3 साल के बच्चे को बार-बार पॉटी आना - 3 saal ke bachche ko baar-baar potee aana

डीएनए हिंदी: बच्चों को बार-बार पॉटी आना बेहद आम समस्या है लेकिन कई बार शिशु हल्का सा दूध पीने के बाद भी पॉटी कर देता है या पानी भी पीता है तो उसे तुरंत दस्त लग जाते हैं.अगर ऐसा होता है तो आपको ध्यान देने की आवश्यकता है. ऐसे में आपको बच्चे के पॉटी करने के समय और कलर पर भी ध्यान देना चाहिए.आपको देखना चाहिए कि वो कैसी पॉटी कर रहा है,जिससे आप उसका समाधान निकाल सकें.बार बार दस्त आने को बेबी डायरिया (Baby Diarrhea) कहते हैं, अगर घरेलू उपाय से यह कम न हो तो फिर बच्चों के डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. आज हम जानेंगे बच्चों को ज्यादा पॉटी लगने के कारण क्या है, ऐसे में क्या करना चाहिए और कैसे उसका ख्याल रखा जाए.

यह भी पढ़ें- बच्चों को लू से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय

बच्चों को ज्यादा पॉटी लगने के कारण (Causes of child loose motion)

बच्चों को बार-बार पॉटी आने की समस्या दूध पीने, सर्दी-जुकाम, या मां के गलत खान-पान के कारण हो सकती है. इसके अलावा दूध पीने वाली बोतल से भी बच्चे को इंफ्केशन का डर हो सकता है.डॉक्टरों के अनुसार स्‍तनपान करने वाले नवजात शिशु एक,तीन या चार दिन में 15 बार पॉटी कर सकते हैं.अगर बच्‍चा सही तरह से फीडिंग ले रहा है हेल्‍दी दिख रहा है और उसका वजन भी सही बढ़ रहा है, तो पतली पॉटी आने पर आपको परेशान नहीं होना चाहिए.कई माएं बच्‍चे की पतली पॉटी के लिए स्‍तनपान को जिम्‍मेदार मानकर उसे फीडिंग कराना बंद कर देती हैं, यह एक गलतफहमी है.

पॉटी का रंग और उसका धरण क्या संकेत देता है (Symptoms of Child motion color and type)

हरे रंग की पॉटी का कारण 

बच्चे के जन्म के बाद उसकी पॉटी पीले के साथ-साथ कभी-कभी हरे रंग की भी दिखाई दे सकती है.कई बार काली या लाल रंग की भी होती है. पॉटी का रंग अलग-अलग होना सामान्य बात है. दरअसल, बच्चे छह महीने तक दूध के अलावा और कुछ नहीं खाते-पीते हैं,ऐसे में कभी-कभी पानी की कमी होने के कारण पॉटी का रंग हरा हो सकता है. वहीं, फॉर्मूला मिल्क पीने वाले करीब 50 प्रतिशत बच्चे हरे रंग का मल त्याग करते हैं

लक्षण (Symptoms of loose motion)

  • अगर पतली पॉटी के साथ बच्‍चे को हल्‍का बुखार है और बच्‍चा एक साल से छोटा है, तो इस समस्‍या को गंभीरता से लेना चाहिए.
  • दस्‍त के साथ उल्‍टी और पेट में संक्रमण के संकेत हो सकते हैं, इसलिए सावधान रहें.ज्‍यादा प्‍यास लगना, जीभ सूख जाना, आंखे धंसना और बच्‍चे का लगातार रोना डिहाइड्रेशन के संकेत हो सकते हैं
  • दस्‍त में खून आना भी एक गंभीर समस्‍या हो सकती है. ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है

यह भी पढ़ें - बच्चों के मेंटल हेल्थ को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट

घरेलू उपाय- किन बातों का रखें ख्याल (Loose motion Treatment at home in hindi)

​​​एक मुट्ठी राइस पाउडर पानी में मिलाकर कम से कम 10 मिनट पकाएं.इसमें हल्‍का नमक और बाद में कम से कम एक लीटर पानी मिलाकर पतला कर लें। इस पतले तरल पदार्थ को बच्‍चे को पिलाएं

  • दूसरा उपाय एक गिलास पानी में थोड़ी चीनी और एक चुटकी नमक मिलाकर बच्‍चे को पिलाएं
  • स्‍तनपान वाले बच्‍चे को केवल स्‍तनपान ही कराएं. इससे उसे बैक्‍टीरियल, वायरल और डायरिया से लड़ने में शक्ति मिलती है
  • बच्‍चे को जबरदस्‍ती फीडिंग ना कराएं, उसे जब भूख लगे, तब ही फीडिंग कराएं
  • फीडिंग छुड़ाने के लिए दाल की खिचड़ी को एक बेहतर चीज माना जाता है, इसके लिए अनावश्यक आहार परिवर्तन की जरूरत नहीं हैं.
  • अगर आप घर में कुछ ऐसा नहीं बना सकते, तो बाजार में मिलने वाले रिहाड्रेटेशन का इस्‍तेमाल करें.
  • अपने बच्‍चे को कोई भी एंटीबायोटिक दवा देने से बचें. डॉक्‍टर द्वारा दी गई दवाओं के बारे में सही से जानकारी लेनी चाहिए.अगर बच्‍चे को उल्‍टी की दवा दे रहे हैं तो ध्‍यान रहे कि इसके तुरंत बाद उसे फीडिंग ना कराएं, दवा देने के बाद कम से कम एक घटे बाद फीडिंग कराएं
  • हमेशा घरेलू उपायों के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए  हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.


अगर आपका बच्चा छोटा है यानी 1 से 3 साल के बीच के शिशुओं को पेट से जुड़ी समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। ज्यादा दिक्कत तब होती है जब बच्चे को लूज मोशन्स होने लग जाएं जिसे डायरिया या पेट खराब होना भी कहते हैं। अगर छोटे बच्चों का पेट खराब हो जाए तो शरीर से बहुत ज्यादा पानी निकल जाने की वजह से न सिर्फ उनमें कमजोरी आ जाती है बल्कि बच्चे चिड़चिड़ेपन का भी शिकार हो जाते हैं और बहुत ज्यादा रोने लगते हैं, क्रैन्की हो जाते हैं। कई बार जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं तब भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है और उसे लूज मोशन्स होने लगते हैं। वैसे तो बच्चों में पेट खराब होने की दिक्कत की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन इनमें से कुछ सबसे कॉमन वजहें ये हैं...

ये भी पढ़ें: हाथ धोने की आदत हर साल लेती है लाखों बच्चों की जान

पेट खराब होने की ये हैं वजहें
- अगर आपके बच्चे की उम्र 2 साल से कम है तो रोटावायरस से होने वाले इंफेक्शन की वजह से भी उसे लूज मोशन और डायरिया हो सकता है।
- अगर बच्चे को किसी फूड आइटम यानी खाने पीने कि किसी चीज जैसे- दूध, अंडा या मूंगफली से ऐलर्जी है तो इन चीजों को खाने के बाद भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है और उसे मोशन्स शुरू हो सकते हैं।
- बच्चे कई बार जब घुटनों के बल चलना शुरू करते हैं तो जमीन पर गिरी चीजें उठाकर सीधे मुंह में रख लेते हैं और इस तरह जर्म्स और गंदी चीजें पेट में जाने की वजह से भी बच्चे को लूज मोशन्स हो सकते हैं।
- अगर किसी गंदी जगह को छूने की वजह से बच्चे के हाथ गंदे हो गए हैं और उन्हीं गंदे हाथों को अगर बच्चा अपने मुंह में रख लेता है तब भी हाथों में लगे कीटाणु शरीर के अंदर चले जाते हैं जिससे पेट खराब और मोशन्स की दिक्कत होने लगती है।
- कई बार बहुत ज्यादा फ्रूट जूस या कोई और लिक्विड चीज पीने की वजह से भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है।

लूज मोशन्स की समस्या दूर करने के नुस्खे
अगर बच्चे का पेट खराब है तो जाहिर सी बात है पैरंट होने के नाते आप चिंता करेंगे और बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज करवाएंगे दवा दिलवाएंगे। लेकिन दवा के साथ-साथ आप घर पर भी कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर बच्चे को कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश कर सकती हैं।

डायरिया: कारण, लक्षण और बचाव


1. ओआरएस का घोल
लूज मोशन होने पर ओआरएस का घोल सबसे ज्यादा कारगर साबित होता है और सदियों से मांएं बच्चे का पेट खराब होने पर इसी का इस्तेमाल करती आ रही हैं। आप चाहें तो केमिस्ट की दुकान से लेकर ओआरएस का घोल खरीद सकती हैं या फिर आप चाहें तो घर पर ही इस सलूशन को बना सकती हैं। इसके लिए आपको 1 लीटर पानी को उबालकर ठंडा करना है। इसमें करीब 5 से 6 चम्मच चीनी और 1 चम्मच नमक डालें और अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इस घोल को थोड़ी-थोड़ी देर में बच्चे को पिलाते रहें ताकि उन्हें डिहाइड्रेशन न हो। इस घोल के सेवन से बच्चे के शरीर में हो रहे नमक और फ्लूइड्स की कमी को पूरा किया जा सकता है।

2. चावल का पानी या माड़ और आलू
आप चाहें तो लूज मोशन होने पर बच्चे को चावल का पानी या माड़ जो चावल पकाने के बाद निकलता है, वो भी पिला सकती हैं। इससे भी शरीर में हो रही पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है। साथ ही साथ आप चाहें तो बच्चे को स्टार्च से भरपूर चीजें जैसे आलू और चावल भी खिला सकते हैं। उसमें चुटकी भर जीरा पाउडर मिला देने से इन चीजों का स्वाद भी बेहतर हो जाएगा।

3. बच्चे को केला खिलाएं
लूज मोशन्स की वजह से बच्चे पानी के साथ-साथ पोटैशियम भी खोने लगते हैं और शरीर में इसकी कमी को पूरा करना बेहद जरूरी है। साथ ही साथ लूज मोशन्स के समय बच्चे की एनर्जी और स्ट्रेंथ भी बेहद कम हो जाती है। लिहाजा बच्चे को केला खिलाएं। केले में पोटैशियम, जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटमिन ए और बी6 होता है। केले के सेवन से बच्चे की खोयी एनर्जी को वापस पाया जा सकता है।

4. छाछ और नारियल पानी
जब बात जर्म्स और बैक्टीरिया से लड़ने की आती है तो उसमें घर के बने बटरमिल्क यानी छाछ भी काफी मददगार है। बच्चे को छाछ पिलाने से उनके डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम मिलता है। आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा काला नमक डालकर बच्चे को पिलाएं। इससे छाछ का टेस्ट भी बेहतर होगा। 8 महीने से ज्यादा के बच्चे को ही छाछ पिलाएं। नारियल पानी भी लूज मोशन और डायरिया होने पर बच्चे को दे सकते हैं। दिन में 2-3 बार बच्चे को नारियल पानी पिलाएं। इससे शरीर में हो रही फ्लूइड्स की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

5. दही भी है फायदेमंद
जब बच्चे का पेट खराब हो तो कोई भी पैकेज्ड चीजें उसे न खिलाएं। लिहाजा बाजार से खरीद कर बच्चे को दही खिलाने की बजाए, आप उन्हें घर की जमी हुई दही खिलाएं। दही में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया बच्चे के डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बेहतर होगा और लूज मोशन्स को रोकने में भी मदद करेगा।

3 साल के बच्चे को बार-बार पॉटी आना - 3 saal ke bachche ko baar-baar potee aana


बच्चों की लैट्रिन कैसे बंद करें?

ओआरएस का घोल लूज मोशन होने पर ओआरएस का घोल सबसे ज्यादा कारगर साबित होता है और सदियों से मांएं बच्चे का पेट खराब होने पर इसी का इस्तेमाल करती आ रही हैं। ... .
चावल का पानी या माड़ और आलू ... .
बच्चे को केला खिलाएं ... .
छाछ और नारियल पानी ... .
दही भी है फायदेमंद.

3 साल का बच्चा कितनी बार पॉटी करता है?

इस उम्र में बच्‍चे लगभग तीन से चार बार पॉटी और लगभग हर घंटे में पेशाब करते हैं, इसलिए शुरुआती महीने में आपको डायपर की बहुत जरूरत पड़ती है।

छोटे बच्चों को बार बार पॉटी क्यों आती है?

हां, यह एकदम सामान्य है। कुछ शिशु हर बार दूध पीने के बाद मल कर देते हैं और वहीं कुछ शिशु दो से तीन दिन में मलत्याग करते हैं। दूध पीने के बाद हर बार मलत्याग करना वास्तव में इस बात का अच्छा संकेत है कि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है। जब आपके शिशु का पेट भर जाता है, तो दूध उसके पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।

3 साल के बच्चे को दस्त होने पर क्या करें?

नारियल पानी- शिशु को दस्त लगने पर उसे हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है. ... .
नमक चीनी का पानी- किसी को भी दस्त लगने की समस्या होने पर नमक-चीनी का घोल पीने की सलाह दी जाती है. ... .
केला- अगर आपका बच्चा ठोस आहार लेने लगा है तो आप दस्त की समस्या होने पर केला (Banana) खिला सकते हैं..