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- Only Forty Snake Wenom Injection In Jhansi Medical College
झांसी. मेडिकल कॉलेज में एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन खत्म होने के कगार पर है। पुराने बजट के मुताबिक,40 इंजेक्शन बचे हैं। स्नैक वेनम इंजेक्शन सांप के काटने पर लगाए जाते हैं। अगर मरीज गंभीर हालत में हो, तो उसे 20 इंजेक्शन तक लगाने पड़ते है। मरीज को बाहर से इंजेक्शन लेना पड़े, तो उसे 10 हजार रुपए तक कीमत देनी होगी। आगे जानिए झांसी मेडिकल कॉलेज के सीएमएस ने
-सीएमएस डॉ. हरीशचंद्र आर्या ने बताया, पूरे बुंदेलखंड से इलाज के लिए लोग झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में
आते हैं। वैसे हर साल सांप काटने के एक हजार के लगभग मामले आते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा बारिश के सीजन में होती है, जिनकी संख्या लगभग 600 के आस-पास होती है।
-कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि एक मरीज को 20-20 एंटी स्नेक वेनम का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। अब ऐसे हालातों में सांप के काटे हुए मरीजों को अपने पैसों से इंजेक्शन खरीदने पड़ेंगे।
-एक एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की कीमत लगभग 500 रुपये है। ऐसे में यदि मरीज को बीस इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं तो दस हजार रुपये तक खर्च हो सकते हैं।
-सीएमएस के
अनुसार, पुराने बजट से खरीदे हुए मात्र 40 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन बचे हैं। शासन से बजट मांगा गया है। पैसा आएगा, इंजेक्शन की खरीदे जाएंगे।
वर्ल्ड में सांप काटने से इंडिया में होती है सबसे ज्यादा मौत
-WHO के आंकड़ों की माने तो, हर साल 83 हजार लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें 11 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इस आंकड़े के हिसाब से भारत वर्ल्ड में नंबर वन पर आता है। इसकी सबसे बड़ी वजह प्राथमिक इलाज समय पर न मिलना है।
-इंडिया में 236 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं,जिनमें से अधिकत जहरीले नहीं होते हैं। देश में 13 प्रजातियां ही ऐसी हैं जिनमें जहर होता है। इनमें चार कोबरा, रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत बहुत जहरीले होते हैं। देश के सर्वाधिक मौतें नाग व करैत के काटने से होती हैं।
-बारिश में सांप काटने की घटनाएं लगभग दो गुनी हो जाती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 40 एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन बचना बहुत परेशानी खड़ी कर सकता है।
सर्पदंश के एक घंटे में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन जरूरी, घाव से छेड़छाड़ हो सकती है घातक; जानिए क्या करें
Snake Bite हिमाचल प्रदेश में सर्पदंश के हर साल सैकड़ों मामले आते हैं। सर्पदंश के एक घंटे में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगना जरूरी है।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हिमाचल प्रदेश में सर्पदंश के हर साल सैकड़ों मामले आते हैं। सर्पदंश के एक घंटे में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगना जरूरी है। समय पर उपचार मिलने से जहर बेअसर हो सकता है और मरीज को जिंदगी मिल जाती है। हिमाचल प्रदेश में सांपों की छह प्रजातियों सबसे खतरनाक और विषैली हैं। यह जहरीली प्रजातियां जहां पर डसती हैं वहां पर दो निशान बनते हैं, जो उसके दांतों के काटने से पड़ते हैं। जो सांप जहरीले नहीं होते हैं उनके काटने पर चम्मच नुमा निशान पड़ता है।
वर्तमान में भी लोग सांप के डसने पर झाड़-फूंक के चक्कर में रहते हैं और उसके कारण उपचार में होने वाली देरी के कारण या तो जान से हाथ धोना पड़ रहा है या जान बचाने के लिए अंग काटना पड़ रहा है। सर्पदंश के सबसे अधिक मामले जुलाई से सितंबर के बीच आते हैं। बारिश के कारण पानी सांप की बिलों में घुस जाता है और वह अपनी बिलों से बाहर आ जाते हैं। चूहों के कारण घरों में सांप भी घुस जाते हैं और लोग उनके शिकार बन जाते हैं।
हिमाचल में सांपों की छह विषैली प्रजातियां
कोबरा, क्रेटा, हिमालयन ग्रीन पिट वाइपर, रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर, सेंट्रल एशियन कोबरा कुल छह विषैली प्रजातियां हिमाचल प्रदेश में पाई जाती हैं।
2010 से अब तक कितने मामले
2010 से अब तक कांगड़ा में 1244, सोलन में 672, मंडी में 672, हमीरपुर 575, शिमला 525, चंबा 489, बिलासपुर में 407, सिरमौर 404, ऊना 307, कुल्लू 175, किन्नौर में 37, लाहुल-स्पीति में 02 मामले सामने आए। यह आंकड़ा 108 एंबुलेंस द्वारा 2010 से अभी तक सहायता प्रदान मामलों का है। सर्पदंश के तीस से चालीस फीसद मामलों में लोग स्वयं अस्पताल पहुंचते हैं।
सांप के काटने की पहचान
- कटी हुई जगह पर दांतों के निशान, हल्की दर्द व उसके चारों तरफ लाली।
- काटी हुई जगह पर त्वचा बहुत अधिक लचीली व सोजिश
- बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ, खून के धब्बे उभरना, पसीना आना
इन बातों का रखें ध्यान
- पीडित को जाग्रत अवस्था में रखें।
- पीडि़त को और जहां काटा है उसे ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं।
- जख्म को बिलकुल न छेड़े और न उसमें कोई कपड़ा बांधें।
- रक्त के बहाव नहीं रोकें।
- पीडि़त के तंग कपड़े व गहने उतार दें।
- बर्फ के टुकड़ों व विद्युत तरंगों का इस्तेमाल न करें।
सावधानियां
- सोने में कमरे में आनाज का भंडारण न करें।
- घर में चूहों को न आने दें।
- खेतों में जूते पहनकर जाएं और रात को टार्च और डंडा लेकर ही घर से बाहर निकलें।
प्रदेश में छह प्रजातियां बहुत विषैली
सर्पदंश के मामले जुलाई से सितंबर तक अधिक आते हैं। प्रदेश में छह प्रजातियां बहुत विषैली हैं। सर्पदंश के बाद एक घंटा ऐसा है, जिसमें उपचार जरुरी है। उपचार के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जिससे एंटी वेनम इंजेक्शन की ज्यादा मात्रा न दी जाए। -डॉ. उमेश भारती, महामारी विशेषज्ञ।
सांप के काटने पर लगने वाला एंटी वैनम इंजेक्शन 108 एंबुलेंस में भी उपलब्ध रहता है। सर्पदंश के ज्यादातर मामले शाम सात बजे से रात 12 बजे के बीच ज्यादा आते हैं। हालांकि खेतों में काम करने के दौरान किसी सांप को पांव लग जाने के दौरान भी काटने की घटनाएं आती हैं। ऐसे मामलों में तुंरत 108 पर सूचित करें। -अभिषेक भंगालिया, मार्केटिंग मैनेजर एवं मीडिया प्रभारी 108 सेवा।
प्रदेश में सर्पदंश के मामलों को लेकर समीति का गठन किया गया है। प्रदेश में एंटी वेनम इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जुलाई से ज्यादा मामले आते हैं। -आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश।
सांप के काटने पर आर्थिक सहायता का प्रावधान
सांप के काटने से मौत होने पर चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता परिजनों को प्रदान की जाती है। यह आर्थिक सहायता जिला उपायुक्तों के माध्यम से दी जाती है। अंग खराब हो जाता है तो बीस हजार रुपये दिए जाते हैं।
Edited By: Rajesh Sharma