किचन में सिंक कौन सी दिशा में होनी चाहिए? - kichan mein sink kaun see disha mein honee chaahie?

मेरी माँ मुझसे हमेशा कहती है की रसोई को वैध रूप से घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा कहा जा सकता है। यह ऊर्जा का स्रोत है जो हमारे शरीर और आत्मा दोनों को पोषण देता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इस खंड को इस तरह से बनाया जाए जो केवल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करे। और जितना मैंने अपने बड़ो से सुना है, उसकी मानें तो वास्तु इसमें आपकी मदद कर सकता है। इसलिए मैं आपको बताने जा रही हूँ की किचन में सिंक किधर होना चाहिए।

अपने घर में किचन सिंक की सही दिशा को समझने के लिए नोब्रोकर के विशेषज्ञ इंटीरियर डिजाइनरों से सलाह लें|

किचन में सिंक किस दिशा में होना चाहिए (kitchen me sink kis disha me hona chahiye)

आइए रसोई में सिंक के कुछ नुकसानों पर नजर डालते हैं जो वास्तु का पालन नहीं करने से हो सकते हैं:

  • रसोइया और घर के नेता की स्वास्थ्य समस्याएं घातक बीमारियों और अकाल मृत्यु का कारण बनती हैं।
  • दिवालियापन की ओर ले जाने वाली वित्तीय कठिनाई वित्तीय नुकसान का परिणाम है।
  • पारिवारिक संघर्ष और परिस्थितियाँ जहाँ विवाहित व्यक्ति तलाक लेते हैं।

रसोई वास्तु दिशा गाइड

सिंक – चूंकि यह पानी का प्रतीक है, सिंक हमेशा उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए। इसके अलावा, ध्यान रखें कि स्टोव और सिंक को कभी भी एक दूसरे के बगल में नहीं रखना चाहिए क्योंकि वे विरोधी ताकतें हैं। अब जब आप जानते हैं की किचन में सिंक कहाँ होना चाहुये (kitchen me sink kaha hona chahiye) तो आपके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है की आप किचन की बाकी चीज़ो की दिशा वास्तु के अनुसार सही तरह समझें। 

स्टोव – रसोई के दक्षिण-पूर्व कोने में स्टोव का स्थान होता है, जिसे वहां रखा जाना चाहिए क्योंकि यह अग्नि तत्व का प्रतीक है और रसोई में सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि खाना पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही बनाना चाहिए।

खिड़कियाँ – यदि आप अपनी रसोई को अच्छी तरह हवादार और सांस लेने योग्य बनाए रखना चाहते हैं, तो आप खिड़कियों में एग्जॉस्ट पंखे लगा सकते हैं। रसोई के दक्षिणी उन्मुखीकरण में निकास पंखे होने चाहिए।

रंग – आपकी रसोई की दीवारों के लिए पीले, लाल, हरे और नारंगी जैसे जीवंत रंगों का उपयोग किया जाना चाहिए क्योंकि वे न केवल आपकी रसोई को वास्तु के अनुरूप बनाएंगे, बल्कि इसकी उपस्थिति को भी बढ़ाएंगे, इसे और अधिक आधुनिक बनाएंगे और आपको खुश करेंगे।

भंडारण – रसोई के लिए वास्तु सिद्धांत के अनुसार रसोई की दक्षिणी और पश्चिमी दीवारों में भंडारण अलमारियाँ स्थापित की जानी चाहिए। उत्तरी और पूर्वी बाधाएं दो दिशाएं हैं जिनसे आपको दूर रहना चाहिए।

विद्युत उपकरण – रसोई के अधिकांश उपकरण आग से जुड़े होने के कारण दक्षिण-पूर्व में स्थित होने चाहिए। उन्हें हमेशा उस दिशा में आगे बढ़ने से बचें।

पेयजल – वास्तु शास्त्र की दृष्टि से पेयजल का स्थान महत्वपूर्ण है। पानी की बोतलें, आर/ओ प्यूरीफायर, मिट्टी के बर्तन या पानी से संबंधित कोई भी बर्तन ईशान कोण में रखना चाहिए।

प्रवेश-रसोईघर का प्रवेश द्वार व्यवस्था जितना महत्वपूर्ण है। किचन के पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा में दरवाजा होना चाहिए।

किचन की वास्तु दोष को दूर करने के लिए हमें सप्त ऋषियों की यज्ञ करती हुई तस्वीर पूर्व दिशा में लगानी चाहिए। हमें किचन में फलों और सब्जियों की तस्वीर  लगानी चाहिए। माॅ अन्नपूर्णा की भगवान शिव को भोजन कराती हुई तस्वीर भी किचन के वास्तु दोष को दूर करती है।

1. रसोईघर की दिशा : रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। यदि ऐसा नहीं है तो इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत, खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न-धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं। इसका उपाय यह है कि रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगा दें या यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।

2. किस दिश में क्या होना चाहिए :

- चूल्हा आग्नेय में, प्लेटफॉर्म पूर्व व दक्षिण को घेरता हुआ होना चाहिए। वॉश बेसिन उत्तर में हो। भोजन बनाते समय मुख पूर्व की ओर हो, उत्तर व दक्षिण में कतई नहीं।

3. किस दिशा में क्या रखें :

- रसोईघर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

- रसोईघर में पानी और आग को कभी भी पास पास नहीं रखना चाहिए।

- रसोईघर में गैस दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।

- रसोईघर में भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

- डाइनिंग टेबल दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। मकान में अलग डायनिंग हॉल की व्यवस्था की है तो वास्तु अनुसार किसी मकान में डायनिंग हॉल पश्चिम या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

- भवन के ईशान व आग्नेय कोण के मध्य पूर्व में स्टोर का निर्माण किया जाना चाहिए।

- माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखें। रेफ्रिजरेटर या फ्रीज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं।

- रसोईघर में यदि झाडू, पौंछा या सफाई का कोई सामान रखना है तो नैऋत्य कोण में रख सकते हैं।

- डस्टबिन को रसोईघर से बाहर ही रखें।

4. कैसा होना चाहिए रसोईघर :

- रसोईघर खुला-खुला और चौकोर होना चाहिए।

- इसके फर्श और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरूआं रखें।

- नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।

- रसोईघर आग्नेय कोण में होना चाहिए।

- पूर्व में खिड़की और उजालदान होना चाहिए।

- प्लेटफार्म का रंभ भी वास्तु के अनुसार होना चाहिए।

- ईशान कोण में जल को रखने का स्थान बनाएं।

- रसोईघर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं होता।

- मॉड्यूलर किचन बनाएं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर बनाएं।

- रसोईघर के पास बाथरूप या शौचालय कतई ना बनाएं।

- रसोइघर में टूटे फूटे बर्तन, अटाला या झाडू ना रखें।

- रसोईघर में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।

- रसोई में हरा, मेहरून या फिर सफेद रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- सिंक और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर न हो और खिड़की के नीचे चूल्हा न हो।

- चूल्हा के उपर किसी तरह का शेल्फ नहीं होना चाहिए।

5. रसोईघर में हो कैसे बर्तन :

- रसोईघर में में स्टील या लोहे के बर्तन के बजाय पीतल, तांबे, कांसे और चांदी के बर्तन होना चाहिए।

- लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।

- पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें।

- इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है।

- किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है।

- किचन में जर्मन या एल्यूमीनियम में किसी भी प्रकार का खाना नहीं बनाना या पकाना चाहिए यह सेहत के लिए घातक होता है। इससे चर्मरोग और कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। हालांकि जर्मन में आप दही जमा सकते हैं।

- हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।

- रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।

- चींटियों-कॉकरोचों, चुहे या अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े किचन में घुम रहे हैं तो सावधान हो जाइये, यह आपकी सेहत और बरकतर को खा जाएंगे। किचन को साफ-सुथरा और सुंदर बनाकर रखें।

- जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है।

- भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है।

- भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़ें। भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।

- भोजन करने से पूर्व देवताओं का आह्वान जरूर करें। भोजन करते वक्त वार्तालाप या क्रोध न करें। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करें। भोजन करते वक्त अजीब-सी आवाजें न निकालें।

- रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।

- भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।

- किचन के नल से पानी का टपकना आर्थिक क्षति का संकेत है। घर में किसी भी बर्तन से पानी रिस रहा हो तो उसे भी ठीक करवाएं।

-सप्ताह में एक बार किचन में (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।

निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।

पंचामृत, नीम की दातून, गोखरु का कांटा, यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औ‍षधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल, आदि।

उपरोक्त सभी औषधियों के चमत्कारिक लाभ को आप यदि जानेंगे तो निश्चित ही इन्हें रखने पर मजबूर हो जाएगी।

8. रसोईघर में कौन सी आकृति लगाएं?

इसके लिए हमने दो तरह की आकृतियों का चयन किया है। पहली आकृ‍ति तो परंपरागतरूप से बनाई जाने वाली आकृति है जो मांडना या अल्पना कला के अंतर्गत आती है जिसमें फूल, फल आदि की आकृतियां होती हैं। दूसरी प्रकार की आकृतियां वास्तुदोष को मिटाने हेतु है, जैसे गणेश चित्र या यज्ञ का चित्र। मांडना से भी वास्तुदोष दूर होता है।

9. रसोईघर का रंग : आग्नेय की दीवार पर नारंगी रंग कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए।

10. रसोईघर में बैठकर ही करें भोजन : वास्तु और ज्योतिष के अनुसार भोजन वहां करना चाहिए जहां रसोईघर हो। इससे राहु और केतु का प्रभाव नहीं होता है। जहां पर कोई छत नहीं है वहां भोजन करने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव सक्रिय रहते हैं। लाल किताब में भी रसोईघर में बैठकर ही भोजन करने की सलाह दी जाती है।

किचन सिंक के लिए कौन सी दिशा अच्छी है?

1- किचन सिंक को हमेशा ईशान कोण में ही रखना चाहिए। इस दिशा में किचन सिंक घर की समृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है।

किचन में खाना बनाने वाले का मुंह किधर होना चाहिए?

kitchen direction n water in vastu भोजन बनाते समय मुंह पूर्व की ओर तथा रसोई घर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए

चूल्हे का मुंह किधर नहीं होना चाहिए?

पूर्व दिशा (E) और दक्षिण दक्षिण पूर्व (SSE) दिशा में गैस चूल्हा रखने से व्यक्ति की सामाजिक छवि खराब होती है।

घर में सीढ़ी किधर होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सीढ़ियां हमेशा नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। इस दिशा में सीढ़ियां होना उत्तम माना जाता है। इससे घर में प्रगति होती है और सुख-शांति बनी रहती है। वहीं उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन भी सीढ़ियों के निर्माण के लिए सही माना जाता है।

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