हिंदू धर्म की मान्याओं के अनुसार हफ्ते का प्रत्येक दिन अलग-अलग देवताओं को समर्पित है. बुधवार का दिन भी बड़ा खास होता है और इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. यह दिन भगवान को समर्पित है और गणेश जी में आस्था रखने वाले लोग इस दिन बड़ी ही श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना और व्रत भी करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने के कई लाभ हैं. आइए जानते हैं बुधवार को व्रत करने की विधि और इससे मिलने वाले लाभ.
बुधवार के व्रत की पूजा विधि
- बुधवार के व्रत को 7 बुधवार तक किया जाना चाहिए और इसकी शुरुआत महीने के शुक्ल पक्ष करना ही उचित माना जाता है.
- बता दें कि किसी भी व्रत की शुरुआत पितृ पक्ष में नहीं करनी चाहिए.
- बुधवार को सुबह स्नान-ध्यान से निवृत होकर सबसे पहले तांबे के पात्र में भगवान गणेश जी मूर्ति स्थापित करें.
- पूजा के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करना शुभ होता है. यदि पूर्व दिशा में मुख करना संभव न हो तो आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके भी पूजा की शुरुआत कर सकते हैं.
- आसन पर बैठकर भगवान गणेश जी की फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन से पूजा अर्चना करें.
- मान्यता है कि पूजा में दूब यानि दूर्वा अर्पित करना शुभ होता है.
- इसके बाद गणेश जी को मोदन अर्पित करें और मन ही मन भगवान का ध्यान करते हुए 108 बार इस मंत्र का जाप करें. ‘ॐ गं गणपतये नमः’
बुधवार को व्रत करने के नियम
- बुधवार के व्रत में नमक खाने से परहेज करना चाहिए.
- साथ ही बुधवार के दिन गणेश जी को घी और गुड़ का भोग लगाएं और इस भोग को गाय को खिलाएं.
- बुधवार व्रत की कथा जरूर पढ़ें और आरती भी करें.
- मान्यता है कि बुधवार के व्रत में हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.
- बुधवार को व्रत करने के लाभ
- मान्याओं के अनुसार बुधवार को व्रत करने वाले जातक के जीवन में सुख, शांति और यश बना रहता है.
- इस व्रत को करने से आपके अन्न के भंडार कभी खाली नहीं होते.
- बुधवार के गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं.
- माना जाता है कि बुधवार के दिन बुध ग्रह की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह की उपस्थिति शुभ जगह पर होती है.
- यदि आपका कमाया हुआ धन व्यर्थ जा रहा है तो बुधवार का व्रत करें.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें धर्म की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
Budhwar Vrat ke Niyam: सप्ताह के प्रत्येक वार किसी भगवान को समर्पित (Budhwar Vrat) होता है. बुधवार के दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है. साथ ही यह बुध ग्रह के नाम से भी जाता है और कहते हैं कि यदि घर में कलेश या परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो बुध ग्रह के पूजन से राहत मिलती है. (Budhwar Ke Upay) इस दिन व्रत किया जाता है और यह व्रत ग्रह का अशुभ प्रभाव दूर करने (Lord Ganesha) के साथ ही धन लाभ होता है. लेकिन ध्यान रखें बुधवार के व्रत में कुछ नियमों का (Budhwar Vrat ke Niyam) पालन जरूर करना चाहिए. आइए जानते हैं कि बुधवार के व्रत के नियम.
बुधवार व्रत के नियम
यदि आप बुधवार को व्रत करने के बारे में सोच रहे हैं तो बता दें कि यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू किया जा सकता है.
बुधवार व्रत की संख्या 21 या 41 होती है. ध्यान रखें कि इस व्रत में नमक खाना वर्जित है. यानि इसमें आपको मीठा या फीका भोजन करना होगा.
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर पूजा घर में बुध यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें.
इस दिन भोजन के रूप में मूंग की दाल की पंजीरी या हलवा का भोग लगाकर उसके प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है. इसके बाद शाम को व्रती स्वंय यह प्रसाद लेकर व्रत खोलता है.
लेकिन ध्यान रखें कि भोजन का सेवन करने से पहले दान करें और इस दिन बुध संबंधी वस्तुओं को दान किया जाता है.
व्रत में भोजन ग्रहण करने से पहले हरी इलायची और कपूर मिश्रित जल से बुध देवता को अर्घ्य दें.
व्रत के दिन बुध मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:’ का 9,000 बार या 5 माला जप करें.
अंतिम व्रत के दिन मस्तक पर सफेद चंदन, हरी इलायची घिसकर लगाएं. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.
अंतिम बुधवार के दिन बुध मंत्र से हवन करके पूर्णाहुति देकर ब्राह्मणों को मीठा भोजन कराएं और दान दें. तभी व्रत का उद्यापन पूरा माना जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें धर्म की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
बुधवार का दिन बुध ग्रह के नाम होता है। यदि आपके घर में धन नहीं रुक रहा है, आए दिन घर में क्लेश मच रहा है, तो बुध ग्रह के पूजन से राहत मिल सकती है, क्योंकि यह व्रत बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव दूर करने के साथ-साथ मन की शांति, विद्या, धनलाभ, व्यापारिक उन्नति व स्वास्थ्य लाभ कराता है।
बुध ग्रह के व्रत से जुड़े नियम
* बुध ग्रह का व्रत बुधवार को रखें।
* व्रत कब करें - यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से शुरू करें।
* कितने करें - व्रत संख्या 21 या 41 बुधवार तक रखें।
* क्या न खाएं - नमक पूर्णत: वर्जित है।
* ध्यान रखें- शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें। पूजाघर में बुध यंत्र की स्थापना करके उसकी नियमित पूजा करें।
* प्रसाद क्या बनाएं- भोजन के रूप में मूंग की दाल की पंजीरी या हलवा भोग लगाकर प्रसाद वितरित करके शेष का सेवन सायंकाल करें।
* भोजन कब करें- भोजन का सेवन दान करने के बाद ही करें। दान बुध संबंधी वस्तुओं का करें।
* भोजन से पूर्व यह करें - भोजन से पूर्व हरी इलायची, कर्पूर मिश्रित जल से बुध देवता को अर्घ्य दें।
*मंत्र कौन सा जपें- व्रत के दिन बुध मंत्र 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:' का 9,000 बार या 5 माला जप करें।