नाक की हड्डी टेढ़ी होने के क्या लक्षण है? - naak kee haddee tedhee hone ke kya lakshan hai?

नाक की हड्डी टेढ़ी होना क्या है?

नाक की हड्डी टेढ़ी तब होती है जब नाक की दोनों नलियों (जिसे हिन्दी में नासा मार्ग कहा जाता है) के बीच की दीवार (Nasal septum) नाक के बीच में होने की बजाए एक तरफ खिसक जाती है। ज्यादातर लोगों में नाक की हड्डी टेढ़ी होने से उनकी नाक की एक नली दूसरी से छोटी पड़ जाती है। 

यदि नाक की हड्डी गंभीर रूप से टेढ़ी हो गई है तो यह नाक की एक तरफ को बंद कर देती है जिससे नाक में कम हवा पहुंच पाती है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। कुछ लोगों में नाक की हड्डी टेढ़ी होने से से नाक की नलियों के अंदरूनी हिस्से सूखने लगते है जिससे नाक के अंदर पपड़ी जमना या नाक से खून बहना जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

नाक की हड्डी टेढ़ी होने से नाक की बीच वाली दीवार के ऊतकों में सूजन आ सकती है जिससे नाक की एक तरफ या दोनों  तरफ की नलियां रुक सकती हैं। नाक की रुकावट के इलाज में सूजन कम करने के लिए दवाएं और नाक की नलियों को खोलने के लिए नेजल डायलेटर्स (Nasal dilators) आदि शामिल हैं। लेकिन नाक की टेढ़ी हड्डी का इलाज करने के लिए सर्जरी आवश्यक होती है।

(और पढ़ें - ब्लीडिंग कैसे रोकें)

नाक की हड्डी टेढ़ी होने के कारण और जोखिम कारक - Nasal Septum Deviation Causes and Risk Factors in Hindi

नाक की हड्डी टेढ़ी क्यों हो जाती है?

वायुमार्गों को दो भागों में बांटने वाली नाक के बीच की दीवार जिसे नेजल सेप्टम कहा जाता है, जब वह बीच में ना होकर नाक के एक तरफ आ जाती है तो यह स्थिति पैदा होती है। 

नाक की हड्डी टेढ़ी निम्न कारणों से हो सकती है:

  • जन्म से ही मिली कोई स्थिति - कुछ मामलों में भूण विकसित होने के दौरान भी नाक की हड्डी टेढ़ी हो सकती है जो बच्चे का जन्म होने के बाद दिखाई देती है। (और पढ़ें - टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है)
  • नाक पर चोट लगना - नाक पर किसी प्रकार की चोट लगना जो नाक के बीच की दीवार को दूसरी तरफ धकेल देती है उसके परिणाम से भी नाक की हड्डी टेढ़ी हो सकती है। शिशुओं में ऐसी चोटें जन्म लेने के दौरान भी लग सकती है। बच्चों व वयस्कों में ऐसी बहुत सारी दुर्घटनाएं हो सकती हैं जो नाक में चोट लगने व नाक की हड्डी को टेढ़ी करने का कारण बन सकती हैं, जैसे चलने के दौरान पैर फिसल कर नाक के बल गिरना या किसी दूसरे व्यक्ति के साथ टक्कर लगना आदि इसके उदाहरण हो सकते हैं। नाक पर चोट लगने की संभावनाएं ज्यादातर स्पोर्ट्स व खेलों में भाग लेने और बाइक और कार आदि वाहन चलाने से बढ़ती है।

(और पढ़ें - नाक की हड्डी बढ़ने का इलाज)

सामान्य रूप से  उम्र बढ़ना भी नाक की संरचना को प्रभावित कर सकती है और समय के साथ-साथ नाक की टेढ़ी हुई हड्डी को और बदतर बना सकती है। इसके अलावा राइनाइटिस (Rhinitis) या राइनो साइनसाइटिस (Rhinosinusitis) विकसित होने के कारण नाक के अंदरूनी मांस में सूजन आ सकती है जिससे नाक की नलियां रुकने लगती हैं।

नाक की हड्डी टेढ़ी होने का खतरा कब बढ़ जाता है?

कुछ लोगों में बचपन से ही नाक की हड्डी टेढ़ी होती है, जो भ्रूण विकसित होने के दौरान या शिशु के जन्म लेने के दौरान चोट लगने से हो जाती है। जन्म के बाद नाक की हड्डी टेढ़ी होने की ज्यादातर संभावना चोट आदि लगने से ही होती है जो नाक की हड्डी को उसकी जगह से धकेल कर हिला देती है। (और पढ़ें - चेहरे पर सूजन का इलाज)

इसके जोखिम कारकों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • कुछ विशेष प्रकार के खेलों में भाग लेना जैसे कुश्ती, फुटबॉल और वॉलीबॉल (जिनमें शारीरिक स्पर्श होता हो) 
  • वाहन चलाने या उसमें सफर करने के दौरान सीट बेल्ट का उपयोग ना करना

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)

नाक की हड्डी टेढ़ी होने का इलाज - Nasal Septum Deviation Treatment in Hindi

नाक टेढ़ी होने की स्थिति का इलाज कैसे किया जाता है?

लक्षणों को नियंत्रित करना:

नाक की हड्डी टेढ़ी होने के शुरूआती इलाज में नाक की अंदरूनी परत की त्वचा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। क्योंकि ये लक्षण नाक बंद होने या नाक बहने जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं। डॉक्टर आपके लिए निम्न दवाओं को  लिख सकते हैं:

  • डिकंजेस्टेन्ट: ये दवाएं नाक के अंदर की सूजन  को कम कर देती है जिससे नाक की नलियों को खुलने में मदद मिलती है। डिकंजेस्टेन्ट दवाएं टेबलेट और नाक में डालने के स्प्रे (नेजल स्प्रे) के रूप में मिल जाती हैं। हालांकि नेजल स्प्रे को हमेशा सावधानी से उपयोग करना चाहिए। क्योंकि नेजल स्प्रे का बार-बार या लगातार इस्तेमाल करने से उसकी आदत पड़ जाती है या उसको इस्तेमाल करना बंद कर देने के बाद लक्षण और बदतर हो जाते हैं। डिकंजेस्टेन्ट दवाओं में उत्तेजक होते हैं जो आपको चिड़चिड़ा बना सकते हैं और साथ ही साथ आपके ब्लड प्रेशर को हाई कर सकते हैं और दिल की धड़कनों को तेज कर देते हैं। (और पढ़ें - हाई बीपी का इलाज)
  • एंटीहिस्टामिन - ये एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं जिनमें बंद नाक और नाक बहना जैसे लक्षण भी शामिल हैं। ये दवाएं कभी-कभी जुकाम के साथ होने वाली गैर-एलर्जिक स्थितियों का इलाज करने में भी मदद करती हैं। कुछ एंटीहिस्टामिन दवाएं तंद्रा (नींद की हल्की झपकियां आना) पैदा कर देती हैं, जिससे आपके कुछ ऐसे कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है जिसमें आपको शारीरिक तालमेल की आवश्यकता है जैसे ड्राइविंग करना आदि। (और पढ़ें - जुकाम का इलाज)
  • नेजल स्टेरॉयड स्प्रे - डॉक्टर द्वारा लिखे गए कुछ प्रकार के नेजल स्प्रे नाक की नलियों में सूजन व जलन आदि को कम कर देते हैं। स्टेरॉयड स्प्रे आमतौर पर अपने अधिकतम प्रभाव तक पहुंचने के लिए एक से तीन सप्ताह तक लेता है, इसलिए  इनका उपयोग करने  के लिए अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सूजन का इलाज)

दवाएं सिर्फ श्लेष्म झिल्ली (Mucus membranes) में सूजन और लालिमा का ही इलाज करती है नाक की टेढ़ी हुई हड्डी को ठीक नहीं  कर पाती हैं।

सर्जिकल मरम्मत (Septoplasty):

यदि मेडिकल थेरेपी होने के बावजूद भी आपको लक्षण महसूस हो रहे हैं तो नाक की टेढ़ी हड्डी को ठीक करने के लिए सर्जरी करने पर विचार किया जा सकता है, इस सर्जिकल प्रक्रिया को सेप्टोप्लास्टी कहा जाता है।

(और पढ़ें - थेरेपी के प्रकार)

सेप्टोप्लास्टी, नाक की टेढ़ी हड्डी की मरम्मत करने का एक सामान्य तरीका है। सेप्टोप्लास्टी के दौरान आपकी नाक की हड्डी को नाक के मध्य में और सीधा किया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जरी करने वाले डॉक्टरों (सर्जन) को नाक की हड्डी के टेढ़े भाग को काट कर सही दिशा और सही जगह पर लगाने की आवश्यकता पड़ती है। 

सर्जरी से नाक की हड्डी के टेढ़ेपन में होने वाला सुधार उसके टेढ़ेपन की गंभीरता पर निर्भर करता है। नाक की हड्डी टेढ़ी होने से पैदा होने वाले लक्षण विशेष रूप से नाक की नलियां बंद होना आदि को पूरी तरह से ठीक कर दिया जाता है। हालांकि इसके साथ में होने वाली अन्य एलर्जी जैसे समस्याएं जो नलियों की अंदरूनी परत को प्रभावित करती है उनका इलाज सिर्फ सर्जरी की मदद से नहीं किया जा सकता। (और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

नाक को फिर से आकार देना:

कुछ मामलों में नाक को आकार देने वाली सर्जरी जिसे राइनोप्लास्टी (Rhinoplasty) कहा जाता है उसे सेप्टोप्लास्टी सर्जरी के साथ ही किया जाता है। राइनोप्लास्टी में नाक की आकृति और आकार को सुधारने के लिए नाक की हड्डी और कार्टिलेज (मजबूत और कठोर मगर लचीले ऊतक) को रूपांतरित किया जाता है। 

नाक की हड्डी टेढ़ी होने से शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है?

नाक के बीच में दो पतली हड्डियां होती हैं जो नाक को दो भागों में बांटती हैं। इससे नाक से सांस लेने की प्रक्रिया पूरी होती है। चोट, किसी रोग या जन्मजात विकृति के कारण जब यह हड्डी टेढ़ी हो जाती है तो सांस लेने में तकलीफ होने के साथ चेहरा भद्दा दिखता है। इस हड्डी को राइनोप्लास्टी टेक्नीक से ठीक करते हैं।

नाक की हड्डी टेढ़ी हो जाए तो क्या करना चाहिए?

नाक की टेढ़ी हड्डी का इलाज कई तरह से किया जाता है, लेकिन सेप्टोप्लास्टी सर्जरी को इसका बेस्ट इलाज माना जाता है। इस सर्जरी के दौरान ENT विशेषज्ञ डॉक्टर नाक की टेढ़ी हड्डी को सीधा करते हैं। इस सर्जरी में मरीज को दर्द या ब्लीडिंग नहीं होती है।

नाक की हड्डी बढ़ने से क्या होता है?

इस समस्या को ही बोलचाल की भाषा में नाक की हड्डी बढ़ना और चिकित्स्कीय भाषा में टर्बिनेट हाइपरट्रोफी कहा जाता है. इस समस्या से सांस लेने में समस्याएं, इन्फेक्शन और नाक से खून आना जैसे लक्षण हो सकते हैं. साइनस इन्फेक्शन, एलर्जी और वातावरण में परिवर्तन से निचले टर्बिनेट सूज और सिकुड़ सकते हैं.

टेढ़ी हड्डी को सीधा कैसे करें?

संक्रमित हड्डी के हिस्से को निकालकर शरीर के किसी भी अंग की हड्डी को उस जगह पर लगाकर उसे ठीक किया जा सकता है। यही नहीं उस हड्डी की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। इलिजारोव तकनीक से हड्डी की इन बीमारियों का इलाज संभव है। यह तकनीक मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग