महाभारत काल का भव्य शहर हस्तिनापुर जहां से कौरवों और पांडवों के बीच भीषण युद्ध की शुरुवात हुई। यह स्थान युधिष्ठिर के जुआ के खेल में अपने धन के साथ अपने भाइयों और द्रौपदी को खो देने से लेकर कृष्ण के धृतराष्ट्र दरबार में पांडवों के शांति दूत होने का साक्षी बना है।
पांडवों और कौरवों के जन्म से पहले, भीष्म ने यहाँ शपथ ली थी कि वे जीवन में शादी नहीं करेंगे और राजगद्दी पर अपना अधिकार छोड़ देंगे क्योंकि उनके पिता शांतनु एक नाविक की बेटी प्रियवती से विवाह करना चाहते थे। महाभारत का युद्ध जीतने के बाद, पांडवों ने हस्तिनापुर को अपनी राजधानी बनाया।
हस्तिनापुर कहा है – ( Hastinapur Kaha Hai )
हस्तिनापुर का जिक्र सबसे पहले लोकप्रिय ग्रन्थ महाभारत में मिलता है। क्या आप जानते है आज हस्तिनापुर कहा है? हस्तिनापुर मेरठ ज़िले में हैं। यह स्थान मेरठ से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान एक पौराणिक स्थान है जो बहुत पहले उजड़ गया था। कहते हैं कि पांडवो की सातवीं पीढ़ी जब यहां पर राज कर रही थी तब तक उनका राज्य काफी सीमित हो गया था। तब गंगा नदी में अचानक भयंकर बाढ़ आई और पूरे शहर को बहा कर ले गई। हस्तिनापुर में महाभारत का बहुत भव्य इतिहास छुपा हुआ है जो उसकी महानता को दर्शाता है।
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महाभारत हमेशा से रहस्य से भरी कहानियों और पात्रों के लिए लोकप्रिय रही है. इसमें वर्णित न जाने कितनी ही ऐसी कहानियां हैं जिससे हमें कुछ न कुछ सीखने को अवश्य मिलता है. देखा जाए तो महाभारत से जुड़ी हुई जगहों और पात्रों को आज भी याद किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत काल से जुड़ी हुई जगहों के आज क्या हालात हैं. आइए हम आपको बताते हैं.
हस्तिनापुर
महाभारत में सबसे ज्यादा महत्व हस्तिनापुर को दिया गया है, क्योंकि पूरी कहानी हस्तिनापुर के इर्दगिर्द ही घूमती है. हस्तिनापुर के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ था. यह स्थान वर्तमान में मेरठ शहर के पास है.
तक्षशीला
तक्षशीला जो महाभारत काल में गंधार प्रदेश राजधानी थी. कौरवों की माता गंधारी गंधार के राजा शुबल की पुत्री थी. कथा है कि यहीं पांडवों के वंशज जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की सांप काटने से मृत्यु के बाद क्रोधित होकर सर्पयज्ञ का आयोजन किया था जिसमें हजारों नाग जलकर भष्म हो गए थे. ये जगह आज पाकिस्तान के रावलपिंंडी में है.
उज्जानिक
महाभारत में जिस उज्जानिक नामक स्थान का जिक्र किया गया है वह वर्तमान काशीपुर है जो उत्तराखंड में स्थित है. यहां पर गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दिया था. यहां स्थित द्रोणसागर झील के बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने गुरु दक्षिणा के तौर पर इस झील का निर्माण किया था.
वारणावर्त
महाभारत में वारणावर्त का जिक्र किया गया है. यह वही स्थान है जहां कौरवों ने लाक्षागृह में पांडवों को जलाकर मारने का प्रयास किया था. यह लाक्षागृह बागपत में स्थित है.
पांचाल
हिमालय और चंबा नदी के मध्य के क्षेत्रों में बसा था पांचाल राज्य. महाभारत में जिक्र आया है कि पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री द्रौपदी से पांडवों का विवाह हुआ था.
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इंद्रप्रस्थ और खांडवप्रस्थ
महाभारत में जिस इंद्रप्रस्थ और खांडवप्रस्थ का जिक्र किया है वह वर्तमान में भारत राजधानी दिल्ली है.
वृंदावन
महाभारत काल का वृंदावन आज भी इसी नाम से जाना जाता है. वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश में स्थित है. यहां श्रीकृष्ण रास रचाया था.
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