भक्ति बीज पलटै नहीं, जो जुग जाय अनन्त | Show
की हुई भक्ति के बीज निष्फल नहीं होते चाहे अनंतो युग बीत जाये | भक्तिमान जीव सन्त का सन्त ही रहता है चाहे वह ऊँच - नीच माने गये किसी भी वर्ण - जाती में जन्म ले | भक्ति पदारथ तब मिलै, तब गुरु होय सहाय | भक्तिरूपी अमोलक वस्तु तब मिलती है जब यथार्थ सतगुरु मिलें और उनका उपदेश प्राप्त हो | जो प्रेम - प्रीति से पूर्ण भक्ति है, वह पुरुषार्थरुपी पूर्ण भाग्योदय से मिलती है | भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की, चढ़ै भक्त हरषाय | भक्ति मुक्ति की सीडी है, इसलिए भक्तजन खुशी - खुशी उसपर चदते हैं | आकर अपने मन में समझो, दूसरा कोई इस भक्ति सीडी पर नहीं चढ़ सकता | (सत्य की खोज ही भक्ति है) भक्ति बिन नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय | कोई भक्ति को बिना मुक्ति नहीं पा सकता चाहे लाखो लाखो यत्न कर ले | जो गुरु के निर्णय वचनों का प्रेमी होता है, वही सत्संग द्वरा अपनी स्थिति को प्राप्त करता है | भक्ति गेंद चौगान की, भावै कोइ लै लाय | भक्ति तो मैदान में गेंद के समान सार्वजनिक है, जिसे अच्छी लगे, ले जाये | गुरु कबीर जी कहते हैं कि, इसमें धनी - गरीब, ऊँच - नीच का भेदभाव नहीं है | कबीर गुरु की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार | कबीर जी कहते हैं कि बिना गुरु भक्ति संसार में जीना धिक्कार है | यह माया तो धुएं के महल के समान है, इसके खतम होने में समय नहीं लगता | जब लग नाता जाति का, तब लग भक्ति न होय | जब तक जाति - भांति का अभिमान है तब तक कोई भक्ति नहीं कर सकता | सब अहंकार को त्याग कर गुरु की सेवा करने से गुरु - भक्त कहला सकता है | भाव बिना नहिं भक्ति जग, भक्ति बिना नहीं भाव | भाव (प्रेम) बिना भक्ति नहीं होती, भक्ति बिना भाव (प्रेम) नहीं होते | भाव और भक्ति एक ही रूप के दो नाम हैं, क्योंकि दोनों का स्वभाव एक ही है | जाति बरन कुल खोय के, भक्ति करै चितलाय | जाति, कुल और वर्ण का अभिमान मिटाकर एवं मन लगाकर भक्ति करे | यथार्थ सतगुरु के मिलने पर आवागमन का दुःख अवश्य मिटेगा | कामी क्रोधी लालची, इतने भक्ति न होय | कामी, क्रोधी और लालची लोगो से भक्ति नहीं हो सकती | जाति, वर्ण और कुल का मद मिटाकर, भक्ति तो कोई शूरवीर करता है |
आकलनसूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :(अ) (१) अंतर स्पष्ट कीजिए -(२) लिखिए -‘मैं ही मुझको मारता’ से तात्पर्य……… (आ ) सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए -काव्य सौंदर्य२. (अ)
“जिनकी रख्या तूँ करें ते उबरे करतार”, इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। (आ) ‘ संत दादू के मतानुसार ईश्वर सबमें हैं ‘, इस आशय को व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ दूँढकर उनका भावार्थ स्पष्ट कीजिए। अभिव्यक्ति३. (अ) “अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है’, इस उक्ति पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए। (आ) ‘प्रेम और स्नेह मनुष्य जीवन का आधार है’, इस संदर्भ में अपना मत लिखिए। रसास्वादन४. ईश्वर भक्ति तथा प्रेम के आधार पर साखी के प्रथम छह पदों का रसास्वादन कीजिए। साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान५. जानकारी दीजिए:(अ) निर्गुण शाखा के संत कवि- ६. निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए:(१) बाबु साहब ईश्वर के लिए मुझ पे दया कीजिए। भक्ति महिमा कविता के कवि कौन है?भक्ति की महिमा / कबीर
भक्ति की महिमा क्या है?Kabir Das,भक्ति की महिमा
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