भागवत गीता कथा करने की विधि / भागवत गीता कथा के नियम और महत्व – भागवत गीता हिंदुओं का प्राचीन धार्मिक ग्रंथ हैं. जो आपको अधिक हिंदू के घर में देखने मिल जाता हैं. इसे पूजा स्थल पर रखा जाता हैं. और इसकी पूजा की जाती हैं. भागवत गीता ग्रंथ वह ग्रंथ है जो अधिक पढ़ा जाता हैं. इस ग्रंथ में मानव जीवन के हर एक प्रश्न का उत्तर दिया गया हैं. Show
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भागवत गीता कथा करने की विधि और भागवत गीता कथा के नियम और महत्व के बारे में बताने वाले हैं. तथा भागवत गीता कथा से जुडी अन्य और भी बातों पर चर्चा करेगे.
भागवत गीता कथा करने की विधिभागवत गीता कथा करने की विधि कुछ इस प्रकार हैं. जिसका हमने नीचे वर्णन किया हैं.
7 ghode ki tasveer kaha lagaye, fayde, niyam – सम्पूर्ण जानकरी भागवत गीता कथा के नियम
चेहरे के लिए मंत्र – सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र – सौंदर्य प्राप्ति के मातृका मंत्र और विधि भागवत गीता कथा का महत्वभागवत गीता में इस संसार के बारे में सभी सच बाते बताई गई हैं. इस धार्मिक ग्रंथ को पढने और सुनने से आत्मिक शांति मिलती हैं. भागवत गीता कथा करने से लोभ, क्रोध, दरिद्रता, दुख आदि का नाश होता हैं. इससे हमारे जीवन में हमेशा रोजगार बना रहता हैं. तथा सुख शांति की प्राप्ति होती हैं. इस धार्मिक ग्रंथ में लिखी गए बातों को अपने जीवन में उतारने से जीवन सरल लगने लगता हैं. और हर एक क्षेत्र में हमें सफलता मिलती हैं. जीण माता की कथा इन हिंदी और चमत्कार | जीण माता किसकी कुलदेवी है श्रीमद् भागवत में कितने अध्याय हैंश्रीमद भागवत कुल 18 अध्याय है. तथा 700 श्लोक है. जो संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं. भागवत कथा कितने दिन का होता हैभागवत कथा सात दिन का होता हैं. श्रीमद् भागवत कथा पूजन सामग्रीश्रीमद् भागवत कथा में निम्नलिखित सामग्री की जरूरत पड़ती हैं: रोली, पिला सिंदूर, पिला अष्टगंध चंदन, सफ़ेद चंदन, लाल सिंदूर, पीसी हल्दी, समूची हल्दी, सुपाड़ी, लौंग, इलायची, सप्तधान, सप्त औषध, सप्त मात्रिका, जनेऊ, इत्र, सुखा गरी का गोला, पानी वाला नारियल, चावल, धूपबत्ती, रुई की बत्ती, देशी घी, सरसों का तेल, चमेली का तेल, कपूर, कलावा, चुनरी लाल तथा पिली, बताशा, रंग लाल पिला काला हरा बैंगनी, अबीर गुलाल, बुक्का, भस्म, गंगाजल, गुलाब जल, वस्त्र लाल सफेद हरा नीला पिला, हनुमान जी का झंडा, लकड़ी की चौकी, चांदी का सिक्का, पाटा, कुश, रुद्राक्ष की माला, तुलसी की माला, मिट्टी का कलश, काली मटकी, हवन सामग्री, तिल, जौ, गुड, कमलगट्टा, शहद, पंचमेवा, पंचरत्न, केसर, पिली धोती, अंगोछा पिला, सुहाग सामग्री. श्रीमद् भागवत कथा में इन सभी सामग्री की जरूरत पड़ती हैं. बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास , जाति, परिवार, पुत्र, घोड़े का नाम निष्कर्षदोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भागवत गीता कथा करने की विधि तथा भागवत गीता कथा के नियम बताए हैं. तथा भागवत गीता कथा से जुडी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की हैं. दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह भागवत गीता कथा करने की विधि / भागवत गीता कथा के नियम आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद जप कामदेव गायत्री मंत्र 108 बार के लाभ | कामदेव गायत्री मंत्र जाप विधि और अर्थ आकर्षण बीज मंत्र, जाप-विधि, फायदे और लाभ – सम्पूर्ण जानकारी gaaj mata ki kahani in hindi sunaiye भागवत कराने से क्या फल मिलता है?भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं। इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है। इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है।
भागवत कथा क्यों कराई जाती है?भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है। से साक्षात्कार कराता है। भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं जिनमें कुछ इस प्रकार हैं…
भागवत कथा कब सुनना चाहिए?भागवत कथा का मुहूर्त –
श्रीमद् भागवत कथा पुराण का आयोजन भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, आषाढ़ और श्रावण के महीने श्रेष्ठ होते है। इन महीनो में कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति आसान हो जाती है।
श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने से क्या होता है?भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।
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