षेत्र में पुन: मतदान की स्थिति पैदा होने पर उसके लिए अलग से दिन तय किया जाता है। मतदान के लिए तय किये गए मतदान केंद्रों में मतदान का समय सामान्यत: सुबह 7 बजे से सायं 5 बजे तक रखा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन आने के बाद मतगणना के लिए सामान्यत: एक दिन का समय रखा जाता है। मतगणना लगातार चलती है तथा इसके लिए विशिष्ट मतगणना केंद्र तय किए जाते हैं जिसमें मतदान केंद्रों के समान ही अनाधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रहता है। सभी प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधियों तथा पत्रकारों आदि के लिए निर्वाचन अधिकारियों द्वारा प्रवेश पत्र जारी किए जाते हैं। वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्रानुसार मतगणना की जाती है तथा उसके लिए उसके सभी मतदान केंद्रो के मत की गणना कर परिणाम घोषित किया जाता है। परिणाम के अनुसार जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, वह केंद्र या राज्य में अपनी सरकार का गठन करता है। भारत में वोट डालने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है और यह नागरिकों का अधिकार है, कर्तव्य नहीं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा सदस्यों के चुनाव प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होते हैं। इन्हें जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि चुनते हैं। चुनाव के वक्त पूरी प्रशासनिक मशीनरी चुनाव आयोग के नियंत्रण में कार्य करती है। चुनाव की घोषणा होने के पश्चात आचार संहिता लागू हो जाती है और हर राजनैतिक दल, उसके कार्यकर्ता और उम्मीदवार को इसका पालन करना होता है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
1 चुनाव क्यों होते हैं इस बारे में इनमें से कौन सा वाक्य ठीक नहीं है ?`?( 1 - A) Page 2 1. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?
चुनाव में हमारी प्रणाली क्या है?यह प्रणाली 1953 में प्रकाश में आयी। इसमें मतदाता को चुनाव क्षेत्र में जितनी जगहें होती हैं उतने वोट दे दिये जाते हैं और उसे इसकी स्वतंत्रता होती है कि वह चाहे तो अपने सारे वोटों को किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में डाल दे अथवा अपनी इच्छानुसार अन्य उम्मीदवारों को बाँट दे।
राजनीतिक सुधारों के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए?चुनाव सुधार. मत-पत्र के प्रयोग के बजाय एलेक्ट्रानिक मतदान मशीन द्वारा मतदान. स्वैच्छिक मतदान के बजाय अनिवार्य मतदान. नकारात्मक मत का विकल्प. 'किसी को मत नहीं' (नोटा) का विकल्प. चुने हुए प्रतिनिधियों को हटाने या बुलाने की व्यवस्था. मत-गणना की सही विधि का विकास. स्त्रियों एवं निर्बल समूहों के लिए सीटों का आरक्षण. |