भोलेनाथ को जल कैसे चढ़ाया जाता है? - bholenaath ko jal kaise chadhaaya jaata hai?

Sawan 2022: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपका मुंह किस तरफ होना चाहिए, जल चढ़ाने के लिए कौन सा पात्र सही है और पूजा करते समय किन नियमों का करना होता है पालन, जानिए इस खबर में.

Shivling Puja

हाइलाइट्स

  • बैठकर चढ़ाएं जल

  • भगवान की पीठ की तरफ खड़ें होकर न करें पूजा

हिंदू शास्त्र में हर पूजा विधि के अपने अलग नियम होते हैं. सावन के महीने की शुरुआत होते ही लोग भोले शंकर को खुश करने के लिए उन पर भांग, धतूरा, जल आदि अर्पित करते हैं. लेकिन आपको बता दें कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने का भी अपना एक नियम है. शिवजी को जल चढ़ाने के लिए कौन सा बर्तन होना चाहिए, जल चढ़ाते समय किस तरफ मुंह होना चाहिए और कौन सा मंत्र बोलना चाहिए यह जानना भी जरूरी है. आज आपको इसी से जुड़े कुछ नियम और फायदे हम आपको बताएंगे.

किस दिशा में होना चाहिए मुंह?
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर नहीं होना चाहिए. पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार होता है और इस दिशा की ओर मुंह करने से शिव के द्वार में अवरोध होता है और वो नाराज हो जाते हैं. ध्यान रहे कि जल देते समय आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर हो क्योंकि उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जो मां पार्वती को समर्पित है. इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और मां पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है. कभी भी भगवान की पीठ की तरफ खड़ें होकर न पूजा करनी चाहिए और न ही जल चढ़ाना चाहिए.

  किस पात्र का करें इस्तेमाल 
शिवजी को जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल हमेशा कलश से ही चढ़ाएं. शिवजी का अभिषेक करने के लिए तांबे का पात्र सबसे अच्छा माना जाता है. कांसे या चांदी के पात्र से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है. लेकिन जल अभिषेक के लिए कभी भी स्टील का बर्तन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लेकिन याद रहे कि तांबे के बर्तन से कभी भी दूध का अभिषेक नहीं करना चाहिए क्योंकि ये अशुभ माना जाता है.

बैठकर चढ़ाएं जल 
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें जल हमेशा बैठकर ही दें. यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए. बता दें कि पुराणों के अनुसार शिवलिंग पर खड़े होकर जल चढ़ाने से यह शिव जी को समर्पित नहीं होता है और इसका पुण्य नहीं मिलता है. 

दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं
भगवान शिव का अभिषेक जलधारा से ही करना चाहिए. जैसे जल की धारा एकदम पतली बह कर  आती है ठीक वैसे ही एक धार में धीरे-धीरे भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए. ध्यान रहे कि भगवान को हमेशा दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं और बाएं हाथ से दाहिने हाथ का स्पर्श करें.

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अगर आप शिव जी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर नियमित रूप से जल अर्पित करते हैं तो आपको जल चढ़ाने का सही तरीका जरूर जान लेना चाहिए।

शास्त्रों में पूजा-पाठ के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जैसे- पूजा के दौरान हमेशा सिर ढककर खड़े हों, सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करें, कभी भी अखंडित अक्षत भगवान् को न चढ़ाएं, गणेश जी को भूलकर भी तुलसी दल न चढ़ाएं। ऐसे ही कुछ नियम शिव लिंग के पूजन से भी जुड़े हुए हैं, जिसमें शिवलिंग पर जल अर्पित करने का तरीका मुख्य माना जाता है।

कहा जाता है कि शिव कृपा पाने के लिए पूरे नियम से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि जल धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और नियम से इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में जानने के लिए हमने नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बात की और उन्होंने शिवलिंग पर जल अर्पित करने के कुछ नियम बताए जिन्हें आपको भी जान लेना चाहिए। 

किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल 

हमेशा जब भी शिवलिंग पर जल चढ़ाएं आपको ध्यान में रखना चाहिए कि, कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल न चढ़ाएं। पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है और इस दिशा की ओर मुख करने से शिव के द्वार में अवरोध होता है और वो रुष्ट हो जाते हैं। हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं क्योंकि उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जो माता पार्वती को समर्पित है। इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। 

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कौन से पात्र से अर्पित करें जल 

शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय सबसे ज्यादा ध्यान में रखने वाली बात ये है कि आप किस पात्र से जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं। भूलकर भी स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे शिव जी रुष्ट हो जाते हैं। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि जल अर्पण के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का है। इसलिए इसी पात्र से जल चढ़ाना उत्तम है। लेकिन भूलकर भी तांबे के पात्र से शिव जी को दूध न चढ़ाएं क्योंकि तांबे में दूध विष के समान बन जाता है।  

तेजी से न चढ़ाएं जल 

कभी भी शिवलिंग पर तेजी से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों में भी बताया गया है कि शिव जी को जल धारा अत्यंत प्रिय है। इसलिए जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल के पात्र से धार बनाते हुए धीरे से जल अर्पित करें। पतली जल धार शिवलिंग पर चढाने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। 

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बैठकर चढ़ाएं जल 

हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें। यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए। पुराणों के अनुसार खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से यह शिव जी को समर्पित नहीं होता है और इसका पुण्य प्राप्त नहीं होता है। 

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शंख से न चढ़ाएं शिवलिंग पर जल 

कभी भी शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शिव कृपा प्राप्त नहीं होती है। शिवपुराण के अनुसार, शिवजी ने शंखचूड़ नाम के दैत्य का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि शंख उसी दैत्य की हड्डियों से बने होते हैं। इसलिए शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

जल के साथ कुछ और न मिलाएं

 

पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल के पात्र में कोई अन्य सामग्री न मिलाएं। कोई भी सामग्री जैसे पुष्प, अक्षत या रोली जल में मिलाने से उनकी पवित्रता ख़त्म हो जाती है। इसलिए भगवान शिव की कृपा दृष्टि पाने के लिए हमेशा जल को अकेले ही चढ़ाना चाहिए। 

अगर आप भी शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो भगवान शिव की कृपा पाने के लिए आपको यहां बताई सभी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। 

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Image Credit: pixabey  and shutterstock  

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शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है?

दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं भगवान शिव का अभिषेक जलधारा से ही करना चाहिए. जैसे जल की धारा एकदम पतली बह कर आती है ठीक वैसे ही एक धार में धीरे-धीरे भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए. ध्यान रहे कि भगवान को हमेशा दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं और बाएं हाथ से दाहिने हाथ का स्पर्श करें.

भगवान shiv को जल में क्या डालकर चढ़ाएं?

शास्त्रों के अनुसार जल चढाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चाँदी और कांसे के माने जाते है। याद रखिये आप कभी भी स्टील के पात्र से शिवजी को जल अर्पित न करे, ऐसा करने से भगवान शिव रुष्ट हो जाते है हालाँकि सबसे अच्छा और सर्वोत्तम पात्र ताम्बे का ही होता हैं। इसलिए ताम्बे के पात्र से ही जल चढ़ाना चाहिए।

शिवलिंग पर पहले क्या चढ़ाना चाहिए?

सबसे पहले गणेश पूजा करें और इसके बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय शिव जी के मंत्रों का जप करें। जल के साथ ही शिवलिंग पर दूध, दही, शहद भी चढ़ाना चाहिए। इस तरह अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें।

शिवलिंग पर जल कितने बजे चढ़ाना चाहिए?

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही समय 2022 शिव लिंग पर जल किसी भी समय चढा सकते हैं। विशेष रूप से प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल चढाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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