यूरिन से जुड़ी दिक्कतों का सामना बहुत से लोगों को करना पड़ता है. ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें यूरिन पास करते समय दर्द और जलन का एहसास होता है. यूरिन पास करने के दौरान होने वाले दर्द का ट्रीटमेंट करने के लिए इसके सही कारणों का पता होना जरूरी है. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन को एंटीबाोटिक्स की मदद से ठीक किया जा सकता है और डिसुरिया अपने आप कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है. अगर आपको जलन के कारण सूजन का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए डॉक्टर आपको उन चीजों का इस्तेमाल ना करने का सलाह देते हैं जिससे यह दिक्कत हो रही हो. इसके अलावा यीस्ट इंफेक्शन की समस्या होने पर डॉक्टर आपको एंटीफंगल दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं.
सेब के सिरके का जो घरेलू नुस्खा हम आपको बता रहे हैं आपको उसका इस्तेमाल दिन में दो बार करना है। एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद डालकर पी लें। सेब के सिरके में बैक्टीरिया-रोधी और फंगल-रोधी गुण होते हैं जो के पेशाब की जलन को दूर करने में मदद करते हैं।
मूत्र पथ के हिस्से में संक्रमण और सूक्ष्मजीव(माइक्रोबियल)उत्त्पन्न होने की वजह से गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग संक्रमित हो सकता है। अधिकांश संक्रमण आमतौर पर मूत्र पथ के निचले हिस्से यानी मूत्राशय और मूत्रमार्ग में होता है। इस लक्षण के आधार पर सामान्यतः उपयोग की जाने वाली विभिन्न पारिभाषिक शब्द निम्लिखित है:
मूत्रमार्ग में होने वाली सूजन/संक्रमण (सिस्टिटिस): यह संक्रमण मूत्राशय/मूत्र वस्ति तक सीमित रहता है। इसके वजह से जलन के साथ पेशाब, मूत्र की तीव्र इच्छा, बारंबार होना और असहनीय दर्द उत्त्पन्न होता है।
पायलोनेफ्राइटिस: यह गुर्दा संबंधी संक्रमण है। यह मूत्रमार्ग में संक्रमण(यूटीआई) का सबसे खतरनाक रूप है और इसमें ठंड लगना या लगातार बुखार का आना, पेट में दर्द, जीभ मचलते हुए या बिना जीभ मचले हुए उल्टी जैसे लक्षण उत्त्पन होती है।
मूत्रमार्ग में जलन या दाह (यूरेथरिटिस): यह संक्रमण मूत्रमार्ग से जुड़ा है। आमतौर पर ये दर्द पेशाब के दौरान जलन की वजह से होता है और पेशाब भी बुरे गंध(गंदे वास) के साथ होता है।
मूत्र पथ संक्रमण के संदर्भ में कुछ और महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्द निम्लिखित है:
मूत्रमार्ग में आसामान्य संक्रमण (यूटीआई): आसामान्य/उग्र रूप से मूत्रमार्ग में फैले संक्रमण(यूटीआई)बढ़ने की वजह से सभी पुरुष, गर्भवती महिलाएं, मूत्र पथ के संरचनात्मक या कार्यात्मक असामान्यताओं वाले रोगी, मूत्र निकासी नली( मूत्र कॅथेटर्स)उपयोग करने वाले रोगी, गुर्दे की बीमारियों जैसे और अन्य प्रतिरक्षा में असमर्थता की स्थिति उत्तपन करती है।
- एटियलजि: आमतौर पर ई। कोलाई, क्लेबसीला, प्रोटियस, स्यूडोमोनास, एंटरोकोकस, स्टेफिलोकोकस
- कवक: कैंडिडा प्रजातियां(एक फंगल/कवक संक्रमण जो की आमतौर पर त्वचा या चिपचिपा झिल्ली पर होता है)
- ट्युबरकुलर(क्षय रोग संबंधी)
मूत्र में संक्रमण के संकेत और लक्षण:
- अत्यावश्यकता – पेशाब करने की तीव्र इच्छा
- पेशाब में कठिनईया(डिसुरिया) – पेशाब करते समय जलन होना
- बारंबार होना – बार बार पेशाब का आना, अक्सर कम पेशाब का होना
- मलिन,अस्पष्ट/झागदार और हलके रंग का पेशाब होना
- लाल, चमकदार गुलाबी या कोला रंग का मूत्र – मूत्र में रक्त का संकेत होना
- मूत्र/पेशाब से बदबू आना
- पेट में दर्द – अत्यधिक, दोनों तरफ से दर्द का होना, पेडू में दर्द(महिलाओं), चिरस्थायी (पेरेनियल) दर्द
मूत्र में संक्रमण के जोखिम :
- महिला – यौन सक्रिय, मासिक धर्म का बन्द होना(पोस्टमेनोपॉज़ल)
- गर्भावस्था प्रतिरक्षा में असमर्थता की स्थिति – मधुमेह मेलेटस, शारीर में प्रत्यारोपण के बाद की स्थिति, आयु>६० वर्ष, स्टेरॉयड या किसी अन्य प्रतिरक्षादमनकारी दवाओं वाला रोगी
- गर्भावस्था
- मूत्र पथ के संरचनात्मक या कार्यात्मक असामान्यताएं – जिसमें मूत्र मूत्राशय से मूत्रवाहिनी/गुर्दे में प्रतिगामी या पीछे की ओर बहता है(वेसिकोरेरिक रिफ्लक्स),तंत्रिकाजन्य(न्यूरोजेनिक)मूत्राशय,मूत्रमार्ग का पिछला द्वार(वाल्व), मूत्र पथ में पथरी, मूत्रमार्ग दोष आदि होता है।
- मूत्र पथ के उपकरण
जटिलताएं – आसामान्य और जटिल यूटीआई के रोगियों में बैक्टीरिया, सेप्सिस, मल्टीपल ऑर्गन सिस्टम डिसफंक्शंस, शॉक और विकट गुर्दे की विफलता, रीनल कॉर्टोमेड्यूलेरी फोड़ा, पेरिनेफ्रिक फोड़ा,
ऊतकों में गैस संचय होना(एम्फीसेमटोस पाइलोनेफ्राइटिस) या पैपिलरी नेक्रोसिस पाए जा सकते हैं,जो घातक भी हो सकते हैं।
निदान: रोगी का मेडिकल इतिहास,शारीरिक परीक्षण,मूत्र की नियमित जाँच और मूत्र कल्चर जांच,अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन सहित इमेजिंग अध्ययन द्वारा किया जाता है।
उपचार की प्रक्रिया:
- उचित एंटीबायोटिक दवाओं, फंगसरोधी (मूत्र कल्चर जांच के अनुसार) का उपयोग होता है।
- आसामान्य यूटीआई (घाव का सड़ना(सेप्टीसीमिया),आघात, विकट गुर्दे की चोट से संबंधित) के मामले में ऑयवी एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग होता है।
- पथरी को हटाना, मूत्रमार्ग रोग में सुधार करना जैसे सटीक उपलब्ध उपचार के द्वारे मूत्र पथ के संरचनात्मक या कार्यात्मक असामान्यता को दूर किया जा सकता है।
- बारम्बार होनेवाला यूटीआई के मामले में पूर्ण रोगनिरोध होने के लिए 3 महीने तक मौखिक एंटीबायोटिक लेना होगा।
रोकथाम की प्रक्रिया:
- बहुत सारे तरल पदार्थ,विशेष रूप से पानी पिएं
- क्रैनबेरी जूस पिएं
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य-रक्षा और स्वच्छता बनाए रखें
- लंबे समय तक पेशाब को रोककर न रखें
- दिआफ्राग्मस,जन्म नियंत्रण के लिए बिना चिकनाई वाले शुक्राणुनाशक कंडोम,गंदे सार्वजनिक शौचालय और स्विमिंग पूल के उपयोग से बचें।
भारतीय मरीजों का डेटा:
डॉ सुदीप सिंह सचदेव, सलाहकार नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण, नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल,गुरुग्राम,
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