करवा चौथ की मान्यता क्या है? - karava chauth kee maanyata kya hai?

प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी। एक बार लड़की मायके में थी। तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी। भाइयों से न रहा गया उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है। पूजन कर भोजन ग्रहण करो। बहन ने भोजन ग्रहण किया। भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। अब वह दुखी हो विलाप करने लगी। तभी वहां से रानी इंद्राणी निकल रही थीं। उनसे उसका दुख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुख का कारण पूछा। तब इंद्राणी ने बताया कि तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला। अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा। उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण करता है तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेश से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है। देश में चौथ माता का सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में है। चौथ माता के नाम पर इस गांव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया है। यहां के चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने करवाई थी।

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Karwa Chauth 2022 Importance: गुरुवार का करवा चौथ होता है अत्यंत शुभ, जानें किस तरह से रखें व्रत

Karwa Chauth 2022 Importance: गुरुवार का करवा चौथ होता है अत्यंत शुभ, जानें किस तरह से रखें व्रत

Karwa Chauth 2022 Importance: करवा चौथ का पावन पर्व 13 अक्टूबर को है। इस पावन दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा का विधान है।

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 13 Oct 2022 08:26 AM

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Karwa Chauth Vrat on Thursday 13 October: करवा चौथ व्रत स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु व सुख-सौभाग्य के लिए ही करती हैं। इस व्रत में सास सूर्योदय से पूर्व अपनी बहू को सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। फिर शृंगार की वस्तुएं- साड़ी, जेवर आदि करवा चौथ पर देती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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गुरुवार का व्रत खास-

करवा चौथ, कार्त्तिक कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। गुरुवार की चतुर्थी तिथि को अति शुभ माना गया है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। जबकि चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को। करवा चौथ व्रत के दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

इन मुहूर्त में करें करवा चौथ पूजा-

इस साल करवा चौथ पर पूजन के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमृत काल शाम 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि 01 घंटा 42 मिनट की है। इसके अलावा सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 09 मिनट पर है।

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करवा चौथ पूजन विधि-

सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 शृंगार कर, आभूषण आदि पहन कर शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं। व्रत करने वाले दिन सोना नहीं चाहिए। पकवान से भरे दस करवे-मिट्टी के बने बर्तन, गणेश जी के सम्मुख रखते हुए मन में प्रार्थना करें- ‘करुणासिन्धु कपर्दिगणेश! आप मुझ पर प्रसन्न हों।’ करवे में रखे लड्डू पति के माता-पिता को वस्त्र, धन आदि के साथ जरूर दें। ये करवे पूजा के बाद विवाहित महिलाओं को ही बांट देने चाहिए। निराहार रह कर दिन भर गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए। रात्रि में चंद्रमा के दिखने पर ही अर्घ्य प्रदान करें। इसके साथ ही, गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। व्रती केवल मीठा भोजन ही करें। करवा चौथ व्रत 12 या 16 साल तक करना चाहिए। शरीर अगर साथ नहीं दे रहा है, तो इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं।

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रांची, जासं। Karwa Chauth 2022 अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत 13 अक्टूबर को है। इस साल करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग बन रहे हैं, जो इस व्रत का महत्व और बढ़ा रहा है।

आचार्य प्रणव मिश्रा के अनुसार के अनुसार, करवा चौथ के दिन चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र में उदय होंगे। मान्यता है कि इस नक्षत्र में व्रत रखना बेहद शुभ होता है। इस नक्षत्र में चंद्र देव के दर्शन से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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करवा चौथ मनाने की असली कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी। उनका पति एक दिन नदी में स्नान करने गया तो नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ा लिया। उसने अपनी पत्नी करवा को सहायता के लिए बुलाया करवा के सतीत्व में काफी बल था। नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंचकर अपने तपोबल से उस मगरमच्छ को बांध दिया। फिर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची।

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यमराज ने करवा से पूछा कि हे देवी आप यहां क्या कर रही हैं और आप चाहती क्या हैं। करवा ने यमराज से कहा कि इस मगर ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था इसलिए आप अपनी शक्ति से इसके मृत्युदंड दें और उसको नरक में ले जाएं। यमराज ने करवा से कहा कि अभी इस मगर की आयु शेष हैं इसलिए वह समय से पहले मगर को मृत्यु नहीं दे सकते।

इस पर करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आपको ही नष्ट कर दूंगी। करवा माता की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण ना तो वह उसको शाप दे सकते थे और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते थे। तब उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया। साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होगा।

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चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। मैं वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेगी, उसके सौभाग्य की रक्षा मैं करूंगा।

उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलने से इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह मां करवा पहली महिला हैं, जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए न केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था, जिसका उल्लेख वारह पुराण में मिलता है।

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क्या है करवा चौथ का व्रत विधि

प्रातः स्नान करके अपने सुहाग लंबी की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें। करवा चौथ का व्रत को करने के बाद शाम को पूजा करते समय माता करवा चौथ कथा पढ़ना चाहिए। साथ ही माता करवा से विनती करनी चाहिए कि हे मां, जिस प्रकार आपने अपने सुहाग और सौभाग्य की रक्षा की उसी तरह हमारे सुहाग की रक्षा करें। साथ ही यमराज और चित्रगुप्त से विनति करें कि वह अपना व्रत निभाते हुए हमारे व्रत को स्वीकार करें और हमारे सौभाग्य की रक्षा करें।

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करवा चौथ पर बाजार सजकर तैयार, स्पेशल करवा थाली की मांग

करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसके लिए राजधानी रांची का बाजार पूरी तरह सज कर तैयार हो गया है। साड़ी शोरूम, चूड़ी बाजार, पार्लर, मेहंदी के साथ ही सजकर तैयार है। बाजार में महिलाओं में खासा उत्साह भी दिख रहा है। हर वर्ग करवा चौथ मना सके इसके लिए बाजार में उसकी बजट में सामान उपलब्ध हैं। कोरोनाकाल के दो साल बाद दुकानदार भी इस बार बेहतर कारोबार की उम्मीद जता रहे हैं। अपर बाजार के महावीर चौक पर दर्जनभर दुकानों में महिलाओं के शृंगार से लेकर करवा चौथ की समाग्रियों की बिक्री शुरू है। बाजार में शृंगार से जुड़े सेट इस बार महिलाओं को काफी पंसद आ रहे है। इस साल बाजार में 300 और 400 रुपये के करवा चौथ की स्पेशल थाली महिलाओं के लिए उपलब्ध है।

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300 रुपये के सेट में चलनी, लोटा और थाली है। वहीं, 400 रुपये के सेट में चलनी, लोटा, थाली, ग्यास, कथा की किताब और करवा की फोटा है। स्पेशल थाली महिलाओं को सबसे अधिक पंसद आ रही है। बाजार में सबसे अधिक स्पेशल करवा थाली की मांग है। इसके अलावा रांची के बाजार में रंग-बिरंगी चलनी, थाली, करवा, लोटा बाजार में सबसे अधिक बिक रहे है। इस दौरान महिलाएं समाग्रियों की कीमतों को लेकर दुकानदारों से माेलभाव भी करती देखी गई।

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बाजार में छाई स्पेशल करवा थाली

हर साल पर्व पर बाजार में कुछ अगल व नया देखने को मिलता है। इस बार करवा चौथ पर बाजार में स्पेशल करवा थाली लोग को खूब भा रही है। दरअसल, लोग को करवा का सामान अलग अलग ना खरीदना पड़े इसके लिए इसे एक साथ पैक किया गया है। करवा चौथ के एक दो दिन पहले बाजार में भीड़ से बचने के लिए कई महिलाओं ने अभी से खरीदारी शुरू कर दी है। एक समय पर करवा चौथ के दिन के लिए गहरे लाल रंग की साड़ी की मांग अधिक रहती थी लेकिन अब लहंगा और गाउन इंडो वेस्टर्न ड्रेस और उसके साथ साथ आर्टिफिशियल ज्वैलरी की मांग बढ़ने लगी है।

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हल्की ज्वेलरी की मांग अधिक

करवाचौथ पर उपहार के लिए ज्वेलर्स ने भी विभिन्न तरह की ज्वेलरी सजाने शुरू कर दिए हैं। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सोने की खरीद पर उपहार भी प्रदान किए जा रहे हैं। दुकान में आकर ज्वेलरी बुक करना पसंद कर रहे हैं। इस समय गिफ्ट के लिए हल्की ज्वेलरी की ज्यादा मांग है। अपर बाजार महावीर चौक के श्रृंगार दुकानदार संजय गुप्ता ने बताया कि हार, कंगन, अंगूठी, नेकलेस, झुमके की मांग ज्यादा है।

करवा चौथ की क्या मान्यता है?

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है।

करवा चौथ में क्या क्या नियम है?

करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) में क्या करें और क्या न करें..
मेहंदी लगायें, सोलह श्रृंगार करें ... .
सरगी न छोड़ें ... .
लाल रंग के कपड़े पहनना होता है शुभ, इस रंग के कपड़े न पहनें ... .
अपनी सास को बया दें,आशीर्वाद लें ... .
चांद को अर्घ्य दे कर ही व्रत का पारण करें ... .
नॉनवेज न खायें.

करवा चौथ पर क्या क्या काम नहीं करना चाहिए?

शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ व्रत के दिन महिलाओं को पति से झगड़ा नहीं करना चाहिए। झगड़ा करने से आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा। करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने श्रृंगार का सामान किसी दूसरी महिला को न दें और न ही इस दिन किसी दूसरी महिला के श्रृंगार का सामान लें। करवाचौथ के व्रत के दिन सफेद चीजों का दान करने से बचें।

करवा चौथ का व्रत कौन कौन कर सकता है?

ज्योतिष की माने तो अविवाहित लड़कियां अपने मंगेतर या प्रेमी जिसे वो अपना जीवन साथी मान चुकी हों, उनके लिए करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। मान्यता है कि इससे उन्हें करवा माता का आशीष प्राप्त होता है।

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