विषयसूची
- 1 बिलवासी ने लोटे की क्या विशेषता बताई?
- 2 क्या होता यदि अंग्रेज लोटा न खरीदता?
- 3 बिलवासी जी द्वारा बताई गई अकबरी लोटे की कहानी लिखो?
- 4 कृष्ण गोपियों के घर से कहाँ से मक्खन चुराते थे?
- 5 पानी की कहानी पाठ में क्रोध और घृणा से किसका शरीर काँप उठा?
- 6 अकबरी लोटा कैसी कहानी है?
- 7 पं डि त बिलवासी जी क्यों आए थे?
- 8 अंग्रेज के सामने पंडित बिलवासी मिश्र जी ने लाला झाऊ लाल को पहचानने से इंकार क्यों कर दिया?
बिलवासी ने लोटे की क्या विशेषता बताई?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. ➲ पंडित बिलवासी ने लोटे की विशेषता ये बताई कि ये लोटा एक ऐतिहासिक लोटा है, जो अकबरी का लोटा था। ये लोटा अकबर को बहुत प्यारा था, क्योंकि इसी लोटे से पानी पिलाकर एक ब्राह्मण ने अकबर के पिता हुमायूँ की जान बचाई थी। ✎… ‘अकबरी लोटा’ कहानी में बिलवासी पंडित और झाऊलाल दोनों मित्र थे।
क्या होता यदि अंग्रेज लोटा न खरीदता?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए रूपए लाला झाऊलाल को देने पड़ते। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नी को पैसे नहीं दे पाते और अपनी पत्नी के सामने बेइज्जत होते।
लोटे का नाम अकबरी लोटा क्यों पड़ा?
इसे सुनेंरोकेंहुमायूँ के बाद अकबर ने उस ब्राह्मण का पता लगाकर उससे इस लोटे को ले लिया और इसके बदले में उसे इसी प्रकार के दस सोने के लोटे प्रदान किए। यह लोटा सम्राट अकबर को बहुत प्यारा था। इसी से इसका नाम अकबरी लोटा पड़ा। वह बराबर इसी से वजू करता था।
बिलवासी जी का पूरा नाम क्या था?
इसे सुनेंरोकेंपंडित बिलवासी मिश्र झाऊलाल जी के घनिष्ठ मित्र थे। लालाजी ने जब उन्हें अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने अपनी पत्नी के संदूक से ढाई सौ रुपए चुराकर उन्हें देने चाहे।
बिलवासी जी द्वारा बताई गई अकबरी लोटे की कहानी लिखो?
इसे सुनेंरोकेंअकबरी लोटा’ कहानी में पंडित बिलवासी मिश्र जी का चरित्र चित्रण… ‘अकबरी लोटा’ कहानी में पंडित बृजवासी मिश्री एक बेहद चतुर व्यक्ति थे और मित्रता के धर्म को निभाने वाले व्यक्ति भी थे। जब उनके मित्र झाऊलाल को ढाई सौ रुपए की जरूरत पड़ी तो उनके पास पैसे ना होने के बावजूद उन्होंने अपने मित्र झाऊलाल की मदद करने की ठान ली।
कृष्ण गोपियों के घर से कहाँ से मक्खन चुराते थे?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर – श्रीकृष्ण ऊखल पर चढ़ कर माखन चुराते थे।
तिवार का महत्त्व होता हैम्यान का नहीं उि उदाहरण सेकबीर क्या कहना चाहते हैं स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- ‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से। उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी है।
बेढंगी लोटे को अकबरी लोटा का नाम किसने दिया?
इसे सुनेंरोकेंउस समय एक ब्रह्मान ने इसी लोटे से पानी पिलाकर उसकी जान बचाई थी। हुमायूँ के बाद अकबर ने उस ब्राह्मण का पता लगाकर उससे इस लोटे को ले लिया और इसके बदले में उसे इसी प्रकार के दस सोने के लोटे प्रदान किए। यह लोटा सम्राट अकबर को बहुत प्यारा था। इसी से इसका नाम अकबरी लोटा पड़ा।
पानी की कहानी पाठ में क्रोध और घृणा से किसका शरीर काँप उठा?
इसे सुनेंरोकेंक्रोध और घृणा से किसका शरीर काँप उठा? Answer: (b) ओस की बूँद का।
अकबरी लोटा कैसी कहानी है?
इसे सुनेंरोकेंजब उसे यह पता चला कि जब हुमायूँ शेरशाह से हारकर सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था तो एक दिन उसे प्यास लगने पर एक ब्राह्मण ने इसी लोटे से पानी पिलाया था और बाद में अकबर को जब यह बात मालूम हुई तो उसने इस लोटे को दस सोने के लोटे देकर उस ब्राह्मण से लिया। इसी कारण इसका नाम ‘अकबरी लोटा’ है।
गली में ज़ोर का हल्ला क्यों हो रहा था?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर – गली में ज़ोर का हल्ला इसलिए हो रहा था क्योंकि लाला जी के हाथ से जल का भरा हुआ लोटा छूट कर नीचे किसी व्यक्ति के पैर पर गिर गया था।
लोटे के असली ग्राहक और कीमत का फ़ैसला कैसे किया गया?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर – लोटे के असली ग्राहक और कीमत का फैसला कुछ इस प्रकार किया गया – अंग्रेज और बिलवासी मिश्र जी दोनो ही लाला झाऊलाल के लोहे को लेने की कीमत लगाते है। उन दोनो में लोहे को लेकर जाती है। लोहे की बोली ढाई सौ रूपए तक पहुँच जाती है। अंत में अंग्रेज उसकी कीमत पांच सौ रूपए लगाता है।
पं डि त बिलवासी जी क्यों आए थे?
इसे सुनेंरोकें✎… बिलवासी पंडित और झाऊलाल दोनों मित्र थे। एक बार झाऊलाल को ढाई सौ की जरूरत पड़ी। यह बात पंडित बिलवासी मिश्र को पता चली, लेकिन उनके पास भी 250 रुपये नही थे, लेकिन उन्होंने अपने मित्र झाऊलाल की मदद करने का सोच लिया था।
अंग्रेज के सामने पंडित बिलवासी मिश्र जी ने लाला झाऊ लाल को पहचानने से इंकार क्यों कर दिया?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : अंग्रेज के सामने पंडित बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल को पहचानने से इंकार इसलिए कर दिया था क्योंकि वह जानते थे कि यदि उन्होंने अंग्रेज से कह दिया कि लाला जी के दोस्त हैं तो वह उनसे कोई बात नहीं करेगा। वह तुरंत पुलिस थाने जाकर लालाजी के खिलाफ रिपोर्ट करेगा और इसके बाद वह हर्जाने की मांग भी कर सकता है।
लोटे के कारण उत्पन्न मुसीबत से लालाजी को किसने बचाया और कैसे?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: लोटे दवारा चोटिल अंग्रेज के साथ जब भीड़ आँगन में आ गई तभी लाला जी के मित्र बिलवासी जी आ गए। उन्होंने गालियाँ बकते अंग्रेज को तुरंत कुर्सी पर ष्स्ठाया और सारी भीड़ को आँगन के बाहर निकाल दिया। उन्होंने अंग्रेज के प्रति सहानुभूति प्रकट करके लाला जी को मुसीबत से बचाया।