NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने are part of NCERT Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. डर इतना था कि ये लोग सूटकेस लेकर भी सड़क पर नहीं निकल सकते थे। इन्हें दिन का सूर्य व रात का चंद्रमा देखना भी वर्जित था। इन्हें राशन की
कमी रहती थी तथा बिजली का कोटा भी था। ये फटे-पुराने कपड़े और घिसे-पिटे जूतों से काम चलाते थे। ऐन फ्रैंक की डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदना हवाई हमले का डर, पकड़े जाने का डर, किशोर मन के सपने, प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, अकेलेपन की पीड़ा आदि का वर्णन है। इस डायरी में कल्पना का अंश नाममात्र का हो सकता है। इस तरह साधारण लड़की द्वारा रचित हुए भी यहा साठ लखयही लोग की आवाज बना जाता है। अता इत्या हत्यु की यहा टिप्पिण विकुल सही है। प्रश्न 2. प्रश्न 3. ऐन चाहती है कि औरतों को
पुरुषों की तरह सम्मान दिया जाए, क्योंकि औरत ही मानव-जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए पीड़ा सहती है। ऐन चाहती है कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वह उन मूल्यों व व्यक्तियों की निंदा करती है जो समाज में औरतों को सम्मान नहीं देते। वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है। उसके भीतर भविष्य को लेकर आशा व सपने हैं। उसे उम्मीद है कि आगामी सदी में औरतों द्वारा बच्चे पैदा करने वाली स्थिति बदलेगी और उन्हें ज्यादा सम्मान व हक मिलेगा। प्रश्न 4. प्रश्न 5. इसे भी जानें नाजी नरसंहार से जुड़े दस्तावेजों के दुनिया के सबसे बड़े अभिलेखागार एक जीर्णशीर्ण फाइल में 40 नंबर के आगे लिखा हुआ है-ऐन। फ्रैंक। ऐन की डायरी ने उसे विश्व में खास बना दिया लेकिन 1944 में सितंबर माह के किसी एक दिन वह भी बाकी लोगों की तरह एक नाम भर थी। एक भयभीत बच्ची जिसे बाकी 1018 यहूदियों के साथ पशुओं को ढोने वाली गाड़ी में पूर्व में स्थित एक यातना शिविर के लिए रवाना कर दिया गया था। वितीय विश्व युद्ध के बाद डच रेडक्रॉस ने वेस्टरबोर्क ट्रांजिट कैंप से यातना शिविरों में भेजे गए लोगों संबंधी सूचना एकत्र कर इंटरनेशनल ट्रेसिंग सर्विस (आई०टी०ची०एस०) को भेजे थे। आई०टी०एस० नाजी दस्तावेजों का एक ऐसा अभिलेखागार है जिसकी स्थापना युद्ध के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिए की गई थी। इस युद्ध के समाप्त होने के छह दशक से अधिक समय के बाद अब अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति विशाल आई०टी०एस० अभिलेखागार को युद्ध में जिंदा बचे लोगों, उनके रिश्तेदारों व शोधकर्ताओं के लिए पहली बार सार्वजनिक करने जा रही है। एक करोड़ 75 लाख लोगों के बारे में दर्ज इस रिकॉर्ड का इस्तेमाल अभी तक परिजनों को मिलाने वाले लाखों विस्थापित लोगों के भविष्य का पता लगाने और बाद में मुआवजे के दावों के संबंध में प्रमाण-पत्र जारी करने में किया जाता रहा है। लेकिन आम लोगों को इसे देखने की अनुमति नहीं दी गई है। मध्य जर्मनी के इस शहर में 25.7 किलोमीटर लंबी अलमारियों और कैबिनेटों में संग्रहित इन फ़ाइलों में उन हजारों यातना शिविरों, बंधुआ मजदूर केंद्रों और उत्पीड़न केंद्रों से जुड़े दस्तावेजों का पूर्ण संग्रह उपलब्ध है। किसी ज़माने में थर्ड रीख के रूप में प्रसिद्ध इस शहर में कई अभिलेखागार हैं। प्रत्येक में युद्ध से जुड़ी त्रासदियों का लेखा-जोखा रखा गया है। आई०टी०एस० में ऐन फ्रैंक का नाम नाजी दस्तावेजों के पाँच करोड़ पन्नों में केवल एक बार आया है। वेस्टरबोर्क से 19 मई से छह सितंबर 1944 के बीच भेजे गए लोगों से जुड़ी फ़ाइल में फ्रैंक उपनाम से दर्जनों नाम दर्ज हैं। इस सूची में ऐन का नाम, जन्मतिथि, एम्सटर्डम का पता और यातना शिविर के लिए रवाना होने की तारीख दर्ज है। इन लोगों को कहाँ ले जाया गया। उस कॉलम को खाली छोड़ दिया गया है। आई०टी०एस० के प्रमुख यूडो दोस्त ने पोलैंड के यातना शिविर का जिक्र करते हुए कहा-यदि स्थान में नाम नहीं दिया गया है तो इसका मतलब यह आशाविच था। ऐन, उनकी बहन मार्गेट व उसके माता-पिता को चार अन्य यहूदियों के साथ 1944 में गिरफ्तार किया गया था। ऐन डच नागरिक नहीं जर्मन शरणार्थी था। यातना शिविरों के बारे में ऐन की डायरी 1952 में ‘ऐन फ्रैंक दी डायरी ऑफ़ द यंग गर्ल’ शीर्षक से छपी थी। अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
निबंधात्मक प्रश्न प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. साढ़े चार बजे अँधेरा हो जाता था। दिन में घर के पर्दे हटाकर बाहर नहीं देख सकते थे। रात होने पर ही वे आसपास के पर्दै हटाकर देख सकते थे। दिन में वे उलूल-जलूल हरकतें करके दिन बिताते थे। ऐन ने रात में खिड़की खोलकर बादलों से लुकाछिपी करते हुए चाँद को देखा था। 4 अगस्त, 1944 को वे पकड़े गए तथा 1945 में ऐन की अकाल मृत्यु हो गई। ऐन फ्रैंक का जीवन आम व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में रहने की प्रेरणा देता है। वह हमें अपने अनुभव लिखने की भी प्रेरणा देती है। साथ ही, हर स्थिति में मानसिक संतुलन बनाए रखने का संदेश भी मिलता है। We hope the given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. |