बिहार के जूट उत्पादन में क्या हो रहा है - bihaar ke joot utpaadan mein kya ho raha hai

मनोज कुमार, पूर्णिया। बियाडा क्षेत्र के करीब 42 एकड़ भूभाग पर 2012 में पुनरासर जूट पार्क की स्थापना की गई। तब कहा गया था कि यहां 58 हजार मीट्रिक टन प्रति वर्ष उत्पादन होगा तथा लगभग 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। 10 साल बाद भी यह पार्क अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है। लक्ष्य से आधा से भी कम उत्पादन किया जा रहा है।

पार्क के मैनेजर राजेश पांडेय कहते हैं कि लेबर और कच्चे माल की कमी की वजह से यह यूनिट अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है। मैनेजर राजेश पांडे के अनुसार यूनिट में प्रशिक्षण के अलावा जूट सामग्री का उत्पादन किया जा रहा है। फिलहाल 13 मशीनें यूनिट में काम कर रही हैं। इनसे कम से कम 10 टन माल का उत्पादन प्रतिदिन हो सकता है। बावजूद, यहां मात्र चार-पांच टन ही माल प्रतिदिन उत्पादित हो रहा है। मिल में वर्तमान में 200 लेबर काम कर रहे हैं।

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मैनेजर राजेश पांडेय बताते हैं कि यूनिट के संचालन में सबसे बड़ी बाधा लेबर की कमी और कच्चे माल का टोटा है। सीमांचल में जूट का रकबा घटने की वजह से यहां पर्याप्त कच्चा माल नहीं मिल पाता है। बाहर से खरीदने में कास्ट अधिक आता है। वहीं स्किल्ड लेबर की भी यहां कमी है। मशीन के कल-पुर्जे भी यहां नहीं मिलते। इसके लिए कोलकाता का रुख करना पड़ता है। इसमें काफी वक्त और धन लगता है।

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कटिहार से छिन रही जूट नगरी की पहचान, दोनों जूट मिलें बंद

नीरज कुमार, कटिहार। एक दशक पूर्व तक एनजेएमसी की इकाई आरबीएचएम जूट मिल तथा निजी क्षेत्र की सन बायो जूट मिल के कारण कटिहार की पहचान जूट नगरी के रूप में थी। दोनों जूट मिलों में 1200 से अधिक कामगार थे। 2016 से आरबीएचएम जूट मिल बंद पड़ी है। पांच वर्षों से अधिक समय से निजी क्षेत्र की सन बायो जूट मिल में भी ताला लटका हुआ है। जूट मिल बंद होने से देश के औद्योगिक मानचित्र से कटिहार की पहचान मिट रही है। नीति आयोग ने भी आरबीएचएम जूट मिल को रुग्ण औद्योगिक इकाई की श्रेणी में शामिल कर लिया है। इस कारण मिल के फिर से शुरू होने की संभावना कम ही दिखती है।

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कभी लोगों की नींद जूट मिल से श्रमिकों का वर्क आवर शुरू होने के लिए बजाई जाने वाली बंशी से खुलती थी। पिछले पांच दशकों में आरबीएचएम जूट मिल कई बार बंद हुआ। 2016 तक फ्रेंचाइजी के आधार पर जूट मिल चलाया गया। फ्रेंचाइजी एजेंसी मजूदरों का बकाया मजदूरी लेकर अचानक गायब हो गई। मामला न्यायालय में चल रहा है। शहर में दो-दो जूट मिल होने से डेढ़ दशक पूर्व तक यहां 30 हजार हेक्टेयर में पाट की खेती होती थी। आरबीएचम जूट मिल की उत्पादन क्षमता 25 टन थी। मशीन पुरानी होने के कारण जूट की बोरी सहित अन्य उत्पादों का उत्पादन 15 से 16 टन तक होता था। निजी क्षेत्र की सन बायो जूट मिल में भी उत्पादन 14 से 15 टन तक होता था। किसान जूट मिल में ही बेचते थे। जूट मिल बंद होने से पाट की खेती का रकबा घटकर 16 हजार हेक्टेयर से भी कम का रह गया। कामगार भी बेरोजगार हुए हैं।

बिहार में जूट उत्पादन में अग्रणी जिला किशनगंज है। जबकि जूट उत्पादन में बिहार का भारत में दूसरा स्थान है। भारत में जूट की खेती मुख्यत: भारत के पूर्वी क्षेत्रों में की जाती है और जूट फसल उत्पादन की सर्वाधित खेती पश्चिम बंगाल में उसके बाद दूसरे स्थान पर बिहार राज्य आता है और इसके साथ-साथ असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय में भी खेती या उत्पादन किया जाता है।....अगला सवाल पढ़े

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इसे सुनेंरोकेंबिहार में जूट उत्पादन में पहले स्थान पर कौन सा जिला है? Notes: किशनगंज बिहार में जूट उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।

पटसन की कटाई का उपयोग समय क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकटाई:- पटसन की कटाई का उचित समय बुआई के 110 से 120 दिनिों के बाद होता है।

पटसन और जूट में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंजूट : पटसनके रेशे तुरंत का निकाला रेशा अधिक मजबूत, अधिक चमकदार, अधिक कोमल और अधिक सफेद होता है। खुला रखने से इन गुणों का ह्रास होता है। जूट के रेशे का विरंजन कुछ सीमा तक हो सकता है, पर विरंजन से बिल्कुल सफेद रेशा नहीं प्राप्त होता। रेशा आर्द्रताग्राही होता है।

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जूट उत्पादन में भारत का कौन सा स्थान है?

विश्व में जूट का उत्पादन

विश्व के १० सर्वाधिक जूट उत्पादक — 2011देशउत्पादन (टन में)भारत1,960,380बांग्लादेश1,523,315चीनी जनवादी गणराज्य43,500

बिहार में लगभग कितने क्षेत्र पर कृषि कार्य होता है?

इसे सुनेंरोकेंबिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्‍टेयर है जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्‍टेयर पर ही खेती होती है। राज्‍य में लगभग 79.46 लाख हेक्‍टेयर भूमि कृषि योग्‍य है। विभिन्‍न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्‍ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई होती है।

जूट कौन सी फसल है?

इसे सुनेंरोकेंजूट, पटसन और इसी प्रकार के पौधों के रेशे हैं। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है। ‘जूट’ शब्द संस्कृत के ‘जटा’ या ‘जूट’ से निकला समझा जाता है।

पटसन का क्या उपयोग है?

इसे सुनेंरोकेंइसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है। ‘जूट’ शब्द संस्कृत के ‘जटा’ या ‘जूट’ से निकला समझा जाता है। यूरोप में 18वीं शताब्दी में पहले-पहल इस शब्द का प्रयोग मिलता है, यद्यपि वहाँ इस द्रव्य का आयात 18वीं शताब्दी के पूर्व से “पाट” के नाम से होता आ रहा था।

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सुनहरा रेशा से क्या अभिप्राय?

इसे सुनेंरोकेंचाय कपास पटसन

पटसन कौन सी मृदा में उगाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंजूट की खेती गरम और नम जलवायु में होती है। ताप 25-35 सेल्सियस और आपेक्षिक आर्द्रता 90 प्रतिशत रहनी चाहिए। हलकी बलुई, डेल्टा की दुमट मिट्टी में खेती अच्छी होती है।

बिहार के जूट उत्पादन में क्या है?

बिहार भारत में जूट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। पश्चिम बंगाल पहले है। भारत दुनिया में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है। जूट की कुल विश्व उपज का लगभग 60 प्रतिशत भारत में 10.14 मिलियन टन जूट के वार्षिक अनुमानित उत्पादन के साथ खेती की जाती है।

बिहार में जूट उत्पादन में अग्रणी जिला कौन है?

बिहार का सबसे बड़ा जूट उत्पादक जिला पूर्णिया है।

उत्पादन में बिहार का कौन सा जिला अग्रणी है?

बिहार में जूट उत्पादन में पहले स्थान पर कौन सा जिला है? Q. बिहार में जूट उत्पादन में पहले स्थान पर कौन सा जिला है? Notes: किशनगंज बिहार में जूट उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।

जूट उत्पादन में सबसे प्रचुर राज्य कौन सा है?

Detailed Solution पश्चिम बंगाल भारतीय राज्यों में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है। जूट खरीफ की फसल है।