प्रथम एकीकृत चीनी राज्य की स्थापना किन वंश द्वारा २२१ ईसा पूर्व में की गई, जब चीनी सम्राट का दरबार स्थापित किया गया और चीनी भाषा का बलपूर्वक मानकीकरण किया गया। यह साम्राज्य अधिक समय तक नहीं टिक पाया क्योंकि कानूनी नीतियों के चलते इनका व्यापक विरोध हुआ।
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ईसा पूर्व 220 से 206 ई. तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। य़ह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हान वंश ने अपने साम्राज्य की सीमाओं को सैन्य अभियानों द्वारा आगे तक फैलाया जो वर्तमान समय के कोरिया, वियतनाम, मोंगोलिया और मध्य एशिया तक फैला था और जो मध्य एशिया में रेशम मार्ग की स्थापना में सहायक हुआ।
हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का माहौल छा गया और अनेकीकरण के एक और युग का आरम्भ हुआ। स्वतंत्र चीनी राज्यों द्वारा इस काल में जापान से राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किए गए जो चीनी लेखन कला को वहां ले गए।
५८० ईसवीं में सुई वंश के शाशन में चीन का एक बार फ़िर एकीकरण हुआ लेकिन सुई वंश कुछ वर्षों तक ही रहा (५९८ से ६१४ ईसवीं) और गोगुर्येओ-सुई युद्धों में हार के बाद सुई वंश का पतन हो गया। इसके बाद के तेंग और सोंग वंशों के शाशन में चीनी संस्कृति और प्रोद्योगिकी अपने चरम पर पहुंचे। सोंग वंश विश्व इतिहास की पहली ऐसी सरकार थी जिसने कागजी मुद्रा जारी की और पहली ऐसी चीनी नागरिक व्यवस्था थी जिसने स्थायी नौसेना की स्थापना की। १०वीं और ११वीं शताब्दी में चीन की जनसँख्या दुगुनी हो गई। इस वृद्धि का मुख्य कारण था चावल की खेती का मध्य और दक्षिणी चीन तक फैलाव और खाद्य सामग्री का बहुतायत में उत्पादन। उत्तरी सोंग वंश की सीमाओं में ही १० करोड़ लोग रहते थे। सोंग वंश चीन का सांस्कृतिक रूप से स्वर्णिम काल था जब चीन में कला, साहित्य और सामाजिक जीवन में बहुत उन्नति हुई। सातवीं से बारहवीं सदी तक चीन विश्व का सबसे सुसंस्कृत देश बन गया।
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चीन का सबसे पुराना राजवंश है - शिया राजवंश। इनका अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके वजूद की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में 18वीं से 12 वीं सदी इसा पूर्व पीली नदी के किनारे बस गए। 12वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झोऊ शासकों ने इनपर हमला किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होने 5वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्ष में भिड़ गए। ईसा पूर्व 221 में चिन राजवंश ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। ईसा पूर्व 220 से 206 ई. तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। य़ह प्रभाव अब तक विद्यमान है। इन्होने रेशम मार्ग की भी स्थापना रखी। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का माहौल छा गया। सुई राजवंश ने 580 ईस्वी में चान का एकीकरण किया जिसके कुछ ही सालों बाद (614 ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
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युद्ध कला में मध्य एशियाई देशों से आगे निकल जाने के कारण चीन ने मध्य एशिया पर अपना प्रभुत्व जमा लिया, पर साथ ही साथ वह यूरोपीय शक्तियों के समक्ष कमजोर पड़ने लगा। चीन शेष विश्व के प्रति सतर्क हुआ और उसने यूरोपीय देशो के साथ व्यापार का रास्ता खोल दिया। ब्रिटिश भारत तथा जापान के साथ हुए युद्धों तथा गृहयुद्धो ने क्विंग राजवंश को कमजोर कर डाला। अंततः 1912 में चीन में गणतंत्र की स्थापना हुई।
भाइयो, चीन हमेशा स्वतंत्र रहा है। किसी के अधीन नहीं हुआ था। वर्ष 1949 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई। तब चीन पुराने कोमिंगतांग सरकार के कुशासन से मुक्त हुआ।
वैसे आप जानते होंगे कि चीन एक प्राचीन सभ्यता वाला देश है। खुदाई में प्राप्त जीवाश्मों से सिद्ध है कि आज से कोई 16 लाख साल पूर्व ही चीन की भूमि पर मानव ने अपने पदचिन्ह छोड़ दिए थे। ईसा से 5 सदियां पहले मध्य चीन में रहने वाले हान जाति ने सामंती समाज में प्रवेश किया था। अब तक चीन का लिखित इतिहास कोई 5 ह
यह भजनपूरा दिल्ली के मुकेश कुमार का सवाल है कि चीन में भी स्पा बाथ होता है?
हां,चीन के बड़े शहरो में स्पा बाथ होता है। आम तौर पर क्लियोपेट्रा मिल्क बाथ और राँयल हमाम जैसे स्पा बाथ भी बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं।
सदियां पहले, रोम में चोट लगने पर या थकान दूर करने के लिए योद्धाओं को जड़ी-बूटियों से भरे तालाब में स्नान कराया जाता था,धीरे धीरे यह पद्धति राजसी स्नान का हिस्सा बनी और पूरी दुनिया में फैल गई। इस में दूध,फूल,एरोमा के साथ कई तरह की जड़ी-बूटियों को मिलाकर स्नान कराया जाता है। आज के दिन अगर आप भी फूलों की तरह अपने आसपास खूबसूरती की छाप छोड़ना चाहते हैं , तो फूलों के रस और फूलों की पंखुड़ियों से भरे जावनीज एरोमा बाथ या फ्लाँवर डस्ट बाथ का आनन्द ले सकते हैं। ये स्नान आम से कुछ खास हैं। इन का सब से बड़ा फायदा यही है कि आप का पूरा शरीर स्फूर्ति से भर जाता है और आप में गजब की सुगंध भी आने लगती है। कोई भी व्यक्ति आम जीवन में अगर स्नान की इन पद्धतियां अपना ले, तो कई बीमारियों से वह छुटकारा पा सकता है।
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2007 के अंत तक चीन विश्व के 170 देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर चुका है. दक्षिण एशिया में चीन-भारत का राजयनिक संबंध 1 अप्रैल 1950 को,चीन-पाक राजनयिक संबंध 21 मई 1951 को,चीन-नेपाल राजनयिक संबंध 1 अगस्त 1955 को, चीन-श्रीलंका राजनयिक संबंध 7 फरवरी 1957 को और चीन-बांगलादेश राजनयिक संबंध 3 अक्तूबर 1975 को कायम हुए.