भारत में कौन कौन सी आपदा आती हैं? - bhaarat mein kaun kaun see aapada aatee hain?

भारत में कौन कौन सी आपदा आती हैं? - bhaarat mein kaun kaun see aapada aatee hain?

भारत में आपदा संभावित क्षेत्र.

भारत में कौन कौन सी आपदा आती हैं? - bhaarat mein kaun kaun see aapada aatee hain?

प्रचलित हवाओं की औसत गति के वितरण द्वारा छायांकित पवन क्षेत्रों को दर्शाने वाला मानचित्र।

भारत में प्राकृतिक आपदा, उनमें से कई भारत की जलवायु से संबंधित हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है। सूखा, फ्लैश फ्लड, चक्रवात , हिमस्खलन, मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बर्फीले तूफान सबसे बड़ा खतरा हैं। एक प्राकृतिक आपदा भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, तूफान आदि के कारण हो सकती है। आपदा के रूप में वर्गीकृत होने के लिए, इसका गहरा पर्यावरणीय प्रभाव और/या मानवीय नुकसान होता है और अक्सर वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है।[1] अन्य खतरों में अक्सर गर्मियों में धूल भरी आंधी शामिल होती है, जो आमतौर पर उत्तर से दक्षिण की ओर ट्रैक करती है; वे उत्तर भारत में व्यापक संपत्ति का नुकसान करते हैं[2] और शुष्क क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में धूल और गंदगी जमा करते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि भी आम है, जिससे खड़ी फसलों जैसे चावल और गेहूं और कई अन्य फसलों को गंभीर नुकसान होता है।

भूस्खलन और हिमस्खलन[संपादित करें]

निचले हिमालय में भूस्खलन बहुत आम है। क्षेत्र की पहाड़ियों की कम उम्र के परिणामस्वरूप रॉक फॉर्मेशन होते हैं, जो फिसलन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। बढ़ती जनसंख्या और विकास के दबाव, विशेष रूप से लॉगिंग और पर्यटन से, वनों की कटाई का कारण बनते हैं। इसका परिणाम अस्वीकृत पहाड़ियां हैं जो भूस्खलन की गंभीरता को बढ़ा देती हैं; चूंकि पेड़, आवरण पानी के बहाव को बाधित करता है।[3] पश्चिमी घाट के कुछ हिस्से भी कम तीव्रता वाले भूस्खलन से पीड़ित हैं। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम आदि में हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं। भारत में भूस्खलन भी अत्यधिक खतरनाक हैं क्योंकि कई भारतीय परिवार और किसान पहाड़ियों या पहाड़ों में रहते हैं। साथ ही, भारत में मानसून का मौसम बहुत गंभीर होता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Goswami BN, Venugopal V, Sengupta D, Madhusoodanan MS, Xavier PK (2006). "Increasing trend of extreme rain events over India in a warming environment". Science. 314 (5804): 1442–1445. PMID 17138899. डीओआइ:10.1126/science.1132027. बिबकोड:2006Sci...314.1442G.
  2. Balfour 1976, पृष्ठ 995.
  3. Allaby 1998, पृष्ठ 26.

बाहरी कड़िया[संपादित करें]

सामान्य अवलोकन
  • "Country Guide: India". बीबीसी मौसम. मूल से 25 मई 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2021.
  • "India—Weather and Climate". भारतीय उच्चायोग, लंदन.

प्राकृतिक आपदाएँ दुनिया भर में सार्वभौमिक घटनाएं हैं. भारत की प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001), हिंद महासागर सुनामी (2004), महाराष्ट्र सूखा (2013) और उत्तराखंड फ्लैश फ्लड्स (2013) का नाम लिया जाता है. इस लेख में हमने भारतीय इतिहास की 7 सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं की सूची तैयार की है.

प्राकृतिक आपदाएं, मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हैं. कई आपदाएं मानव निर्मित गतिविधियों का परिणाम होतीं हैं लेकिन बहुत सी प्राकृतिक आपदायें प्रकृति के रूटीन का हिस्सा होतीं हैं. भारत ने अपने इतिहास में कुछ बहुत ही घातक आपदाओं का सामना किया है.

इस लेख में हमने भारत के इतिहास की शीर्ष घातक प्राकृतिक आपदाओं को प्रकाशित किया है. लेकिन इस बिंदु पर आने से पहले हमें प्राकृतिक आपदा की परिभाषा को जानना होगा.

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक घटना है जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है और मानव जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती है. प्राकृतिक आपदा के उदाहरण: ज्वालामुखी, बाढ़, सुनामी और भूकंप, या तूफान या चक्रवात आदि.


आइए हम एक-एक करके उनका अध्ययन करें;

1. कशमीर बाढ़ आपदा, 2014

वर्ष: 2014

प्रभावित क्षेत्र: राजौरी, श्रीनगर, बांदीपुर आदि.

मौतों की संख्या: 550+

कारण: निरंतर मूसलाधार वर्षा के कारण झेलम नदी में बाड़ आना 

सितंबर 2014 में झेलम नदी का पानी लगातार मूसलाधार वर्षा के कारण काफी बढ़ गया था इसीलिए कश्मीर क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया था. भारतीय सेना ने इस क्षेत्र के फंसे हुए निवासियों की बहुत मदद की थी. इस बाड़ में करीब 550 लोगों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 5000 करोड़ से 6000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था.

2. उत्तराखंड फ्लैश फ्लड्स, 2013

वर्ष: 2013

प्रभावित क्षेत्र: इसने राज्य के 13 में से 12 जिलों को प्रभावित किया था. चार जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए; रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली.

मौतों की संख्या: 5,700 से अधिक

कारण: भारी वर्षा, बड़े पैमाने पर भूस्खलन

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उत्तराखंड फ्लैश फ्लड भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी बाढ़ में से एक है. जून 2013 में उत्तराखंड में भारी वर्षा, बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. इसमें 14 से 17 जून तक बाढ़ और भूस्खलन जारी रहा और इसमें लगभग 1 लाख तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर में फंस गए थे.

3. बिहार बाढ़ आपदा, 2007

वर्ष: 2007

प्रभावित क्षेत्र: सबसे अधिक प्रभावित जिलों के नाम हैं भागलपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, और सुपौल आदि.

मौतों की संख्या: 1,287 लोगों और हजारों पशुधन की जान चली गई

कारण: 30 साल के मासिक औसत से पांच गुना अधिक वर्षा

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बिहार बाढ़ आपदा 2007 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बिहार की "जीवित स्मृति" में सबसे खराब बाढ़ के रूप में वर्णित किया गया था. इसका असर बिहार के 19 जिलों पर पड़ा था.

बिहार बाढ़ ने पूरे राज्य में अनुमानित 10 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था. लगभग 29,000 घर नष्ट हो गए और 44,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए, लगभग 4822 गाँव और 1 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि इस बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई थी.

4. हिंद महासागर सुनामी 2004

वर्ष: 2004

प्रभावित क्षेत्र: दक्षिणी भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि.

मरने वालों की संख्या: 2.30 लाख

कारण: सुनामी

यह सबसे घातक सुनामी इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर शुरू हुई थी. कुल मिलाकर इसने लगभग 12 देशों को प्रभावित किया और 2.3 लाख से अधिक लोगों को मार डाला था.

इस सुनामी की तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच थी और यह लगभग 10 मिनट तक जारी रही थी. अनुसंधान के अनुसार यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था जो अब तक दर्ज किया गया है.

5. गुजरात भूकंप, 2001

वर्ष: 2001

प्रभावित क्षेत्र: कच्छ, अहमदाबाद, भुज, गांधीनगर, सूरत, सुरेंद्रनगर, राजकोट, जामनगर आदि.

प्रभावित: मौतें 20,000, घायल 167,000 और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए.
कारण: भूकंप

यह 26 जनवरी, 2001 को भारत के 51 वें गणतंत्र दिवस समारोह का दिन था. अचानक, कच्छ (गुजरात) के भचाऊ तालुका में रिक्टर स्केल पर 7.6 से 7.9 की तीव्रता के भूकंप का आया और 120 सेकंड तक चला था. इस आपदा में लगभग 20,000 लोग मारे गए, 167,000 घायल हुए और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए.

6. सुपर साइक्लोन, ओडिशा, 1999
वर्ष: 1999

प्रभावित क्षेत्र: केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, गंजम और पुरी आदि के तटीय जिले.

मौतों की संख्या: लगभग 15,000+

कारण: चक्रवात

सन 1999 का सुपर साइक्लोन, उत्तर हिंद महासागर में सबसे खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. इसकी गति 260 किमी / घंटा थी. इसने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड को भी प्रभावित किया था.

अनुमान के अनुसार, लगभग 15000 लोग मारे गए, लगभग 1.67 मिलियन लोग बेघर हो गए और 2.75 लाख से अधिक घर नष्ट हो गए थे.

7. महान बंगाल अकाल, 1770

वर्ष: 1770 

प्रभावित क्षेत्र: पश्चिम बंगाल (बीरभूम और मुर्शिदाबाद), बिहार (तिरहुत, चंपारण और बेतिया), ओडिशा और बांग्लादेश

मौतों की संख्या: लगभग 1 करोड़

कारण: सूखा/अकाल

भारत में कौन कौन सी आपदा आती हैं? - bhaarat mein kaun kaun see aapada aatee hain?

नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन इस अकाल को मानव निर्मित आपदा बताते हैं. यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों और सूखा पड़ने के कारण हुआ था.

यह अकाल 1769 में एक असफल मानसून से शुरू हुआ था जो 1773 तक लगातार दो सीजन तक जारी रहा था. इस अकाल की पूर्ण अवधि के दौरान लगभग 10 मिलियन लोग भूख के कारण मर गए थे.

ये थीं भारत के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ जिनसे बड़े पैनामे पर जान और माल की हानि हुई थी. इनमें से कुछ घटनाएँ मानव की गतिविधियों के कारण भी पैदा हुईं हैं. अतः मनुष्य को प्रकृति से छेड़छाड़ की कोशिशें कर करनी चाहिए.

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भारत में कौन कौन सी आपदाएं आती है?

भारत के इतिहास की 7 प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं की सूची.
कशमीर बाढ़ आपदा, 2014. वर्ष: 2014. ... .
उत्तराखंड फ्लैश फ्लड्स, 2013. वर्ष: 2013. ... .
बिहार बाढ़ आपदा, 2007. वर्ष: 2007. ... .
हिंद महासागर सुनामी 2004. वर्ष: 2004. ... .
गुजरात भूकंप, 2001. वर्ष: 2001. ... .
सुपर साइक्लोन, ओडिशा, 1999. वर्ष: 1999. ... .
महान बंगाल अकाल, 1770..

आपदा के प्रकार कौन कौन से हैं?

आपदाएं दो प्रकार की होती हैं प्राकृतिक आपदा व मानव जनित आपदा। प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, वनों में आग लगना , शीतलहर, समुद्री तूफान, तापलहर, सुनामी, आकाशीय बिजली का गिरना, बादलों का फटना आदि आते हैं

19 आपदा कितने प्रकार के होते हैं?

आपदा के प्रकार | आपदा के कितने प्रकार है?.
प्राकृतिक आपदाएँ.
मानवजनित आपदाएँ आकस्मिक आपदाएँ अनाकस्मिक आपदाएँ महामारी एवं जैवीय आपदाएँ सामाजिक आपदाएँ.

आपदा से क्या आते हैं?

आपदा के प्रभाव में, जीवन को हानी, चोट, बीमारी तथा मानव के शारीरिक, मानसिक व सामाजिक कल्याण पर विपरीत प्रभाव, के साथ संपत्ति के नुकसान, सेवाओं की हानि, सामाजिक व आर्थिक व्यवधान एवं पर्यावरण के नुकसान को समाहित किया जा सकता है।