उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए। Show उत्पादन फलन: एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों तथा फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतों के मध्य का संबंध है।
अल्पकाल तथा दीर्घकाल की संकल्पनाओं को समझाइए।अल्पकाल समय की वह अवधि हैं जिसमें उत्पादन के कुछ कारक स्थिर होते हैं तथा कुछ परिवर्ती होते हैं। इस अवधि में, एक फर्म केवल परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन कर सकती हैं, न कि स्थिर साधनों में। एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है? एक आगत का औसत उत्पाद उस आगत के कुल उत्पादों के परिवर्ती आगत की इकाइयों से विभाजित करने से प्राप्त उत्पाद हैं। इस प्रकार एक आगत का सीमांत उत्पाद क्या होता है? एक आगत का सीमांत उत्पाद उस आगत की अतिरिक्त इकाई में परिवर्तन करने से कुल उत्पाद में होने वाला परिवर्तन होता है। इस प्रकार, एक आगत का कुल उत्पाद क्या होता है? कुल उत्पाद (TP) को एक निश्चित समयावधि में
दिए गए आगतों से एक फर्म द्वारा उत्पादित की गई वस्तुओं अथवा सेवाओं की कुल मात्रा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। एक परिवर्ती कारक की सभी इकाइयों के सीमांत उत्पाद (MP) को जोड़कर हम कुल उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं। प्र01. उत्पादन के चार साधन बताइए ? प्र01. उत्पादन फलन को परिभाषित कीजिए ? अल्पकालीन एवं दीर्धकालीन उत्पादन फलन को
समझाइए। उत्पादन फलन के दो रूप होते है। 1. अल्पकालीन उत्पादन फलन - जब उत्पाद के कुछ साधनों (जैसे भूमि तथा पूँजी) की मात्रा को स्थिर रखते हुए, अन्य परिवर्तनशील साधनों (जैसे- श्रमिक और संगठन) की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो उसे अल्पकालीन उत्पादन फलन कहते है। अल्पकाल में उत्पादन के सभी साधनों को बढ़ाना या धटाना सम्भव नहीं होता है, केवल परिवर्तनशील साधनों की मात्रा को आवश्यकतानुसार धटाया-बढ़ाया जा सकता है। 2. दीर्धकालीन उत्पादन फलन - जब उत्पादन
के सभी साधन परिवर्तनशील होते है अर्थात् जब किसी साधन को स्थिर न रखकर सभी साधनों की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन फलन दीर्धकालीन होता है, क्योंकि दीर्धकाल में उत्पादन के साधनों को आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है। प्र03. परिवर्तनशील तथा स्थिर लागतों को स्पष्ट कीजिए। परिवर्तनशील तथा स्थिर लागतों में अन्तर परिवर्तनशील लागतें - परिवर्तनशील लागतें कुल लागत का वह अंश
होता है जो उत्पादन के बढ़ जाने से बढ़ता है तथा धटने के साथ धटता जाती है। यदि उत्पादन किसी भी समय नहीं हो रहा है तो परिवर्तनशील लागतें बिल्कुल समाप्त हो जाती है। जैसे कच्ची माल का मूल्य, ईधन पर व्यय, श्रमिकों की मजदूरी आदि। प्र04. उत्पादन लागत से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट लागतों एवं अस्पष्ट लागतों में अन्तर बताइए। उत्पादन लागत - उत्पादन लागत के अन्र्तगत वे सभी व्यय सम्मिलित किए जाते है, जो किसी उत्पादक या फर्म द्वारा वस्तु के उत्पादन व्यय के रूप में उठाए जाते है। जैसे उत्पादन के विभिन्न साधनो (भूमि, पूँजी, श्रम और संहास ) को दिया जाना वाला पुरस्कार, परिवहान व्यय, बीमा एवं कर, मशीनों
का क्रय-विक्रय, विज्ञापन, बिजली, कच्चा माल आदि पर किया जाने वाला व्यय, धिसावट आदि। स्पष्ट लागतें - स्पष्ट लागतों में उत्पादन जैसे
उत्पादन के साधनों को दिया जाने वाला पुरस्कार, विक्रय लागतों में (विज्ञापन, प्रचार आदि पर होने वाला व्यय) तथा अन्य लागतों में (कर, सुरक्षा व्यय, बीमा आदि) का समावेश होता है। प्र05. उत्पादन लागत से आप क्या समझते हैं ? द्राव्यिक, वास्तविक एवं अवसर लागत को संक्षेप में समझाइए। उत्पादन लागत - उत्पादन लागत के अन्र्तगत वे सभी व्यय सम्मिलित किए जाते है, जो किसी उत्पादक या फर्म द्वारा वस्तु के उत्पादन व्यय के रूप में उठाए जाते है। जैसे उत्पादन के विभिन्न साधनो ं(भूमि, पूँजी, श्रम और संहास ) को दिया जाना वाला पुरस्कार, परिवहान व्यय, बीमा एवं कर, मशीनों का क्रय-विक्रय, विज्ञापन, बिजली, कच्चा माल आदि पर किया जाने वाला व्यय, धिसावट आदि।
(अ) द्राव्यिक लागता - द्राव्यिक लागतों के अन्तर्गत वे लागतें आती है, जिन्हें कोई उत्पादक उत्पत्ति के साधनों के प्रयोग के लिए द्रव्य के रूप में व्यय करता है। इसमें तीन मदें सम्मिलित होती है। (ब) वास्तविक लागत - वास्तविक लागत की अवधारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम प्रो0 मार्शल ने किया था। उनके अनुसार किसी वस्तु के उत्पादन के निर्माण में समाज को जो कष्ट, त्याग तथा कठिनाइयाॅ सहनी पड़ती है उन सभी के योग को वास्तविक लागत कहते है। (स) अवसर लागत - किसी वस्तु के उत्पादन की अवसर लागत वस्तु की वह मात्रा है जिसका त्याग किया जाता है। किसी एक वस्तु का निर्माण करने के लिए किसी दूसरे वस्तु का त्याग किया जाता है। प्र06. पैमाने के प्रतिफल से क्या अर्थ है। पैमाने के बढ़ते, स्थिर और धटते प्रतिफल को रेखाचित्र की सहायता से समझाइए। प्ररिभाष - पैमाने के प्रतिफल का विचार इस बात का अध्ययन करता है कि यदि उत्पत्ति के साधनों में आनुपतिक परिवर्तन कर दिया जाए तो उत्पादन में किस प्रकार परिवर्तन
होगा। प्र0 7 उत्पत्ति ह्यस नियम किसे कहते ? इसकी क्रियाशीलता के क्या कारण है ? इस नियम के अनुसार " यदि उत्पादन के किसी एक या अधिक साधनों की मात्रा को स्थिर रखते हुए अन्य साधनों को धीरे-धीरे बढ़या जाए तो एक बिन्दु के बाद परिवर्तनशील साधनों की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाली उपज धटने लगती है।" उत्पत्ति ह्यस नियम की व्याख्या - यह नियम तीन आर्थिक धारणाओं पर आधारित है। कुल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद और औसत उत्पाद। कुल उत्पाद - परिवर्तनशील साधनों की निशिचत इकाइयों के प्रयोग से होने वाले उत्पादन को कुल उत्पाद कहते है। औसत उत्पाद - कुल उत्पादन को परिवर्तनशील साधन की कुल ईकाइयों से भाग देने से प्राप्त होता
है उसे औसत उत्पादन कहते है। सीमान्त उत्पाद - परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से प्राप्त उत्पादन को सीमान्त उत्पाद कहते है। ASSESSMENT (मूल्यांकन) अल्प काल में उत्पादन के कितने साधन स्थिर होते हैं?अल्पकाल में सूक्ष्म समयावधि के कारण जिन उत्पत्ति के साधनों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता उन्हें स्थिर साधन (Fixed Factors) कहा जाता है । अल्पकाल में कुछ उत्पत्ति के साधन परिवर्तनशील हैं । मुख्यतः पूँजी, पूँजीगत उपकरण, भूमि, उत्पादन तकनीक आदि अल्पकाल में स्थिर हैं, जबकि श्रम की इकाइयाँ परिवर्तनीय हो सकती हैं ।
अल्पकाल में लागत कितने प्रकार की होती है?अल्पकाल में लागत दो प्रकार की होती है स्थिर लागत तथा परिवर्ती लागत, जबकि दीर्घकाल में सभी लागते परिवर्ती लागतें होती हैं।
दीर्घकाल में उत्पादन के कितने साधन स्थित होते हैं?दीर्घकाल में उत्पादन के सभी कारकों में परिवर्तन लाया जा सकता है। एक फर्म निर्गत के विभिन्न स्तरों का उत्पादन करने के लिए, दीर्घकाल में दोनों कारकों में साथ-साथ परिवर्तन ला सकती है। अतः दीर्घकाल में कोई भी स्थिर कारक नहीं है।
उत्पादन में अल्पकाल से क्या समझते हैं?अल्पकाल से अभिप्राय उस समय अवधि से है, जिसमें फर्म के पास उत्पादन का पैमाना बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता। वह परिवर्तनशील साधन की मात्रा में वृद्धि करके तथा विद्यमान स्थिर साधनों का गहन प्रयोग करके, केवल उत्पादन के स्तर में वृद्धि कर सकती है।
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